काटने ले जा रहे 58 गोवंश मुक्त
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उत्तर प्रदेश में जमकर गोवंश की तस्करी हो रही है। गत 22 दिसंबर को दो अलग अलग जगहों पर ग्रामीणों ने तस्करी करके काटने के लिए ले जाए जा रहे गोवंश को मुक्त कराया। प्रदेश के दनकौर क्षेत्र के गांव गिरधरपुर के पास ग्रामीणों ने नशे के इंजेक्शन लगाकर ट्रक में लादकर काटने के लिए ले जाए जा रहे 58 गोवंश को ग्रामीणों ने मुक्त कराया। गायों को भूसे से भरी बोरियों से ढककर रखा गया था। मुक्त कराए जाने तक दो गायों की मौत हो चुकी थी। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने सरकार और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वहीं धौलाना क्षेत्र में भी मिनी ट्रक में लादकर काटने के लिए ले जाई जा रही गायों को ग्रामीणों ने मुक्त कराया। ग्रामीणों ने गायों को लेकर जा रहे तीन लोगों को दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
गत 22 दिसंबर को गिरधरपुर गांव के पास से गुजर रहे एक ट्रक से गायों के बोलने की आवाज सुनकर ग्रामीण वहां पहुंच गए। ग्रामीणों ने ट्रक में रखी भूसे से भरी बोरियों को हटाया तो देखा कि ट्रक में निर्मम तरीके से गायों को लादा गया था। शोर शराबा होने पर बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां पर इकट्ठा हो गए। इस बीच मौका देखकर ट्रक का चालक वहां से फरार हो गया। ग्रामीणों ने ट्रक से 58 गोवंश मुक्त कराए। जिनमें से दो गायों की मौत हो गई। गायों और बछड़ों को नशे के इंजेक्शन लगाए गए थे। ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सड़क पर जाम लगा दिया। मौके पर पहुंचे वरिष्ठ अधिकारियों ने तस्कर माफिया को गिरफ्तार करने का आश्वासन देकर लोगों को समझा बुझाकर शांत किया। धौलाना क्षेत्र में भी ग्रामीणों ने काटने के लिए ले जाए जा रहे गोवंश को मुक्त कराया। प्रतिनिधि
२४ दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के उपलक्ष्य में उपभोक्ताओं को जागरूक करने व उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की प्रदेश इकाई द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित न्यायमूर्ति एस़ एन. ढींगरा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज सबसे पहले ग्राहकों को ही जागरुक होना होगा तब ही उनको अपने अधिकारों का लाभ मिलेगा और जो ग्राहकों के साथ धोखेबाजी हो रही है वह नहीं हो सकेगी। उन्होंने कहा कि आज देश-विदेश की दवा कंपनियां बीमार व निर्धन लोगों को लूटने में लगी हैं। शिक्षा, कृषि, चिकित्सा के क्षेत्रों में यह गोरखध्ंाधा चल रहा है। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित अमरजीत चोपड़ा ने कहा कि बाजार में बैठे दूकानदार ग्राहकों को लूटने के लिए सदैव तैयार रहते हैं। ग्राहकों के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 तो है, लेकिन कानून होने के बाद भी लाखों ग्राहकों की समस्याएं व उनके प्रार्थना पत्र न्यायालय में विचाराधीन हैं। फिर कानून होने से क्या फायदा जब ग्राहकों के अधिकारों की सुरक्षा ही नहीं हो रही है। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने कहा कि पहले देश में सिर्फ एक ही ईस्ट इंडिया कंपनी थी पर अब हमारे यहां लाखों ईस्ट इंडिया कंपनी मौजूद हैं, जो ग्राहकों को लूटने का काम कर रहीं हंै। कार्यक्रम के दौरान एस़के़वी केशवपुरम् विद्यालय के बच्चों ने ह्यभारत माताह्ण पर आधारित एक मनोरम नाटक प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से आए लोग उपस्थित थे। प्रतिनिधि
धारा 377 पर केंद्र की पुनर्विचार याचिका
ेसमलैंगिक संबंधों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय ने बालिगों के आपसी सहमति से बनाए गए समलैगिंक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने समलैगिंक संबंधों को अपराध माना है और इस संबंध में धारा-377 को वैध करार दिया है। इसके तहत अप्राकृतिक यौनाचार के लिए उम्र कैद तक की सजा हो सकती है। इसी फैसले को लेकर केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है।
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के दो जुलाई, 2009 का निर्णय निरस्त करते हुये कहा था कि धारा 377 अंसवैधानिक नहीं है। न्यायाधीशों ने कहा था कि उच्च न्यायालय की व्यवस्था कानूनी दृष्टि से टिकाऊ नहीं है।
केंद्र की पुनर्विचार याचिका को महान्यायवादी गुलाम वाहनवती ने अंतिम रूप दिया है। इसमें पुनर्विचार याचिका का निबटारा करने से पहले खुले न्यायालय में मौखिक दलीलें पेश करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है। सामान्यतया पुनर्विचार याचिका पर न्यायाधीश के कक्ष में निर्णय किया जाता है।
अधिवक्ता देवदत्त कामत के जरिये दायर पुनर्विचार याचिका में केन्द्र सरकार ने 11 दिसंबर के निर्णय पर पुन: विचार के लिये 76 आधार दिए हैं। निर्णय को शीर्ष अदालत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 से मिले मौलिक अधिकारों के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। प्रतिनिधि
वायुसेना को मिलेगा विमान तेजस
भारतीय वायुसेना में देश के पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने गत 20 दिसंबर को बेंगलुरू में हल्के लड़ाकू विमान तेजस के प्राथमिक संचालन की मंजूरी के दस्तावेज वायुसेना के हवाले किए। विमान को शस्त्रास्त्रों से लैस करने के बाद वर्ष 2015 से तमिलनाडु में इसकी पहली स्क्वाड्रन शक्ल लेना शुरू कर देगी। इस अवसर पर रक्षा मंत्री एके एंटनी ने तेजस को भारत की सैन्य विकास यात्रा में मील का पत्थर बताते हुए कहा कि स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने का सपना साकार कर लिया गया है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंद्र के मुताबिक तेजस फिलहाल एक सुरक्षित विमान के तौर पर तैयार हुआ है, लेकिन इसे अभी सामान्य नजर से न दिखने वाले लक्ष्य को भेदने में सक्षम बीवीआर मिसाइलों, नजदीकी हवाई युद्ध के लिए जरूरी प्रक्षेपास्त्र तथा विमान पर लगने वाली गन से लैस किया जाना है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन.ए.के. ब्राउन ने कहा कि प्राथमिक मंजूरी के बाद पायलट तेजस को उड़ाने लगेंगे। शुरुआती योजना 120 तेजस लेने की है, जो रिटायर हो रहे मिग-21 विमानों की जगह लेंगे। प्रतिनिधि
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