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पश्चिम बंगाल में जहां पंचायत चुनाव की तैयारी चल रही है वहीं शासन-प्रशासन और चुनाव आयोग की खतरनाक लापरवाही भी सामने आयी है। पता चला है कि भारत के अन्दर जो 52 बंगलादेशी गलियारें हैं, उन जगहों पर रहने वाले बंगलादेशी नागरिक भी चुनाव में वोट डालेंगे। और वे इससे पहले भी वोट डाल चुके हें। उनके पास भारतीय नागरिकों जैसा मतदाता पहचान पत्र है। राशन कार्ड सहित हर तरह के दस्तावेज भी वे बनवा चुके हैं। इस आधार पर सालों से वे भारत में वोट डाल रहे हैं। बंगला भाषा में इन गलियारों को 'छोटामहाल' कहते हें। आमतौर पर यहां रहने वाले को भारतीय नागरिकता से वंचित कहा जाता था। मगर सचाई कुछ और ही है। इन 52 गलियारों में लगभग 40,000 लोग रहते हैं।
नाम बताए बिना एक बंगलादेशी ने कहा- 'भारतीय इलाके के पंचायत सदस्य, पंचायत प्रधान, राजनीतिक दलों के नेताओं से जान-पहचान एवं कुछ रुपये की बदौलत मतदाता पहचान पत्र मिला है। पहले राशन कार्ड बना, बाद में उसी आधार पर मतदाता पहचान पत्र वनवाया। कहीं छोटी-मोटी समस्या-अड़चन आयी तब नेताओं ने संभाला।' छोटा महाल में रहने वाले बंगलादेशियों का कहना है- 'रुपए देने से सब कुछ हो जाता है।'
पता चला है कि ये बंगलादेशी पहले किसी हम मजहब भारतीय के राशन कार्ड में नाम जुड़वाकर पहचान पाई जाती है, फिर उसी आधार पर जमीन की खरीदारी भी होती है। फिर सारी सरकारी सुविधाएं ऐसे हजारों बंगलादेशियों की मिलनी शुरू हो जाती है। जबकि जहां वे रहते हैं वह इलाका बंगलादेश का है। दूसरा एक पहलू यह है कि बंगलादेशी गलियारों में रहने के बावजूद वे अपना एक मकान भारत में भी बनाकर रखते हैं। जब जरूरत पड़ती है तो वे कभी भारतीय हो जाते हैं तो कभी बंगलादेशी। कूचबिहार जिले की दिनहाटा तहसील में 26, मेखलीगंज में 22 एवं माथाभंगा में 4 बंगलादेशी गलियारें हैं। चुनाव नजदीक हैं वाममोर्चा, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के लोग इन अवैध मतदाताओं के वोट पाने की जुगत भिड़ा रहे हैं और चुनाव आयोग इन अवैध मतदाताओं के बारे में बोलने को तैयार नहीं। प.बंगाल से बासुदेब पाल
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