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आनंदी बेन का गुजरात की नई मुख्यमंत्री बनने का समाचार भीतर तक आनन्द का अहसास करा गया। उनमें इतने गुण हैं और इतनी उपलब्धियां हैं कि कहने ही क्या। आनंदी बेन के साथ बैठने पर कोई भी व्यक्ति यह भूल जाता है कि विद्यालय में ईमानदारी से पढ़ाने का कार्य करते हुए आनंदी बेन ने गुजरात भाजपा महिला मोर्चा की सात वर्षों तक देखभाल की तथा संगठनात्मक, संघर्षनात्मक एवं रचनात्मक मोर्चे पर अपने साथ महिलाओं से कठिन परिश्रम करवा कर गुजरात में महिला मोर्चा को एक विशेष पहचान दिलवाई।
वे कई वर्षों तक भारतीय जनता पार्टी तथा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं। राज्य में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श कर पार्टी के कार्यक्रम में बढ़ोतरी करते रहना उनकी विशेषता है। 1994 में राज्यसभा की सदस्य बनकर सदन में गुजरात की विभिन्न समस्याओं को उठाती रहीं। 1998 से लेकर अब तक वे गुजरात विधानसभा की सदस्य हैं। मंत्री के नाते राजस्व विभाग, आपदा प्रबंधन, रोड एण्ड बिल्डिंग, कैपिटल प्रोजेक्ट, शहरी विकास, युवा संस्कृति विभाग, महिला और बाल विकास जैसे विभागों में महिला कैबिनेट मंत्री के नाते विशेष पहचान बनाई। शिक्षा विभाग की मंत्री बनकर उन्होंने कई नई योजनाओं का कार्यान्वयन किया। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में बीजिंग, बुल्गारिया, अमरीका, कनाडा, इंग्लैंड के साथ ही नामीबिया का भी भ्रमण किया।
आनंदी बेन पटेल मितभाषी हैं। राजनीति में रहकर भी कम बोलना, यह किसी भी व्यक्ति का एक बड़ा गुण माना जाएगा। उन्होंने पार्टी और सरकार में काम करते हुए भी एक ही प्रकार की कर्मठता दिखाई, उनके लिए पार्टी और सत्ता में कोई अंतर नहीं है। सादा जीवन उच्च विचार के आधार पर वे सदा कर्मलीन रहती हैं।
उनके पिछले विधानसभा क्षेत्र पाटन में आनंदी बेन की उपस्थिति लोगों में आनंद भर देती थी। 1998 में मांडल विधानसभा, 2002 और 2007 में पाटन विधानसभा एवं 2012 में अमदाबाद में चौथी बार एक लाख दस हजार से अधिक मतों से विजयी हुईं हैं। महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति हो, भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति या कोई विशेष आयोजन या तीर्थयात्रा,आनंदी बेन सदा अपनी साथी कार्यकर्ताओं से घिरी रहती हैं। श्री नरेन्द्र मोदी कीे गुजरात मॉडल की सरकार अथवा गुजरात मॉडल को सारे विश्व में पहचान दिलाने में औरों की तरह आनंदी बेन का भी बहुत बड़ा योगदान है।
आनंदी बेन की कार्यशैली की विशेषता उनके जीवन का व्यवस्थित होना है। उनका हर पल नियोजित भी है। महिलाओं के संगठन से लेकर सरकारी विभागों के संचालन तक, वे व्यवस्था के अनुरूप कार्य करती हैं। इसलिए उन्हें उपलब्धियां भी प्राप्त होती हैं। अपने विकास के लक्ष्य तक पहुंचते हुए संगठन हो या सत्ता, वे हर सीढ़ी पर पूरे विश्वास से कदम रखकर आगे बढ़ी हैं। छलांग लगाना उन्हें आता ही नहीं। इसलिए तो वे जहां हर पद की गरिमा और तकाजों को समझती रही हैं, वहीं अपनी कार्यपद्घति और मेहनत से उसे संवारती भी रही हैं। आज भारत में किसी भी दल की महिला के लिए आनंदी बेन एक आदर्श हैं। पूरे गुजरात में सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा है। वे अनुशासनप्रिय हैं। गुजरात से बाहर मीडिया में आनंदी बेन के कार्यो की बहुत चर्चा नहीं होती। लेकिन उनको जानने वाले जानते हैं कि आनंदी बेन गुजरात के संगठन और सत्ता में भी नींव की की तरह हैं।
आनंदी बेन को किसी ने कभी तड़क-भड़क वाले वस्त्र पहने नहीं देखा। उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन में भी सादगी और समाजोनुसार व्यवहार को प्राथमिकता दी है। उनके चेहरे पर गंभीरता रहती है, उपलब्धियों, सम्मानों और जिम्मेदारियों का गुरूर नहीं। भारतीय स्त्री के विशेष दो गुण, गंभीरता और सहनशीलता इनका विशेष आभूषण है।
संगठन और सत्ता के प्रति उनकी ईमानदार नीयत की छुअन से कोई भी वंचित नहीं रहेगा। उन्हें देखने, सुनने के बाद एक विशेष अनुभूति होती है। राजनीति में महिला हो तो ऐसी। ऐसी सशक्त महिला का गुजरात जैसे राज्य की मुख्यमंत्री बनना सभी के लिए गौरव की बात है। मेरी कविता की दो पंक्तियां उनके व्यक्तित्व पर खरी उतरती हैं-
‘कर्मलीन वह, न सुध निजत्व की पूरा जीवन साधना सर्वस्व की।‘
– मृदुला सिन्हा
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