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24 जुलाई को मुम्बई की एक अदालत ने फिल्म अभिनेता सलमान खान पर सन् 2002 में सड़क किनारे सोते लोगों पर कार चढ़ाकर वहां से भाग निकलने के मामले में आरोप तय कर दिए। सलमान पर गैर इरादतन हत्या के आरोप तय किए गए हैं। हालांकि सलमान ने खुद को निर्दोष बताया है, लेकिन उन पर आरोप तय होने के बाद मुकदमा चलेगा और अगर वे दोषी पाए गए तो उनको 10 साल की जेल हो सकती है। गैर इरादतन हत्या के लिए धारा 304(2), लापरवाही के कारण मौत के लिए धारा 279, 337, गंभीर पीड़ा पहुंचाने के लिए 338 और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या शरारत करने के लिए आईपीसी की धारा 427 के तहत आरोप तय किए गए हैं। इसके अलावा मोटर वाहन कानून और मुम्बई प्रतिबंधित कानून के प्रावधानों के तहत भी आरोप लगाए गए हैं। जिस समय ये आरोप तय किए जा रहे थे उस वक्त सलमान खुद अदालत में मौजूद थे। सलमान ने अदालत में अपनी मौजूदगी से छूट पाने की जो अर्जी दी थी वह तो जज ने मान ली, पर उन्हें निर्देश दिया है कि जब जरूरत हो उन्हें अदालत में हाजिर होना पड़ेगा।
घटना के बारे में बात करें तो 2002 में 28 सितम्बर की रात मुम्बई के बांद्रा इलाके में अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी के पास सड़क किनारे पटरी पर सो रहे कुछ लोगों पर सलमान ने कथित रूप से अपनी भारी भरकम लेंड क्रूजर गाड़ी चढ़ा दी थी, जिसमें एक आदमी की मौत हो गई थी और 4 अन्य घायल हुए थे। चश्मदीदों का कहना था कि गाड़ी सलमान खुद चला रहे थे। घटना के बाद, मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक, सलमान वहां से चुपचाप निकल लिए थे और आठ घंटे बाद उन्होंने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया था। मामले में दाखिल मेडिकल रिपोर्ट की मानें तो घटना के समय सलमान नशे में थे।
पुलिस की जांच में खामियों की तरफ इशारा करते हुए वकील आभा सिंह ने बांद्रा मेट्रोपोलिटन अदालत में निजी शिकायत दर्ज कराई थी कि पुलिस के जांचकर्ता अभिनेता को बचाने की कोशिश कर रहे थे। इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ तब आया था जब सलमान को बतौर अंगरक्षक मिले मुम्बई पुलिस के जवान रविन्द्र पाटिल ने पुलिस को बताया कि कार वह चला रहा था। मामले में 64 गवाहों से पूछताछ की गई थी, जिसके आधार पर बाद में यह साबित हुआ था कि गाड़ी सलमान ही चला रहे थे। लेकिन तब एक और महत्वपूर्ण मोड़ आया जब 2007 में पाटिल की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। इससे पहले 7 अक्तूबर, 2002 को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुम्बई उच्च न्यायालय ने सलमान को 2 हफ्ते भीतर पीडितों को 19 लाख रु. बतौर हर्जाना देने के निर्देश दिए थे। इसमें से 10 रु. लाख मारे गए आदमी के घर वालों को दिए जाने थे। सलमान के परिवार ने वह पैसा अदालत में बाकायदा जमा तो करा दिया था, लेकिन पीड़ितों की सही पहचान न होने से उन्हें पैसा देर से पहुंचा। बहरहाल, यह मामला इतना पेचीदा हो गया है कि सलमान का इससे आसानी से निकलना संभव नहीं दिखता। राजस्थान में काले हिरण के शिकार के अपराध में वहां तीन दिन की जेल काट चुके सलमान को बांद्रा वाला मामला क्या दिन दिखाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
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