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पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर अब एक नया कदम उठाया जा रहा है। सरकारी घोषणाओं के अनुसार जम्मू में पाकिस्तान के साथ लगने वाली लगभग 190 किलोमीटर सीमा के पास एक ऊंची दीवार बनाई जाएगी । जिस पर करोड़ों रुपये का खर्च आएगा। सरकार के कुछ सूत्रों की मानें तो इस दीवार के बन जाने से पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गोलाबारी का दुष्प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में रुक जाएगा और किसान बिना किसी भय के खेती कर सकेंगे। लेकिन इस दीवार के निर्माण पर कई आपत्तियां भी उठाई जा रही हैं क्योंकि 10 वर्ष पूर्व सीमा के पास भारी खर्च करके कांटेदार तार व अन्य उपकरण लगाए गए थे। लेकिन इसके बावजूद घुसपैठ में कोई कमी नही आयी।
सीमा पर जब कांटेदार तार लगाए जा रहे थे तो पाकिस्तान ने इसको लेकर कई आपत्तियां उठाई थी,जिसके कारण दवाब में आकर यह तार सीमा से हटकर करीब 1000 मी़ पीछे लगाए गये। आज स्थिति यह है कि तार लगे होने के कारण किसान अपने खेत में ही नहीं पहंुच पा रहे हैं, जिससे खेत बंजर हो रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अब दीवार बनाने से न केवल भारी खर्चा होगा अपितु कई प्रकार की नई समस्याएं उत्पन्न हो जाएगी, जिनमें प्रमुख रूप से पानी का निकास न होने के कारण कई गंाव बाढ़ की समस्याओं का शिकार होंगे, जिससे खेती करने योग्य भूमि भी बची न रह सकेगी। सीमा पर लोगों में एक भय का माहौल निर्माण किया जा रहा है। सीमा के पास रहने वाले किसानों को पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गोलाबारी और अन्य भयंकर गतिविधियों से बचने के उपाय सुझाए जाते हैं,जबकि उस पार के लोग शून्य रेखा तक अपनी खेती एवं अन्य सभी कारोबार करते हैं ।
उल्लेखनीय है कि सीमा पर भारी व्यय के साथ कांटेदार तार लगाने के पश्चात भी पाकिस्तान की ओर से न तो घुसपैठ कम हुई और न ही उसके आक्रामक रुख में कोई परिवर्तन आया। आए दिन होती घुसपैठ और उग्रवादियों के हमलों से जम्मू-कश्मीर में जान-माल की बहुत ही क्षति हुई है। इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक हुए हमलों में 30000 उग्रवादी मारे जा चुके हैं , जिनमें 8000 के लगभग विदेशी थे साथ ही 10000 के लगभग सेना तथा अन्य सुरक्षाबलों सहित 20000 निर्दोष नागरिक भी इस प्रकार के हमलों का शिकार हुए हैं।
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