दिल्ली में किसान अधिकार रैली
|
अन्नदाता को ‘दान’ नहीं, मूल्य चाहिए
गत 13 सितंबर 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारतीय किसान संघ की किसान अधिकार रैली में देशभर के किसान एकत्र हुए। करीब 400 जिलों से किसान प्रतिनिधि वहां पहुंचे थे। रैली के माध्यम से किसानों की प्रमुख 5 मांगों को सरकार के समक्ष रखा गया, जो थीं- 1़ किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए। 2़ समस्त कृषि उत्पादों को लाभकारी मूल्य पर खरीदने की गारण्टी हो। 3़ कृषि बजट का अलग प्रावधान हो। 4़ पानी एवं बीजों के निजीकरण बिल को वापस किया जाए। 5़ भूमि- अधिग्रहण विधेयक के स्थान पर भूमि उपयोगिता विधेयक किया जाए, किसानों को भूमि का स्वामित्व अधिकार तथा भूमि को किराये पर पगड़ी के साथ दिये जाने का अधिकार हो और भूमि से खनिज सम्पदा प्राप्त होने पर उसकी रॉयल्टी भू-स्वामी को भी प्राप्त हो तथा कृषि योग्य भूमि को कृषि कार्यों के लिए ही सुरक्षित किया जाए।
इस संदर्भ में भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अण्णा साहेब मुरकुटे के नेतृत्व में 8 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल 12 सितम्बर को राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से मिला तथा उन्हें किसानों की समस्याओं से अवगत कराया। प्रतिनिधिमण्डल में महामंत्री श्री प्रभाकर केलकर, मंत्री श्री अम्बू भाई, श्री सुनील पाण्डेय, श्री मोहनी मोहन मिश्र, श्री बृज किशोर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री युगल किशोर शामिल थे। राष्ट्रपति महोदय ने कई बिन्दुओं पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की और अपने स्तर पर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया।
किसान अधिकार रैली को सम्बोधित करते हुए श्री अण्णा साहेब मुरकुटे ने कहा कि किसानों के ऊपर अन्याय करने की भी कुछ हद होती है। लाखों किसानों द्वारा आत्महत्या करने के बाद भी सरकार की आंखें नहीं खुलीं। इसलिए हम लोग यहां आये हैं कि देश का किसान क्या चाहता है तुम स्वयं देख लो।
राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी ने बताया कि ‘देश के हम भण्डार भरेंगे, लेकिन कीमत पूरी लेंगे’ विषय को लेकर लोग चले थे। देश का भण्डार किसानों ने भर दिया है। अब उसका लाभकारी मूल्य लेना हमारा अधिकार बन जाता है।
राष्ट्रीय सचिव श्री सुनील पाण्डेय ने कहा कि देश की आर्थिक समृद्घि के लिए कृषि के लिए अलग बजट होना जरूरी है। अगर देश का हित होना है तो ग्राम आधारित, कृषि आधारित, गो आधारित नीतियां बनाना जरूरी है।
राष्ट्रीय मंत्री श्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि जो किसान के हित में काम करेगा वही देश पर राज करेगा। सरकार ने किसानों का बीज एवं खाद छीना, भू-अधिग्रहण के माध्यम से किसानों की भूमि छीनने की पूरी-पूरी तैयारी है।
अंत में राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रभाकर केलकर ने किसानों के बीच जोश भरते हुए कहा कि सरकार भूमि सुधार के नाम पर छोटे और मंझले किसानों को खेत से निकालने की तैयारी में है। बायो-टेक्नालॉजी के नाम से सारे बीज का अधिकार किसानों से छीन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने का षड्यंत्र हो रहा है। कृषि और किसान संवैधानिक तौर पर राज्यों का विषय होते हुए भी केन्द्र की यह सरकार इसमें लगातार हस्तक्षेप करते हुए किसानों का हक छीन रही है। इससे पता चलता है कि सरकार की नीयत में खोट है। इसलिए हम और चुप नहीं बैठ सकते।
किसान अधिकार रैली के संयोजक श्री अम्बू भाई पटेल ने रैली की सारी तैयारियों और सारे प्रतिनिधियों का विवरण दिया तथा आभार व्यक्त किया। रैली के मंच पर श्री रामाशीष सहित सभी प्रांतों के अध्यक्ष व अन्य 75 किसान नेता उपस्थित थे। सभी प्रांतों से आये किसान नेताओं ने अपनी भाषा में ही किसानों का सम्बोधन कर उनमें जोश भरा। प्रांत से आये किसानों की संख्या का विवरण प्रस्तुत किया गया जो 1 लाख से अधिक के आंकड़े को पार कर गया।
रैली में भारतीय किसान संघ द्वारा कृषि नीति पर तैयार की गई पुस्तक का लोकार्पण श्री अण्णा साहेब मुरकुटे व भारतीय कृषि आर्थिकी शोध केन्द्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पृथ्वी सिंह वत्स ने किया।
टिप्पणियाँ