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दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और अल्पसंख्यक मामलों के केन्द्रीय मंत्री के. रहमान खान दिल्ली में सरकारी जमीन पर जबरन कब्जा करने वाले मुस्लिमों को बचाने में लग गये हैं। गत 3 जून को इन दोनों ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से भेंट कर गुहार लगायी है कि अंजुमन-ए-हैदरी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले को खत्म किया जाए। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास से बिल्कुल नजदीक बी.के. दत्त कालोनी (करबला) में जनवरी 2012 को मुस्लिमों ने लगभग 3000 गज सरकारी जमीन, जिसमें पार्क भी हैं, पर कब्जा कर लिया था। एक सरकारी भूखण्ड पर तो इस्लामी झण्डा गाड़ दिया गया है। जनवरी 2012 में दरगाह शाहे-मरदान के वर्षों से बंद पड़े एक द्वार को 'अंजुमन-ए-हैदरी' से जुड़े लोगों ने जबरदस्ती खोल दिया था। उन्हीं दिनों इन लोगों ने दरगाह के आसपास की सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया था। जब पुलिस वालों ने इन्हें रोका तो दरगाह के अन्दर से पुलिस और स्थानीय लोगों पर पत्थर बरसाए गए थे। इसमें 17 सुरक्षाकर्मी और 50 स्थानीय लोग बुरी तरह घायल हुए थे। इस घटना को लेकर अंजुमन-ए-हैदरी के कुछ कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस ने प्रथम सूचना रपट (एफआईआर) दर्ज की थी। अब मुस्लिमों का एक समूह सरकार पर दबाव बना रहा है कि वह मामला खत्म किया जाए और वह सम्पत्ति उन्हें दे दी जाए। सूत्रों का यह भी कहना है कि इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर ही शीला और रहमान ने शिंदे से भेंट की है। बी.के. दत्त कालोनी में 1947 में पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को बसाया गया है। पूरी कालोनी में एक ही घर मुस्लिम का है। इसका मालिक काजमी नई दिल्ली में इस्रायली दूतावास की गाड़ी में हुए बम विस्फोट का आरोपी है। कुछ दिन पहले इसी काजमी के साथ शीला दीक्षित एक कार्यक्रम में शामिल हुई थीं। कब्जाए गए पाकर्ों में हिन्दुओं को जाने भी नहीं दिया जाता है। इस कारण वहां के निवासियों और मुस्लिमों के बीच कभी भी तनाव पैदा हो जाता है।
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