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प्रशासनिक सुधार
भाजपा नीत राजग सरकार के सामने प्रशासन और शासन के हर क्षेत्र में गहरे पैठ चुके भ्रष्टाचार को ठोस प्रयासों से उखाड़ फेंकना एक बड़ी चुनौती होगी। देश की जनता समाज जीवन में लगातार आ रहे क्षरण से आजिज आ चुकी है। भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त न करने की नीति पर चलते हुए इसे जड़-मूल से खत्म करना होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने हाल के फैसले में नौकरशाही में संयुक्त सचिव से लेकर ऊपर के पदों पर हो रहे भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने को हरी झंडी दिखाई है, इस फैसले को अमल में लाया जाए। सीबीआई को मजबूत किया जाए। सीवीसी के पद पर ऐसे व्यक्ति क ो बैठाया जाए जिसकी साख असंदिग्ध हो। लोकायुक्त संस्था को ताकतवर बनाया जाए। नेहरू-गांधी वंश से विपरीत मोदी कुशल प्रशासक के नाते भ्रष्टाचार पर सीधी चोट करें। काले धन के रूप में विदेशों में जमा हमारा पैसा भारत लाया जाए।
-ए. सूर्यप्रकाश, वरिष्ठ विश्लेषक
क्या हो दृष्टिकोण
नौकरशाही भ्रष्टाचार मुक्त हो, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रशासनिक इकाइयां अपना प्रभावी कार्य निष्पादन करते हुए देश के विकास के लिए संकल्पबद्ध हों। अच्छे कार्य करने वालों को प्रोत्साहन और उदासीन एवं निष्क्रिय कर्मियों को दण्ड का प्रावधान होना चाहिए।
भ्रष्टाचार का स्रोत बने बड़े पदों को पुरस्कार समझने की परिपाटी नई कार्यसंस्कृति से बदलनी होगी।
फौरन करना होगा
– नौकरशाही के उच्च पदों की सीबीआई जांच में कोई अड़चन नहीं आने देनी चाहिए।
– लोकायुक्त को मजबूत बनाना चाहिए।
दीर्घकालिक लक्ष्य
– प्रशासन को चुस्त करने के उपाय अपनाने होंगे। लोकसेवकों को जवाबदेह बनाना होगा।
यह है वादा
– ईगवर्नेंस द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाएगा, प्रशासन और नागरिकों के बीच कार्यप्रणाली में मनमानी के मौके खत्म किए जाएंगे, सभी स्तरों पर प्रक्रियाओं और तरीकों को सरल किया जाएगा, नागरिकों, संस्थाओं और प्रतिष्ठानों में आपसी विश्वास बढ़ाया जाएगा।
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