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देशी-विदेशी जिहादी ताकतें अब सीरिया में भी भारतीय मुसलमान छात्रों को आतंकवाद का पाठ पढ़ाने में लग गई हैं। अभी हाल ही में पता चला है कि तमिलनाडु के दो मुसलमान छात्र सीरिया में आतंकवाद का ह्यपाठह्ण पढ़ रहे हैं। भारतीय जांच एजेंसियां इस मामले की जांच करने में जुट गई हैं। खबरों के अनुसार तमिलनाडु के कड्डलोर के गुल मोहम्मद माराकाची मारिकर ने चेन्नै के दो कॉलेज छात्रों को सीरिया भेजा है,जहां वे दोनों जिहादी गुटों से प्रशिक्षण ले रहे हैं। गुल मोहम्मद को हाल ही में सिंगापुर से प्रत्यर्पण करा कर भारत लाया गया है। वह वहां सुप्रसिद्ध सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनी आईबीएम में काम करता था। गुल मोहम्मद सिंगापुर में सक्रिय कुछ अन्य लोगों के साथ चेन्नै के मुस्लिम छात्रों को जिहादी गुटों से जोड़ने का काम करता था।
सूत्रों का कहना है कि गुल मोहम्मद और उसके साथी हाजी फखरुद्दीन उस्मान अली की देखरेख में मुसलमान छात्रों को जिहादी गुटों में भर्ती करने का काम करते थे। उस्मान अली भी मूलत: तमिलनाडु का रहने वाला है और वह इस समय सिंगापुर का स्थाई निवासी है। उसकी गतिविधियों को देखते हुए काफी समय से सिंगापुर की जांच एजेंसियां उस पर निगरानी रख रही थीं। उस्मान अली ने 22 जनवरी,2014 को वाया तुर्की सीरिया की यात्रा की थी। माना जा रहा है कि उसने सीरिया में सक्रिय जिहादी गुटों के अनेक लोगों से भेंट की थी। सिंगापुर के गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि उस्मान अली जिहादी हिंसा को बढ़ावा देने के लिए षड्यंत्र रचता रहता है। यह भी कहा गया है कि हिंसा को कैसे नियोजित और क्रियान्वित किया जाए,इसमें उस्मान अली को महारथ हासिल है। 2007 में वह तमिलनाडु आया था। 2008 में वह सिंगापुर लौट गया। इसके बाद से उसके सम्पर्क गुल मोहम्मद और कुछ अन्य से बने रहे। उस्मान अली ने सीरिया की पहली यात्रा 2013 में गुल मोहम्मद की आर्थिक मदद से की थी। वहां उसने चेचन्या के विद्रोहियों से मुलाकात की थी। इसके बाद उसने अपने गुर्गों के जरिए चेन्नै में मुसलमान छात्रों को जिहादी गुटों से जोड़ने की मुहिम तेज की थी। इसकी पुष्टि नई दिल्ली में सीरिया के राजदूत रियाद कामेल अब्बास द्वारा सितम्बर,2013 में दिए गए उस बयान से होती है,जिसमें उन्होंने कहा था कि सीरिया में भारतीय नागरिक भी जिहादियों के साथ लड़ रहे हैं। ल्ल
लादेन का दामाद भी आतंकवाद का दोषी
न्यूयार्क के एक न्यायालय ने कुख्यात आतंकी ओसामा बिन लादेन के दामाद सुलेमान अबू गैथ को आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के तीन मामलों में दोषी पाया है। पहला है, अमरीकियों की हत्या करने के लिए षड्यंत्र रचना। दूसरा है, अल-कायदा की सहायता करना और तीसरा है, अल-कायदा की मदद के लिए एक समूह तैयार करना। जानकारों का मानना है कि सुलेमान अबू को उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि सुलेमान अबू को 2013 में जॉर्डन में पकड़ा गया था और उसी वक्त उसे अमरीका लाया गया था। सुलेमान अबू वह शख्स है,जिसने अमरीका पर 9/11 के हमले के बाद अल-कायदा के प्रवक्ता की भूमिका निभाई थी। गिरफ्तारी से पहले भी वह अल-कायदा में अहम स्थान रखता था। सुलेमान अबू ने अमरीकी अदालत में यह स्वीकारा है कि 9/11 के हमले से पहले बिन लादेन ने खुद उसे अल-कायदा का प्रवक्ता बनने के लिए कहा था, किन्तु उसे हमले की जानकारी नहीं थी। अदालत ने सुलेमान की इस दलील को नहीं माना और उसे दोषी ठहराया।
चेहरा नहीं ढका, तो चरित्र पर संदेह
जॉर्डन की राजधानी ओमान की एक अदालत ने कहा है कि यदि कोई महिला हिजाब से अपना चेहरा नहीं ढकती है,तो उसे वेश्या कहा जाएगा। अदालत ने यह फैसला एक फतवे का समर्थन करते हुए दिया है।
उस फतवे में कहा गया था कि हिजाब न पहनने वाली महिलाएं बुरे चरित्र की और वेश्या के समान हैं। अदालत के इस फैसले की बड़ी निन्दा हो रही है। उधर अफगानिस्तान में एक ऐसे मदरसे का पता चला है, जो महिलाओं को सिखा रहा है कि रेडियो सुनना, टेलीविजन देखना, तस्वीर खींचना और महिलाओं का घर से बाहर जाकर काम करना गैर-इस्लामी है। यह मदरसा अफगानिस्तान के कुदंुज प्रान्त में है। इसका नाम है ह्यअशरफ उल मदारस।ह्ण यह मदरसा केवल महिलाओं के लिए है और इसकी स्थापना चार साल पहले कुदंुज के दो मौलवियों ने की थी। बताया जाता है कि इस मदरसे में लगभग छह हजार मुस्लिम लड़कियां पढ़ती हैं। प्रस्तुति : अरुण कुमार सिंह
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