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कैसी सुन्दर कैसी प्यारी
देखो, यह फूलों की क्यारी।
कैसा हरियल पेड़ खड़ा है,
तूफानों से सदा लड़ा है।
कैसी प्यारी नदी–तलैया,
कल–कल बहता पानी, भैया।
आसमान में छिटके तारे,
सभी जनों को लगते प्यारे।
चन्दा अगर नहीं नभ होता,
राही अपना रस्ता खोता।
तुम भी जग में चम–चम चमको,
सूरज जैसा दम–दम दमको।
पथ–कण्टक से कभी न डरना,
हार कभी स्वीकार न करना।
-डॉ. रघुनन्दन चिले
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