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गत 11 व 12 जून को हरिद्वार में विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक आयोजित हुई। बैठक का उद्घाटन 11 जून को निवर्तमान शंकराचार्य सत्यमित्रानंद जी महाराज एवं विहिप के कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीणभाई तोगड़िया ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने की। इस दिन के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य जी ने की। बैठक की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए विहिप के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने पूज्य संतों से अनुरोध किया कि अब समय आ गया है हमें निर्णायक संघर्ष करते हुए श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का संकल्प पूर्ण करना होगा। यदि आवश्यकता पड़ी तो इसके लिए ऐसी संसद का निर्माण करें जो राम मंदिर के लिए कानून पारित करने में जरा भी संकोच न करे। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए परमार्थ आश्रम के परमाध्यक्ष एवं पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि न्यायालय से यह सिद्ध हो चुका है कि विवादित स्थल ही भगवान श्रीराम का जन्मभूमि है। विवादित ढांचा हिन्दू धार्मिक स्थल पर इस्लाम के नियमों के विरुद्ध बनाया गया था। न्यायालय ने मुस्लिम समाज की याचिका को खारिज कर दिया और यह पाया कि एकमात्र रामलला ही संपूर्ण 70 एकड़ भूमि के मालिक हैं। सरकार भी उच्चतम न्यायालय को दिए गए शपथ पत्र से प्रतिबद्ध है कि यदि यह सिद्ध हो जाता है कि विवादित स्थल पर कभी कोई मंदिर हिन्दू उपासना स्थल था तो सरकार की कार्रवाई हिन्दू भावनाओं के अनुरूप होगी। अत: कोई कारण नहीं है कि मंदिर निर्माण में विलम्ब हो। इस हेतु पूरी 70 एकड़ भूमि कानून बनाकर हिन्दू समाज को सौंपी जाए। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि मार्गदर्शक मण्डल की यह घोषणा है कि 84 कोस परिक्रमा की भूमि हिन्दू समाज के लिए पुण्य क्षेत्र है, हिन्दू समाज उसकी परिक्रमा करता है। संपूर्ण 84 कोस परिक्रमा के अंदर कोई भी इस्लामिक प्रतीक स्वीकार नहीं होगा। प्रस्ताव में सरकार से आग्रह किया गया है कि संसद के मानसून सत्र में ही कानून बनाकर अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की सभी बाधाएं दूर की जाएं। यदि यह मांग नहीं मानी गई तो हिन्दू समाज आन्दोलन करने को बाध्य होगा।
प्रस्ताव के प्रस्तुत होने के पश्चात् देश के कोने-कोने से आए संतों ने कहा कि यदि सरकार मार्गदर्शक मण्डल द्वारा किए गए आग्रह को स्वीकार करके ठोस कदम नहीं उठाती है तो हम सभी संतजन श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए सब प्रकार का बलिदान देने के लिए तैयार हैं। इस हेतु पूरे देश में व्यापक जन जागरण अभियान चलाया जाएगा।
द्वितीय सत्र में विशेष रूप से उपस्थित हुए योगगुरु बाबा रामदेव ने अपने संबोधन में कहा कि सत्ता अनुकूल हो या प्रतिकूल हमें राम मंदिर बनाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज तथा पूज्य रामभद्राचार्य जी महाराज ने सभी संतों से आग्रह किया कि वे इस अभियान के साथ पूरी तरह से जुट जाएं और जरूरत पड़ने पर सत्ता से टकराने के लिए भी तैयार रहें। बैठक में राघवाचार्य जी महाराज, श्री रामविलासदास वेदान्ती, म.मं. विशोकानंद जी, म.मं. सुरेशदास जी, भूमापीठाधीश्वर अच्युतानंद जी महाराज, म.मं. अखिलेश्वरानंद जी, म.मं. उमाकांतानाथ जी, डॉ. रामेश्वरदास श्रीवैष्णव, श्री गोविन्द देव जी महाराज, महंत रमेशदास जी महाराज, बिहारीदास जी महाराज, मणिराम दास,साध्वी छत्रकला, शिवस्वामी महाराज, दिव्यानंद जी महाराज, साध्वी वैदेही जी एवं गीतामनीषी ज्ञानानंद जी महराज सहित अनेक सन्तों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। बैठक का संचालन केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के संयोजक एवं विहिप के केन्द्रीय मंत्री श्री जीवेश्वर मिश्र ने किया।
बैठक में देश के कोने-कोने से आए हुए प्रमुख संतों के साथ-साथ विहिप के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री श्री चम्पत राय, संगठन महामंत्री श्री दिनेशचन्द्र, संयुक्त महामंत्री विनायकराव देशपाण्डे, वाई. राघवुलू, केन्द्रीय उपाध्यक्ष बालकृष्ण नाईक, श्री ओमप्रकाश सिंहल आदि भी उपस्थित थे। 12 जून को बैठक में निर्णय लिया गया कि राम मन्दिर के लिए अवध क्षेत्र में चौरासी कोस की पदयात्रा की जाएगी। यह पदयात्रा 25 अगस्त को बस्ती जिले के मखौड़ा से शुरू होकर 13 सितम्बर तक चलेगी। अन्तिम दिन अयोध्या में एक बड़ा आयोजन ½þÉäMÉÉ* |ÉÊiÉÊxÉÊvÉ
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