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निर्माण और ढांचागत क्षेत्रों में सरकार ताजे निवेश को बढ़ाए । कृषि में जनता का निवेश बढ़े, ताकि उत्पादकता बढ़े ओैर खेती से अच्छी आय हो। कर-जीडीपी अनुपात में सुधार हो, जिससे राजस्व घाटा घटे। घरेलू उत्पादन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रिटेल में एफडीआई का फैसला तुरंत पलटा जाए।
-भगवती प्रकाश शर्मा, वित्त विशेषज्ञ
2011 में भारत की सकल आय 6.4 खरब डॉलर अर्थात लगभग 375 खरब रुपए थी जबकि अमरीका की 17.1, चीन की14.9 और जापान की 4.8 खरब डॉलर थी। प्रति व्यक्ति औसत आय के आधार पर विश्व में भारत का स्थान 129वां है। 10 वर्ष पहले संप्रग ने शासन संभाला था तब आर्थिक विकास दर लगभग 9 प्रतिशत थी जो घटकर आधी रह गई है। औद्योगिक उत्पादन विकास दर न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है, यह कई महीनों तक शून्य से नीचे रहने का रिकार्ड बना चुकी है।
क्या हो दृष्टिकोण
दक्षिण, पश्चिम और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में विकास उच्च दर पर है, उत्तर और पूर्व के राज्य अभी पीछे हैं, इन पर विशेष ध्यान देना होगा। उद्योग और सेवा क्षेत्र में उच्च वृद्धि दर सुनिश्चित करनी होगी। इस क्षेत्र में धन से अधिक तकनीकी संसाधनों के उपयोग पर बल देते हुए केन्द्र सरकार को उन राज्यों की ज्यादा सहायता का प्रावधान करना चाहिए जो ढांचागत विकास को आगे बढ़ा रहे हैं।
फौरन करना होगा
ल्ल लक्षित विकास दर को प्राप्त करना
ल्ल बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करते हुए वस्तु निर्यात को बढ़ावा देना।
दीर्घकालिक लक्ष्य
ल्ल देश को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाना।
ल्ल खाद्यान्नों पर आत्मनिर्भरता के साथ प्राकृतिक गैसों के नए स्रोत खोजना।
यह है वादा
ल्ल 2004 में वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के शासनकाल में जो विकास दर 8.5 प्रतिशत थी उसे पुन: प्राप्त करना।
ल्ल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और एफडीआई को प्रोत्साहन देने के साथ स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा।
ल्ल उद्यमिता और व्यावसायिकता को प्रोत्साहन देते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ अंत:राज्यीय विनिमय को अवसर उपलब्ध कराना।
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