बदलाव की ओर बढ़ते कदम
|
अंक सन्दर्भ: 30 मार्च, 2014
आवरण कथा ह्यबेहतर भारत युवा चाहतह्ण से प्रतीत होता है कि आज देश का मतदाता झूठे नारों और वायदों से मुंह मोड़कर देशहित की बात को प्राथमिकता दे रहा है। आज भारतीय लोकतन्त्र उस राह पर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है,जिस पर उसे कई दशकों पहले ही बढ़ जाना चाहिए था। लेकिन जब जागे तभी सबेरा।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर,भिण्ड (म.प्र.)
बदलाव शाश्वत
पाञ्चजन्य ने सदैव पत्रकारिता के उच्च मूल्यों पर चलते हुए देश के सामने निष्पक्ष पत्रकारिता की मिसाल पेश की है। इस पत्र ने देश और दुनिया के सामने अपनी लेखनी से जो सत्य बात सामने रखी वह शायद ही मीडिया क्षेत्र में अन्य किसी ने रखी हो। इसके नए स्वरूप में आने के लिए हम सभी की ओर से हमारे अपने पत्र को ढेर सारी शुभकामनायें।
-हरिओम सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया,इन्दौर (म.प्र.)
० आज देश के मीडिया में एक ऐसा वर्ग कार्य कर रहा है,जो देश और समाज को तोड़ने की बात ज्यादा करता है। आए दिन भिन्न-भिन्न समाचार पत्रों और चैनलों में इस प्रकार के समाचार न केवल समाज को बल्कि पूरी देश और दुनिया को दिग्भ्रमित करते हैं, लेकिन ऐसे में पाञ्चजन्य ने कभी भी किसी प्रकार का कोई भी समझौता न कर सदैव देशहित की बात को प्राथमिकता दी और राष्ट्र सम्मान को ही सर्वोपरि समझा। यह अपने आप में सराहनीय है। पत्रिका स्वरूप में आने पर भी हमारा वही स्नेह और प्यार इसको मिलता रहेगा, जो पहले पत्र को मिलता रहा है।
-सूर्यप्रताप सिंह ह्यसोनगराह्ण
कांडरवासा (म.प्र.)
० पाञ्चजन्य जब अपने नये कलेवर में प्राप्त हुआ तो मन रोमांचित और प्रसन्न हो गया। अपने विचारों के माध्यम से इस पत्र ने सदैव देश और समाज को नया रास्ता तथा सत्य और असत्य का भान कराया है। हमारी आशा और विश्वास है कि आज के समय में भी वह ऐसे ही विचारों को अपनी कलम की ताकत बनाये रखेगा।
-डॉ. सोमप्रताप गहलौत
शताब्दी नगर, मेरठ (उ.प्र.)
० अपने पुराने रूप को बदलकर जिस प्रकार यह पत्र अब पत्रिका स्वरूप में आ रहा है वह अपने आप में अच्छी बात है। समय को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव अतिआवश्यक था। यह पत्र राष्ट्रीय विचारों और देशहित की बात को जनसामान्य तक पहुंचाता रहा है। यह हमारे समाज के लिए किसी गौरव से कम नहीं है।
-लक्ष्मी चन्द्र
ग्राम-बांध कसौली
जिला-सोलन (म.प्र.)
कथनी और करनी में अंतर
कांग्रेस और अरविन्द केजरीवाल अपने आप को देश की सबसे ईमानदार पार्टी और नेता कहते हैं। लेकिन सवाल यह है कि कांग्रेस के दस साल के शासन में ढेरों घोटाले एवं अरविन्द का फोर्ड फाउन्डेशन से नाता,जो जगजाहिर हो चुका है,उसका क्या ? आज सम्पूर्ण देशवासियों को समझना होगा कि इन दलों और ऐसे नेताओं की कथनी और करनी में जमीन- आसमान का अंतर होता है। इन दलों का ध्येय देश और समाज को शक्ति प्रदान करना नहीं बल्कि उसको लूटना है। सभी लोगों को इनकी मानसिकता को समझना होगा।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नयाटोला,कटिहार (बिहार)
कांग्रेस ने देश को लूटा
आज देश का प्रत्येक नागरिक जान चुका है कि कांग्रेस ने देश को लूटा है। अपने दस साल के शासन में उसने आम आदमी की कमर तोड़ने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी देश को काफी बुरी परिस्थिति का सामना करना पड़ा है यह भी किसी से छिपा नहीं है। लेकिन आज हम सभी के पास समय है, जब हम कांग्रेस द्वारा किए गए सभी निकृष्ट कार्यों का मंुहतोड़ जवाब दे सकते हैं।
-रवि शर्मा
विष्णु विहार,जिला-रामपुर (उ.प्र.)
मोदी को घेरने की कोशिश
आज देश ही नहीं पूरे विश्व में मोदी की लहर है। इसे न तो अस्वीकार किया जा सकता है और न ही नजरअंदाज। देश के लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार नरेन्द्र मोदी सभी पार्टियों पर भारी पड़ रहे हैं, उससे उन सभी पार्टियों के नेता बौखला गए हैं और मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का भी प्रयोग करने लगे हैं। इस प्रकार की बयानबाजी करके वे जाहिर कर रहे हैं कि वे मोदी से किस प्रकार डरे हुए हैं और बौखला गए हैं।
-शान्ति रानी साहा
नया टोला,कटिहार (बिहार)
० देश के अधिकतर वामपंथी और भारत विरोधी ताकतें एकजुट होकर नरेन्द्र मोदी को घेरने में लगी हुइंर् हैं। कैसी विडम्बना है कि इन चुनावों में अन्य राजनैतिक दलों को जहां देश लूटने वाली कांग्रेस का विरोध करना चाहिए था, जिसने अपने दस साल के शासन में पूरे देश को लूटकर खोखला कर दिया,वहीं इन दलों की मूर्खता और लालच ने उनको अंधा बना दिया है, वे कांग्रेस को छोड़कर विकास पुरुष नरेन्द्र मोदी का विरोध कर रहे हैं,जिन्होंने गुजरात में वह कर दिखाया है, जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)
परिवर्तनकारी घड़ी
इस बार का लोकसभा चुनाव वास्तव में हमारे देश और समस्त हिन्दू समाज के लिए एक परीक्षा की घड़ी है। क्यांेकि कुछ वर्षों से देश की राजनैतिक पार्टियों की वोट राजनीति के चलते उन्होंने देश और समाज को भूलकर मुस्लिम तुष्टीकरण,आतंकवादियों को संरक्षण,भ्रष्टाचार,हिन्दू संस्कृति के मान बिन्दुओं पर प्रहार जैसे देश विरोधी नामों को संरक्षण प्रदान किया है। इन दलों और राजनेताओं ने सभी हदों को पार कर देशहित और हिन्दूहित को अपने लालच के लिए भुला दिया है। ऐसे राजनेताओं के चलते ही आज देश में हिन्दू को साम्प्रदायिक बताया जाता है। कांग्रेस के राज में हिन्दू समाज का घोर तिरस्कार हुआ है। हिन्दू समाज को यह समझना चाहिए ।
-डॉ. सुशील गुप्ता
बेहट बस स्टैण्ड,सहारनपुर(उ.प्र.)
मतदान अवश्य करें
हम सभी लोग पांच साल तक पता नहीं कितने ही नेताओं को उनकी कथनी और करनी के लिए कोसते रहते हैं,लेकिन जब वोट देने का समय आता है तो हम कितने ही तरह के बहाने बनाकर मतदान करने नहीं जाते हैं। ऐसे लोग समाज के लिए किसी भार से कम नहीं हैं। देश के सभी लोगों को चाहिए कि अपने मत का प्रयोग अवश्य ही करें क्योंकि यह हमारा अधिकार है और हमारे एक-एक वोट से देश और समाज को एक नई दिशा मिल सकती है।
-रामचन्द्र ठोके
भिलाई नगर,जिला-दुर्ग (छ.ग.)
० इस बार का लोकसभा चुनाव कोई साधारण चुनाव नहीं है, जनता को इस बात को समझना चाहिए। यह देश की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। जिस प्रकार कांग्रेस ने अपने दस साल के शासनकाल में देश को लूटा, वह आज किसी से भी छिपा नहीं है। सवाल यह है कि क्या हम ऐसे लोगों को वोट देंगे,जिन्होंने देश को लूटने और बेचने की सौगन्ध खा रखी है, या ऐसे लोगों को जो अपना सब कुछ न्योछावर कर देश को उसका गौरव दिलाना चाहते हैं? हम लोगों को जागरूक होकर इस बार मतदान करना है क्योंकि हमारा एक-एक वोट देश और समाज को एक नई मंजिल देने वाला साबित होगा।
-विपिन कर्णवाल
रायवाला, ऋषिकेश (उत्तराखंड)
हिन्दू वेदना पर चुप्पी क्यों?
पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दुओं के ऊपर अनेक प्रकार से अत्याचार हो रहे हैं,लेकिन न तो वहां की सरकार और न ही भारत सरकार इस विषय पर कोई ठोस कदम उठाती है। साथ ही जो तथाकथित मानवाधिकारी संगठन मुसलमानों की बात को विश्व के कोने-कोने से एकत्र कर पूरे विश्व के सामने रखते हैं क्या उनको इन देशों में हिन्दुओं का दमन होता दिखाई नहीं देता है?
– मनोहर मंजुल
पिपल्या बुजुर्ग,प.निमाड (म.प्र.)
हिन्दू अपनी रक्षा करें, तो भी चिढ़ते हैं वे
जम्मू-कश्मीर आतंकवादियों से अपनी रक्षा करने के लिए राज्य में ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन किया हुआ है,जिसके कारण गांवों में रहने वाले हिन्दू विपरीत स्थिति में भी आतंकवादियों के हमलों से अनेक स्थानों पर अपनी रक्षा करने में कामयाब हुए हैं। ग्राम सुरक्षा समितियों को सेना हथियार मुहैया कराती है और आत्मरक्षा के लिए उनके संचालन का प्रशिक्षण भी देती है। राज्य में आतंकवाद को नियंत्रित करने में इन ग्राम सुरक्षा समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समितियों के हथियारबंद हिन्दू नौजवान आतंकवादियों के हमलों में उनका डटकर मुकाबला करते रहे हैं।
जम्मू-संभाग के डोडा,रामबन और किश्तवाड़ जिलों में ग्राम सुरक्षा समितियों का यह प्रयोग काफी हद तक सफल रहा है। यह क्षेत्र ऐसा है,जिसमें कश्मीरी भाषा बोलने वाले लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इन्हीं मुसलमानों में आतंकवादी पैठ बनाकर यहां से हिन्दू-सिखों को निकालने का प्रयास लम्बे समय से करते रहे हैं। कश्मीर घाटी में से हिन्दुओं को निकाल देने के वाद जम्मू संभाग में उनके इस अभियान की सफलता में ग्राम सुरक्षा समितियां मुख्य बाधा हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी इन ग्राम सुरक्षा समितियों को किसी भी तरीके से भंग करवाने की फिराक में रहते हैं। राज्य में अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से काम कर रहीं तथाकथित सिविल सोसायटी का एक और प्रयास यह रहता है कि यदि ग्राम सुरक्षा समितियों को समाप्त नहीं किया जा सकता तो फिर उनकी धार को कुंद कर आतंकवाद के रास्ते की बाधा बने इन लोक प्रयासों की हत्या कर दी जाए। दुर्भाग्य से अपनी वोट बैंक राजनीति को ध्यान में रखते हुए राज्य के प्रमुख राजनैतिक दल नेशनल कान्फे्रंस,पीडीपी और कांग्रेस भी इस मामले में आतंकवादी गुटों की इस मांग का समर्थन करते हुए दिखाई देते हैं। पिछले साल अगस्त माह में जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में ईद के दिन अल्पसंख्यक हिन्दू समाज पर वहां के मुसलमानों द्वारा सुनियोजित सामूहिक आक्रमण को इन प्रयासों की कड़ी के रूप में देखना चाहिए। किश्तवाड़ में हिन्दुओं पर हमले के बाद आतंकवादियों ने और उनके लिए काम कर रही तथाकथित सिविल सोसायटी ने तुरन्त इन समितियों को भंग करने की मांग करनी शुरू कर दी। इसका प्रमुख कारण यही था कि ग्राम सुरक्षा समितियों के कारण ही इस आक्रमण को किसी सीमा तक रोका जा सका। इसके तुरन्त बाद एक लॉबी सक्रिय हुई,जिसके जिम्मे ग्राम सुरक्षा समितियों को समाप्त करवाने का काम है। राज्य सरकार ने ऐसे व्यक्ति को इसका जिम्मा दिया, जिस पर पहले से ही कई तरह के आरोप हैं। ग्राम सुरक्षा समितियों को खत्म करने की यह दोहरी चाल थी। पहले हिस्से में इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विधायक शेख अब्दुल रशीद ने राज्य के उच्च न्यायालय में भी इन समितियों को खत्म करने की गुहार लगा दी थी। अब दूसरे हिस्से में कुछ दिन पहले बाबू रतन चन्द ने भी अपनी अंतरिम रपट में परोक्ष रूप से सलाह दी है कि इन समितियों के तहत मुसलमानों को भी हथियार दिये जाने चाहिए,ताकि इन पर ह्यसाम्प्रदायिकताह्ण का आरोप न लग सके। एक हिन्दी दैनिक के अनुसार, रतन चन्द ने गांवों में मुस्लिम सुरक्षा समितियां बनाने की सिफारिश की है। उनका तर्क है कि यदि ये नहीं बनाई जा सकतीं तो वर्तमान सुरक्षा समितियां भी समाप्त कर देनी चाहिए। अखबार ने अंदेशा प्रकट किया है कि अगर ऐसा कुछ भी होता है तो भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम सामने आएंगे।
-कुलदीप चन्द अग्निहोत्री
चढ़ीगढ़
कैसे मुफ्त प्रचार हो, कैसे फैले नाम
टी़वी़ में फोटो चले, बिना चुकाए दाम।
बिना चुकाए दाम, करो यह नया तमाशा
थप्पड़ घूंसे खाओ, सीखो इसकी भाषा।
कह ह्यप्रशांतह्ण फिर माफ करो या मांगो माफी
सुनो केजरीवाल, बहुत है नाइन्साफी॥
-प्रशान्त
टिप्पणियाँ