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प्रसिद्ध लेखक रुडयार्ड किपलिंग ने कभी कहा था, ह्यपनडुब्बियों ने अपनी ही तरह के अधिकारी और जवान तैयार किए हैं जिनकी भाषा और परंपराएं अन्य शाखाओं से अलग हैं लेकिन दिल नौसेना का है।ह्ण 13 अगस्त देर रात नौसेना ही नहीं पूरे देश के दिल पर बड़ा आघात हुआ। मुंबई गोदी में एक रहस्यमय धमाका, आकाश छूती लपटें उठीं और हम तीन अधिकारियों और 15 नौसैनिकों से सजी पनडुब्बी, आईएनएस सिंधुरक्षक को खो बैठे।
आखिर एक पनडुब्बी कितनी कीमती होती है? अर्थशास्त्र के जानकार से पूछिए, आकार और ह्य़मॉडलह्ण के आधार पर वे इसकी कीमत बताने की कोशिश कर सकते हैं, परंतु यदि आप किसी रक्षा विशेषज्ञ से यह सवाल पूछेंगे तो संभवत: उसे आपकी नासमझी पर तरस आ जाए। किसी भी नौसैनिक बेडे़ के लिए पनडुब्बी और खासकर इसी के लिए प्रशिक्षित नौसैनिक तरकश के ऐसे तीर हैं जिनकी कीमत पैसे में आंकी ही नहीं जा सकती। भारत के लिए सिंधुरक्षक के महत्व को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि आज भी दुनिया भर में सिर्फ दो सौ के करीब ही पनडुब्बियां हैं।
वैसे, फरवरी 2010 में भी सिंधुरक्षक में आग लगी थी। तब कहा गया कि संभवत: बैटरी से निकले हाइड्रोजन की वजह से यह हादसा हुआ। मगर इस बार वास्तव में क्या और क्यों हुआ, अब तक साफ नहीं है। समुद्र की अतल गहराइयों से तथ्य खंगालने और जहाजी बेड़े को फिर शक्ति से भरने में लंबा वक्त लगेगा, इतना तय है कि दिसंबर 1971 में आईएनएस खुखरी हादसे के बाद सिंधुरक्षक का सागर में समाना नौसेना के लिए दूसरा बड़ा झटका है।
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