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कल तक अरविंद केजरीवाल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले ह्यआम आदमी पार्टीह्णके विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने अपनी ही सरकार और उसके मुखिया केजरीवाल पर संवाददाता सम्मेलन में जमकर हमला बोला। बिन्नी ने आरोप लगाया कि सरकार ने दिल्ली की जनता के साथ वाद ाखिलाफी की है। चाहे वह पानी और बिजली बिल में कटौती का मुद्दा हो या फिर जनलोकपाल या भ्रष्टाचार का। पार्टी के नेता सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं। कांग्रेस के इशारे पर ह्यआआपा' की सरकार चल रही है। बिन्नी ने तीखे स्वर में कहा कि आम आदमी पार्टी का गठन किसी को मुख्यमंत्री, विधायक और सांसद बनाने के लिए नहीं हुआ था। जनता कांग्रेस के भ्रष्टाचार और उसके उत्पीड़न से परेशान थी जिसके चलते अन्ना का आंदोलन हुआ और उसी का परिणाम है कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली चुनाव में अच्छे नतीजे मिले हंै। पर सरकार में आते ही केजरीवाल की करनी-कथनी में अंतर आ गया है। अरविंद जनता के साथ धोखा कर रहे हंै।
मुफ्त पानी का मुद्दा
चुनाव पूर्व अरविन्द ने जनता से कहा था कि हमारी पार्टी प्रत्येक परिवार को 700 लीटर शुद्घ पानी मुफ्त देगी। पर चुनाव जीतते ही अचानक पार्टी ने ऐसा फैसला किया जो चौंकाने वाला है। अरविन्द ने 701 लीटर से ज्यादा पानी प्रयोग करने वालों के लिए सरचार्ज के साथ बिल देने का भी फैसला कर दिया।
बिजली दर में कटौती पर भी पलटे
चुनाव में प्रचार के समय पार्टी जनता से बिजली दर को आधा करने की बात करती थी, लेकिन सरकार बनने के बाद उसने जनता के हित में अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है लेकिन सच तो ये है कि सरकार तो अपने दफ्तर में मौज काट रही है पर मुझ जैसे विधायक को जनता का सामना करना पड़ता है। सरकार को बने हुए19 दिन हो गए लेकिन जनलोकपाल बिल कहां है?
जनलोकपाल बिल पार्टी के गठन का एक अहम मुद्दा था। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि सरकार बनने के 15 दिन के अंदर लोकपाल बिल पास किया जाएगा, लेकिन अभी तक लोकपाल बिल पर कोई चर्चा तक नहीं हुई है।
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर क्या हुआ?
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास डेनमार्क की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार के किसी भी एक मंत्री का इस मुद्दे पर कोई बयान तक नहीं आया है। यदि दिल्ली में दूसरी पार्टी की सरकार होती तो आआपा विरोध प्रदर्शन करके मुद्दा खड़ा कर देती पर सत्ता मिली तो क्या महिला सुरक्षा का मुद्दा गौण हो गया ?
भ्रष्टाचार के मुद्दे
ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केजरीवाल ने कांग्रेस से समझौता कर लिया है। पार्टी जब चुनाव लड़ रही थी तब तो कहा जाता था कि जैसे ही हम सरकार बनाएंगे तो शीला और उनके भ्रष्टाचारी मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। पर हुआ क्या? कार्रवाई तो दूर जांच के लिए आदेश तक नहीं दिए गए। सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब विधानसभा में केजरीवाल ने डॉ. हर्षवर्धन से कहा कि आप शीला और उनके मंत्रियों के खिलाफ सबूत मुहैया कराएं। सवाल यह है कि जब आपके पास सबूत नहीं थे तो सार्वजनिक मंच से गंभीर आरोप क्यों लगा रहे थे?
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