राहत की आड़ में मतांतरण का दुष्चक्र
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उत्तराखण्ड का गठन हुआ तो इस राज्य की पहचान दुनिया के नक्शे पर देवभूमि के रूप में की गई थी, लेकिन अब इसी देवभूमि उत्तराखंड में ईसाई मत के अधकचरे प्रचारकों का मतातंरण मिशन जोरों पर है। राज्य के दूर-दराज इलाकों में गरीब और वंचित समुदाय के बीच प्रचारक अपनी जड़ें जमाकर व्यापक स्तर पर मतातंरण में जुटे हैं। उत्तराखंड में विभिन्न जनपदों के लगभग दो दर्जन से अधिक कस्बों में जाकर जुटाई गई जानकारी से यह बात साबित होती है।
उत्तराखंड में आई आपदा के बाद रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि, विजयनगर और चंद्रापुरी जैसे कस्बों में भी आपदा के बाद ईसाई मिशनरियों की गश्त बढ़ गई है। मिशनरी से जुड़े लोग आपदा पीडि़तों के पास जा-जाकर उन्हें आपदा में गंवाई हुई दुकान, वर्कशॉप और तमाम मशीनों की क्षतिपूर्ति में सहायता करने का प्रलोभन दे रहे हैं। दो माह से स्थानीय लोग मिशनरियों के चक्कर काटने में लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि ये लोग सिर्फ उन्हीं लोगों को सहायता देंगे, जो बाद में इनके मत के प्रति प्रेरित होगा।
जानकारी के अनुसार हरिद्वार जिले में कम से कम एक दर्जन ऐसे स्थल हैं, जिनका उपयोग मतातंरण के लिए किया जा रहा है। कई बार हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के विरोध के कारण चर्चा में आए इन स्थलों की छानबीन भी की गई और मतातंरण के कई मामले पकड़े भी गए। कुछ दिनों तक शांत बैठने के बाद ईसाई मिशनरी के कार्यकर्ता फिर सक्रिय होकर प्रचार और मतातंरण करने में जुट जाते हैं। विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े मुनेंद्र शर्मा का कहना है कि देश में हर व्यक्ति को अपना अपना मत अपनाने व उस पर चलने की आजादी है, लेकिन किसी को भी लालच देकर या फिर बहला – फुसलाकर मतातंरण के लिए प्रेरित करना कानून सम्मत नहीं है। ऐसा और ऐसा करना सामाजिक व्यवस्था के भी विरुद्ध है। उनकी जानकारी के अनुसार रुड़की के गणेशपुर, आदर्श नगर और रुड़की से सटे गांव ढंडेरी में गरीब तबके के लोगों को थोड़े से लालच में उनका मत बदल देने का गोरख धंधा ईसाई मिशनरी से जुड़े कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है।
इसकी पुष्टि करते हुए क्रिश्चियन सॉलिडेरिटी सोसायटी (सीएसएस) के अध्यक्ष सुनील ए. ल्यूक कहते हैं कि ईसाई पंथ में किसी को प्रलोभन देकर ईसाई बनाना गलत है। वह कहते हैं कि कुछ ईसाई मत प्रचारकों के विरुद्ध गुस्सा इसलिए उपजता है क्योंकि वे गलत तरीके से मतातंरण करवाते हैं। सीएसएस ईसाई संस्थाओं की एक संयोजक संस्था है। सीएसएस से देहरादून की 80 ईसाई संस्थाएं संबंद्ध हैं। उल्लेखनीय है कि ग्राम साढोली, मखदूमपुर, कलियर समेत आधा दर्जन गांव ऐसे हैं, जहां मतांतरण का गोरखधंधा लोगों को बहला फुसला कर व प्रलोभन देकर चलाया जा रहा है।
कलियर में तो हाल ही में एक युवती को बहला फुसलाकर एक युवक मंगुपुरा ले गया और उसे मत परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया गया। मामला पुलिस के पास पहंुचने तक पहुंचा तब जाकर युवती को बचाया जा सका। उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, चमोली और कुमायू एक महिला आश्रम धर्म परिवर्तन के केंद्र बिन्दु बने हुए हैं। वर्ष 2008 में रुड़की के गांव सढोली में मत परिवर्तन के लिए लोगों को उकसाने पर कई हिंदू संगठनों ने विरोध किया था, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह लगाम नहीं लगाई जा सकी है। रुड़की के गणेशपुर पुर्वावली में लोगों को मत बदलने के लिए प्रेरित करने के लिए उनके घरों पर जाकर ईसाई साहित्य बांटा जाता है। इसके बाद उन्हें प्रार्थना सभा में बुलाकर मत परिवर्तित कराने की मुहिम चलाई जा रही है। मुनेन्द्र शर्मा की मानें तो उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों में करीब साढ़े चार हजार ईसाई प्रसारक दूसरे मत पंथों के लोगों को मतांतरण करने के लिए तरह-तरह के अभियान चला रहे हैं।
टिहरी जिले के भिलंगना विकासखंड में सक्रिय रोमन कैथोलिक चर्च तो मतातंरण की हदें पार कर रहा है। भिलंगना विकासखंड के 60 गांवों में से बासर पट्टी के केपार्स गांव के बीस से अधिक परिवार ईसाई मत स्वीकार कर चुके हैं। इन परिवारों के सभी सदस्यों को छतियारा वासर के पास बालगंगा में निर्मित एक तलैया में कमर तक पानी में खड़ा करके बपतिस्मा देकर ईसाई बनाया जा चुका है। सभी मतांतरित परिवारों के बच्चे शासकीय विद्यालयों के अभिलेखों में हिन्दू के रूप में ही अंकित हैं, आरक्षण संबंधी सभी प्रकार के लाभ भी उन्हें मिल रहे हैं। क्षेत्रवासियों द्वारा इस संबंध में तहसीलदार और उपजिलाधिकारी घनसाली से शिकायत भी की है।
लाचार लोगों को आर्थिक प्रलोभन
अपने अभियान के पहले चरण में पादरियों ने गांव या कस्बों में पैठ बनाने के लिए कई जगह तेजतर्रार स्थानीय लोगों आर्थिक मदद करके अपने साथ मिला लिया है। अब वही लोग अपने परिचित स्थानीय लोगों को ईसाई मत अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गरीब तबके के लोग आर्थिक सहायता मिलने की आस में ईसाई बन जाते हैं, लेकिन जब वे लोग ईसाई बन जाते हैं और उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं भी मिलता, वे वापस हिंदू धर्म में भी नहीं जा पाते, क्योंकि तब तक उनकी बिरादरी उनसे अलगाव स्थापित कर चुकी होती है।
्रगत 27 अक्तूबर को बेलगाम के कॉरपोरेशन परिसर में सैकड़ों हिंदुओं का मतांतरण करने के लिए की जा रही ह्य प्रार्थना सभाह्ण में पहुंचकर हिंदुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं का मतांतरण होने से रोक दिया। श्रीराम सेना के नेृतत्व में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने इसकी जानकारी वहां की स्थानीय पुलिस को भी दे दी थी। प्रार्थना सभा तेलुगू मदिगर समाज की तरफ से बुलाई गई थी। कार्यकर्ताओं को सूचना मिली थी कि हर रविवार को इस तरत ही प्रार्थना सभा बुलाई जाती है, जिसमें हिंदुओं को मतांतरण करने के लिए बरगलाया जाता है। इस बीच मौके पर पहुंची पुलिस के साथ मतांतरण के लिए ह्यप्रार्थना सभाह्ण कर रहे कुछ लोगों का पुलिस से विवाद भी हुआ। आयोजकों का कहना था कि वह कुछ गलत नहीं कर रहे हैं। हिंदुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की प्रार्थनासभा न आयोजित की जाए। यदि ऐसा किया गया तो मजबूरन हमें जबरन उसे बंद कराना पड़ेगा। इससे पूर्व 20 अक्तूबर को भी हिंदुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं ने कला मंदिर में एक ह्य प्रार्थना सभाह्ण में पहुंचकर हिंदुओं का मतांतरण होने से रोका था। ह्यप्रार्थना सभाह्ण लाइफ फैलोशिप चर्च की तरफ से बुलवाई गई थी, जिसका उद्देश्य वहां हिंदुओं को बुलाकर उनका मतांतरण करना था। उल्लेखनीय है कि हिन्दुवनिष्ठ कार्यकर्ता इससे पहले कई बार ऐसी ह्यप्रार्थना सभाओंह्ण पर रोक लगाने के लिए आवाज उठा चुके हैं, जहां पर लोगों को बरगलाकर उनका मतांतरण किया जाता है। वर्ष 2007 में तेलुगू मदिगर समाज ने ह्यप्रार्थना सभाएंह्ण आयोजित करने के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति ली थी, लेकिन उन्होंने जो समय लिया था उसके पूरा होने के बाद भी उन्होंने इस तरह की ह्यप्रार्थना सभाएंह्ण जारी रखीं।।
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