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चुपके-चुपके आती निंदिया।
आंखों में छा जाती निंदिया।।
चिंता की गठरी को फेंके।
सुख के बाग लगाती निंदिया।।
परीलोक की सैर मनोहर।
हम सको करवाती निंदिया।।
शहदीले, सतरंगी सपने।
मुस्काकर दिखलाती निंदिया।।
जब थकान का भूत सताए।
अपने पास बुलाती निंदिया।।
दादा, दादी, नाना, नानी।
सबका चित्त चुराती निंदिया।।
दवा मुफ्त की तकलीफों की।
दुनिया में कहलाती निंदिया।।
घमंडीलाल अग्रवाल
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