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मुजफ्फरनगर और शामली के पांच राहत शिविर ऐसे हंै जहां से अभी भी दंगा पीडि़त अपने घरों को लौटने का नाम नहीं ले रहे हंै। ये शिविर सेकुलर दलों सपा, बसपा और कांग्रेस की राजनीति के केंद्र बने हुए है। दुखद यह है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ये शिविर मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने का जरिया बनते दिख रहे हैं। उन्हें खुश करने की लोगो में होड मची हुई है। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की मुस्लिमों पर दावेदारी को अब कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के 22 दिसंबर को मुजफ्फरनगर और शामली के राहत शिविरों का अचानक दौरा करने से सूबे की सियासत एकाएक गरमा गई। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के इस बयान से कि शिविरों में दंगा पीडि़त नहीं, बल्कि दूसरे दलों के समर्थक रुके हैं ने मुस्लिम उलेमाओं में हडकंप पैदा कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर जहां राजनीतिक क्षेत्रों में नई बहस छिड़ गई है, वहीं तटस्थ लोग शिविरों के समाप्त न होने के पीछे की वास्तविकता और सच्चाई जानने के प्रयासों में जुट गए हैं।
यदि इन शिविरों के पीछे प्रशासनिक दृष्टिकोण को देखा जाए तो राजनीति से अलग तस्वीर सामने आती है। इसी कोशिश में इन पंक्तियों के लेखक ने सहारनपुर के आयुक्त भुवनेश कुमार से वास्तविकता जानने का प्रयास किया। उनका कहना था कि ऐसा लगता है कि मुजफ्फरनगर और शामली के पांच कैंपों में बचे करीब 3900 शिविरार्थियों के दिमाग में यह बात बैठा दी गई है कि जिन जगहों पर शिविर लगे हुए हैं उस भूमि को उनके नाम आवंटित किया जा सकता है। शायद यही वजह रही होगी कि राहुल गांधी से मलिकपुरा शिविर के लोगों ने उस भूमि को उनके नाम आवंटित किए जाने की मांग भी की थी। उनका दो टूक कहना है कि राहत शिविरोंे में रहने वाले शरणार्थियों को किसी भी कीमत पर सरकारी भूमि का आवंटन नहीं किया जाएगा। शरणार्थियों के लिए बेहतर होगा कि वे जल्द से जल्द अपने घरों को लौट जाएं।
आयुक्त भुवनेश कुमार ने कहा कि प्रशासन प्रधानों, गैर सरकारी संगठनों और राजनैतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से 47 हजार लोगांे की घर वापसी करा चुका है। प्रशासन ने कुल 1400 परिवारों को प्रति परिवार पांच लाख रुपये की सहायता राशि दी है। आयुक्त ने माना कि आईजी जोन आशुतोष पांडे के प्रयासों से लोगो में एक-दूसरे के प्रति भरोसे की भावना पैदा हुई है और सामाजिक समरसता और भाइचारे की भावना फिर से उन इलाकों में दिखने लगी है। प्रशासन जन सहयोग से इस दिशा में तेजी के साथ काम कर रहा है।
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