अनुच्छेद-370 की आड़ में जनता का शोषण
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गत 23 दिसम्बर को जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र चंडीगढ़ शाखा द्वारा जम्मू कश्मीर-तथ्य, समस्या व समाधान विषय पर पंजाब विश्वविद्यालय चडीगढ़ के समाज विज्ञान शोध केन्द्र में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया था। गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार व भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सन् 1947 में लगभग 560 रियासतों ने भारत सरकार के रियासती मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर किये थे, जिनमें जम्मू-कश्मीर रियासत भी एक थी। लेकिन कुछ इतिहासकारों ने अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया को यह कहना शुरु कर दिया कि ये रियासतें भारत में शामिल हुई हैं। जम्मू-कश्मीर के बारे में भी यही कहा जाने लगा और अब तक भी यही कहा जा रहा है। लेकिन ऐसा मानना भ्रामक ही नहीं था , बल्कि शरारतपूर्ण भी था। ये रियासतें शासकों द्वारा अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर करने से पूर्व भी भारत का अन्तरंग भाग थीं। अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुये प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि रियासतों में संघीय संविधान को क्रियान्वित करने के लिये जब सभी प्रक्रियाएं पूरी हो रहीं थीं तो उनको जम्मू-कश्मीर में उस समय पूरा करना सम्भव नहीं था, क्योंकि राज्य पर पाकिस्तानी आक्रमण हो चुका था और राज्य का कुछ भू-भाग मसलन, जम्मू संभाग के कुछ हिस्से , पंजाबी भाषी मुजफ्फराबाद और गिलगित पाकिस्तान के कब्जे में थे। इसलिये जम्मू-कश्मीर को भी संघीय संवैधानिक व्यवस्था में हिस्सेदारी देने के लिये संविधान में अनुच्छेद 370 का अस्थाई रूप से प्रावधान किया गया था। लेकिन आज उसकी वह उपयोगिता समाप्त हो चुकी है लेकिन प्रदेश के कुछ राजनीतिक लोग अपने निजी स्वाथोंर् के लिये, इस अनुच्छेद के नाम पर जनता का शोषण कर रहे हैं। जम्मू केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. अशोक ऐमा ने उपस्थित लोगों को घाटी की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज कश्मीर घाटी में आतंकवाद उद्योग का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिन्दुओं को पुन: घाटी में बसाने के लिए केन्द्र सरकार को योजना बनानी चाहिये। केन्द्र की चंडीगढ़ शाखा के संयोजक प्रो. टंकेश्वर प्रसाद ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक बाल्यान ने उपस्थिति सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
प्रतिनिधि
23 दिसम्बर को मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में ह्यरन फार यूनिटीह्ण सरदार वल्लभभाई पटेल दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेचु ऑफ यूनिटी कार्यक्रम के तत्वावधान में इन्दौर शहर का युवा वर्ग, सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी, महिलाओं ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा से रीगल तिराहे की गांधी प्रतिमा तक दौड़ लगाई।
युवाओं के हाथों में भगवा ध्वज, राष्ट्ीय ध्वज थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के समय 565 देसी रियासतों को जोड़कर संगठित देश की नींव रखी थी, जो आज भी कायम है। गौरतलब है कि गुजरात के मुख्यमंत्री एवं भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार श्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में स्टेचू ऑफ यूनिटी सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा तथा देश की एकता के लिए यह आयोजन किया था तथा प्रत्येक गांव व शहर से लोहा मांगा गया है। 23 दिसम्बर की सुबह 7 बजे से ही हजारों युवा, बुजुर्ग, महिलाएं सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रतिमा पर इकठ्ठे होना शुरू हो गए। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ह्यह्यरंग दे बसंती चोलाह्णह्ण गीत गाकर देश भक्ति का वातावरण युवाओं में भर दिया। संासद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुमित्रा महाजन, इन्दौर नगर निगम महापौर एवं पूर्व सांसद कृष्णमुरारी मोघे, प्रदेश संगठन मंत्री अरविंद मेनन, तिब्बत के सांसद व्येमा जुगने, अभिनेता जैकी भगनानी, शहर भाजपा अध्यक्ष शंकर ललवानी, भाजयुमो अध्यक्ष गोलू शुक्ला ने भी दौड़ में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के आयोजन संयोजक मंत्री कैलाश विजयवर्गीय तथा सह संयोजक जीतू जिराती ने सभी लोगों का धन्यवाद किया।
राजशेखर शास्त्री
कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए तीन उअरब
उत्तर प्रदेश की सपा सरकार मुसलमानों पर खासी मेहरबान है। सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण करने की अपनी नीतियों से कतई बाज नहीं आ रही है और अपना वोट बैंक मजबूत करने में जुटी है। सपा सरकार राजकीय कोष के घाटे को नजरअंदाज करते हुए मुसलमानों के कब्रिस्तानों और कब्रगाहों की सुरक्षा और मरम्मत के लिए तीन सौ करोड़ से अधिक धनराशि खर्च करने को तैयार है।
शासन की तरफ से अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को दिए गए आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए ह्य भूमि सुरक्षा योजना ह्ण के अंतर्गत चारदीवारी करने के लिए बजट स्वीकृत किया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2013-2014 में तीन सौ करोड़ रुपये की स्वीकृति शासन स्तर से प्रदान की गई है। कब्रिस्तानों और कब्रगाहों की मरम्मत और सुरक्षा के लिए राजकोष से 300 करोड़ रुपए खर्च करने पर अफसरशाही भी परेशान है। शासन का दबाव है कि आवटिंत राशि इसी वित्तीय वर्ष यानी मार्च 14 तक खर्च की जाए। दरअसल प्रदेश में कई कब्रिस्तान विवादों में है, जबकि सरकार का आदेश है कि उन्हीं कब्रिस्तानों व अंतयेष्टि स्थलों पर कार्य कराया जाए, जहां कोई विवाद न हो।
हरिमंगल
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