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मुजफ्फरनगर दंगों के लिए अखिलेश सरकार जिम्मेदार : सर्वोच्च न्यायालय
-अजय मित्तल-
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने 7 सितम्बर 2013 को भड़के मुजफ्फरनगर-शामली दंगों के विषय में दाखिल कई याचिकाओं को निपटाते हुए 26 मार्च को अपने फैसले में उत्तर प्रदेश सरकार को इनके लिए जिम्मेदार ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि दंगे के शुरुआती दौर में अपनी लापरवाही के चलते सरकार और उसकी गुप्तचर एजेंसियां न तो हालात भांप सकीं, न सरकार समय रहते उपयुक्त कदम उठाकर स्थिति बिगड़ने से रोक सकी। शीर्ष अदालत ने दंगों की जांच सीबीआई अथवा विशेष जांच दल से करवाने की मांग फिलहाल स्वीकार नहीं की है। उसने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सितम्बर 2013 में नियुक्त विशेष जांच प्रकोष्ठ (एसआईसी) अपना काम जारी रखे। पर न्यायाधीशों ने यह कार्य पूरी निष्पक्षता से करने की दृष्टि से कई दिशा-निर्देश जारी किये हैं। खंडपीठ ने सरकार से यह भी कहा है कि बिना किसी भेदभाव के दंगों की क्षतिपूर्ति की जाये, बस यह ध्यान रखा जाये कि हर्जाना वास्तविक पीड़तों को ही मिले।
यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय ने ग्राम बसीकलां से भागकर मुजफ्फरनगर शहर की वाल्मीकि बस्ती में शरण लिए 28 हिन्दू परिवारों के 129 शरणार्थियों का उल्लेख नहीं किया है, पर हिन्दू-मुस्लिम में बिना भेद किये हरजाना बांटने के निर्देश से इन शरणार्थियों में मुस्लिम शरणार्थियों के समान 5 लाख रु. की क्षतिपूर्ति पाने की आशा बलवती हुई है। देखना है कि राज्य सरकार इन्हें राहत देती है कि नहीं।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई शरणार्थी 5 लाख रु. की राशि पाने के बाद अपनी मूल रिहाइश पर वापस लौटना चाहता है, तो वह इसके लिए स्वतंत्र है, इस कारण उससे राहत राशि वापस नहीं ली जायेगी। पर वे वास्तविक रूप से पीडि़त हुए थे, इस संबंध में राज्य सरकार सुनिश्चित हो ले। जिन कृषकों के ट्रैक्टर, पशुधन और फसलें दंगाइयों ने नष्ट कीं, उन्हें अदालत के निर्देशानुसार एक मास में स्थानीय प्रशासन को इस बारे में आवेदन करना होगा तथा प्रशासन उसके बाद अगले एक मास में उन्हें पर्याप्त मुआवजा देगा। न देने की दशा में वे पुन: सर्वोच्च न्यायालय में जा सकते हैं।
ग्राम किरथल, जिला बागपत, जहां एके-47 और 9 एमएम के कारतूस बरामद हुए थे और प्रशासन मामले की लीपापोती की ओर बढ़ रहा था, के संबंध में अदालत ने कहा है कि पुलिस को संबंधित अभियुक्तों की पहचान करके भारतीय दंड संहिता एवं शस्त्र अधिनियम के तहत कार्रवाई करनी होगी।
मुस्लिम महिलाओं द्वारा दंगे के दौरान बलात्कार की दर्ज कराई गयी कई रपट फर्जी पायी गयीं हैं। शेष में अदालत ने पीडि़ताओं को पांच-पांच लाख का हर्जाना देने का आदेश दिया है। ल्ल
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