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गत दिनों बिहार के दरभंगा में सीता नवमी के अवसर पर किशोरी दाई उत्सव (सीता माता का उल्लेख स्थानीय मैथिली बोली में सामान्य तौर पर किशोरी दाई के नाम से किया जाता है) आयोजित हुआ। इस तीन दिवसीय आयोजन के अन्तर्गत कन्या-पूजन, स्त्री-विमर्श तथा अष्टजाम संकीर्तन जैसे कार्यक्रम समाहित थे। यह उत्सव सीता माता के जन्म दिवस को संस्थागत स्वरूप प्रदान करने का एक प्रयास था। इसे एक धार्मिक के साथ-साथ सांस्कृतिक आयोजन के तौर पर देखा गया। उत्सव के दूसरे दिन गौरिया संप्रदाय,रतनपुर मठ के गुरु राधा वल्लभ दास,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सम्पर्क प्रमुख श्री राममाधव, श्रीमती उषा किरण खान सहित अनेक प्रतिष्ठित जन पधारे। भजपा नेता डॉ़ संजय पासवान ने इस अवसर पर कहा कि सीता जी की इस धरती पर कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं के खिलाफ अपराध तथा कुपोषण बढ़ता जा रहा है। श्री राममाधव ने मां सीता और मिथिला की भूमि के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि मिथिला की भूमि बुद्धिजीवियों एवं कला की अपनी विशिष्ट शैली के कारण भी प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि मिथिलांचल सीता जी का जन्म स्थान और और श्रीलंका की अशोक वाटिका उनके पुनर्जन्म का स्थान है। हम सीता नवमी जैसे अवसरों एवं आयोजनों का उपयोग दोनों देशों के बीच के संबंधों को सूक्ष्मता प्रदान करने के लिए कर सकते हैं। श्रीमती उषा किरण खान और श्रीमती पद्मलता ठाकुर ने नागरिक समाज एवं महिला संगठनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने से संबंधित मसलों एवं अवसरों पर चर्चा की। इस अवसर पर ह्यमिथिला विभूतिह्ण शीर्षक से एक पुस्तिका भी लोकार्पित की गई। इसमें इस क्षेत्र के प्रसिद्ध विचारकों, बुद्धिजीवियांे तथा कार्यकर्ताओं का संक्षिप्त जीवन परिचय और उनके योगदान का उल्लेख किया गया है।
-प्रतिनिधि
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