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सीएस एक्ट 1980 भी सीए की तरह संसदीय अधिनियम से पारित हुआ है। द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) एकमात्र ऐसी संस्था है जो कंपनी सेके्रटरी का पाठ्यक्रम कराती है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले दस वषार्ें में करीब 50 हजार कंपनी सेक्रेटरी की आवश्यकता होगी। इससे यह साफ पता चलता है कि मांग के मुताबिक पेशेवर नहीं तैयार हो पा रहे हैं। बतौर सीएस प्रोफेशनल्स ऑफ टॉप मैनेजमेंट और शेयर होल्डर्स के बीच अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
सीएस को कंपनी और स्टॉक होल्डर्स के हितों की रक्षा करते हुए कंपनी लॉ के अधीन कई महत्वपूर्ण कार्य करने होते हैं। जिस कंपनी का पेड अप शेयर कैपिटल दस लाख रुपए से ज्यादा और दो करोड़ रुपए से कम हो उन्हें कम्प्लायंस सर्टिफिकेट के लिए सीएस की सेवाएं लेनी पड़ती हैं। स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज होने के लिए भी कंपनियों को अपने यहां सीएस की नियुक्ति करनी होती है। कंपनी सेके्रेटरी को कम्प्लायंस सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार होता है। विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि किसी कंपनी की तरक्की बिना सीएस के संभव नहीं है। कंपनी सेके्रटरी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सरकारी व गैर सरकारी एजेंसिंयों, शेयर होल्डर्स एवं सरकार के बीच एक कड़ी का काम करता है। कंपनी की प्रशासनिक जिम्मेदारियों को समझने के साथ-साथ सीएस को लॉ मैनेजमेंट, फाइनेंस और कॉर्पोरेट गवर्ननेंस सरीखे विषयों के बारे में जानकारी रखनी पड़ती है। आजकल तो सीएस कंपनी के कॉर्पोरेट प्लानर की भूमिका में भी खुद को साबित कर रहे हैं।
पाठ्यक्रम से जुड़ी जानकारी
सीएस के लिए द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इण्डिया (आईसीएसआई) देश भर में संचालित सेंटरों के जरिए तीन स्तरों पर पाठ्यक्रम कराता है। पहले चरण पर फाउंडेशन प्रोग्राम, दूसरे चरण पर एग्जीक्यूटिव व तीसरे चरण पर प्रोफेशनल प्रोग्राम होता है। सीएस कोर्स में दाखिला जून व दिसंबर में होता है। दाखिला प्रवेश परीक्षा अथवा साक्षात्कार के आधार पर न होकर पंजीकरण पर निर्भर होता है। विभिन्न प्रोग्राम में पंजीकरण की अवधि भिन्न-भिन्न होती है। छात्रों को फाउंडेशन में चार पेपर, एग्जीक्यूटिव में छह: पेपर तथा प्रोफेशनल प्रोग्राम में अलग-अलग माड्यूल के कुल आठ पेपर पढ़ाए जाते हैं। परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को कई तरह के प्रशिक्षण से होकर गुजरना पड़ता है।
कब कर सकते हैं कोर्स
सीएस में पंजीकरण बारहवीं (फाइन आर्ट को छोड़कर) के बाद होता है। यदि छात्र के पास कॉमर्स में बैचलर और मास्टर डिग्री है तो वह फाउंडेशन की बजाय सीधे एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम में दाखिला ले सकता है। सीएस का कोर्स करने के पश्चात छात्र विभिन्न कंपनियों में कंपनी सेक्रेटरी, असि. कंपनी सेक्रेटरी, कम्प्लायंस ऑफिसर के
रूप में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। प्राइवेट प्रेक्टिस में एक सीएस को सीए व सीएमए से अधिक संभावनाएं सामने आती हैं। विदेशों में भी सीएस के लिए विकल्पों की कोई कमी नहीं है।
यहां करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन
ल्ल द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इण्डिया (आईसीएसआई)
वेबसाइट- www.icsi.edu
ल्ल इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई में हैं।
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