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मुजफ्फरनगर में पिछले दिनों जो हुआ और सपा सरकार का जो उस पर लचर रवैया रहा उसके गुस्से के निशाने पर आए राज्य सरकार के दस मंत्रियों को वह याद रहेगा। 5 अक्तूबर को प्रदेश के मंत्री शिवपाल यादव अपने साथ नौ मंत्रियों की फौज और 50 से ज्यादा गाडि़यों का काफिला लेकर मुजफ्फरनगर के कवाल और मलिकपुरा आदि गांवों में गये। उनका पहला पड़ाव तो तमाम 'सेकुलर' नेताओं का तीर्थ बन चुका कवाल-स्थित सलीम कुरैशी का मकान ही था। इसके बाद संतुलन बैठाने की कवायद के तहत वे मलिकपुरा में सचिन-गौरव के घर गये। यहां इन मंत्रियों को उस गुस्से का स्वाद चखने का भरपूर अवसर मिला, जो तुष्टीकरण की सरकारी नीतियों ने हिन्दू जनमानस में लावे के समान भर दिया है। शिवपाल यादव के सामने उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गयी जब एक मृतक की मां ने मंत्रियों को बैठने के लिए दिया गया मूढ़ा खींच लिया। मृतक की बहन भी मंत्रियों पर बरस पड़ी।
शिवपाल यादव की गौरव और सचिन (जिन्हें 27 अगस्त को कवाल के 'लव-जिहादी' गिरोह ने निर्मम तरीके से मारा था) की बहनों से खड़े-खड़े वार्ता हुई। बहनों की सीबीआई जांच की मांग शिवपाल ने ठुकराई तो बहनें बिफर गयीं, बोलीं- जांच नहीं होगी तो यहां क्या वोट मांगने आये हो? आपकी पुलिस असल अपराधियों को थाने से छोड़ देती है। बेरहमी से मारा हमारे भाइयों को। रो-रोकर हमारे आंसू सूख गये। दिन-रात उनके चेहरे आंखों के आगे रहते हैं। क्या किया है सरकार ने?
बहनें चिल्ला पड़ीं कि 'आपकी पुलिस दोषियों को तो पकड़ती ही नहीं, सजा कहां से मिलेगी?' उन्होंने यह भी कहा कि एक वर्ग विशेष (हिन्दू समाज) पर अत्याचार हो रहा है। इस पर राज्यमंत्री वीरेंद्र सिंह कह उठे- आप तो पत्रकारों की तरह सवाल-जवाब कर रही हैं।' बहनें बोलीं- हम पढ़ी-लिखी हैं, क्या पत्रकार नहीं बन सकतीं? निरुत्तर और मुंह लटकाये हुए मंत्रियों का अमला चुपचाप वहां से निकल गया। इस बीच खबर है कि लकबाहावडी, फुगाना, लिसाड, ककरौली, तिनहेड़ा और मांड गांवों में हिन्दू किसानों के खेतों में खड़ी फसल को जलाकर मजहबी उन्मादियों ने खेतों के ट्यूबवैल जला दिए।
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