पाकिस्तानी हिन्दुओं को धारण कराया यज्ञोपवीत
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पाकिस्तान से आये हिन्दुओं का गत 21 मई को दिल्ली में वैदिक रीति से यज्ञोपवीत संस्कार किया गया। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद व विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में पाक हिन्दू परिवारों ने पूरे मनोयोग से भारतमाता की वंदना कर धर्म और राष्ट्र के उत्थान में अपने को समर्पित करने की प्रतिज्ञा की। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष डा. अनिल आर्य ने इस अवसर पर कहा कि हिन्दुओं के सोलह संस्कारों में से एक यज्ञोपवीत संस्कार अपने माता-पिता व गुरु जनों के उपकारों को सदा याद कराता है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद व विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में पाक हिन्दू परिवारों ने पूरे मनोयोग से भारतमाता की वंदना कर धर्म और राष्ट्र के उत्थान में अपने को समर्पित करने की प्रतिज्ञा की। जानकारी के अनुसार सभी पाकिस्तान पीड़ित हिन्दू परिवारों के प्रत्येक सदस्य ने यज्ञ में भाग लेने से पूर्व यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण किया। इसके पश्चात इन परिवारों के हर बच्चे को विद्यालय का बस्ता व किताब-कापियां दी गईं। कार्यक्रम में अनेक गुरुकुलों के आचार्य व व्यवस्थापकों के अलावा विभिन्न आर्य समाजों के पदाधिकारी भी उपस्थित थे। गुरुकुल खेड़ा खुर्द व गुरुकुल हसन पुर सहित अनेक गुरुकुलों ने बच्चों की निशुल्क शिक्षा-दीक्षा का प्रस्ताव भी रखा। डा. डीके गर्ग ने परिवारों की हर प्रकार की स्वास्थ्य व आर्थिक मदद करने हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त की। इस अवसर पर समाजसेवी श्री नाहर सिंह, हिन्दू महासभा के स्वामी ओम, आर्य समाज के श्री महेंद्र, जिला धर्म प्रसार प्रमुख श्री सुधीर कुमार सहित बड़ी संख्या में विहिप के कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक उपस्थित थे। प्रतिनिधि
नरसिंहपुर में दसवीं बसंत राव चांदोरकर स्मृति व्याख्यानमाला
आर्थिक और राजनीतिक विषयों पर विमर्श
दुनिया के संकट का कारण आज का अर्थशास्त्र है, जो अर्थशास्त्र कम और अनर्थ शास्त्र
अधिक है। हमने विकास का अर्थ जीडीपी बनाया, यह मान्यता ही गलत है। विकास के पश्चिमी मॉडल को अपनाकर व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता। व्यक्ति धन से नहीं मन से सुखी होता है'। उक्त विचार रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त ने गत दिनों नरसिंहपुर (म.प्रदेश) में सम्पन्न हुई दो दिवसीय दसवीं बसंत राव चांदोरकर स्मृति व्याख्यानमाला के पहले दिन 'विकास की भारतीय संकल्पना' विषय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
डा. गुप्त ने कहा कि संवेदना शून्य मूक विकास अर्थ हीन है। जड़हीन विकास हमें धर्म-संस्कृति, परम्परा से काट देता है। वर्तमान विकास संस्कार हीन है, हमें नया रास्ता देखना होगा। उन्होंने कहा कि शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा का नाम मनुष्य है लेकिन हमने अर्थ के आधार पर मनुष्य को मान्यता दी है। यह परिकल्पना गलत है। सबको रोटी, सबको स्वास्थ्य, समाज उपयोगी शिक्षा के समान अवसर और सबको रोजगार ही शुभ मंगलम है जो आवश्यक है। हमें जीवन शैली बदलनी होगी। सीमित संतुलित शैली अपनानी होगी। ममत्व से समत्व के आधार पर प्रसन्नता आती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के लोकायुक्त श्री पी.पी. नावलेकर ने की।
व्याख्यानमाला के दूसरे दिन मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन ने 'भारत में राजनीतिक दलों का भविष्य' विषय पर बालते हुए कहा कि राजनीतिक दलों में विचार शक्ति एवं भारतीयता नहीं है। राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं और समस्या जहां की तहां रहती है। सांसदों में अनुशासन की कमी है। उन्हें कम से कम 3 महीने का प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता है। ताकि लोकसभा की कार्यवाही सही ढंग से चल सके। उन्होंने कहा कि भारत के राजनीतिक दलों का भविष्य ठीक नहीं है। चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों पर लगाम कसनी चाहिए। आजादी के बाद कांग्रेस सत्ता में रहकर मनमानी करती रही। भारत का लोकतंत्र खतरे में है। इसको बचाने के लिए मजबूत एवं राष्ट्रभक्त दल की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जबलपुर के सांसद श्री राकेश सिंह ने की। संचालन डा. स्वाति चांदोरकर एवं आभार प्रदर्शन डा. संजीव चांदोरकर ने किया। प्रतिनिधि
पंचतत्व में विलीन हुए गोभक्त लवकेश गौड़
गोसेवा को समर्पित गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद, दिल्ली के महामंत्री श्री लवकेश गौड़ का गत दिनों दिल्ली में निधन हो गया। 45 वर्षीय श्री गौड़ अपने पीछे एक बेटा व एक बेटी छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर पंचगव्य के साथ गाय के गोबर से निर्मित उपलों से किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद, बजरंग दल व दुर्गावाहिनी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
दिल्ली के निवासी श्री गौड़ का जीवन अनेक वर्षों से गोभक्ति व गोसेवा को समर्पित था। गोरक्षा व गोसंवर्धन के लिए पंचगव्य से निर्मित औषधि, कीटनाशक, सौंदर्य प्रसाधन व अन्य प्रकार के उत्पाद हों या गाय के गोबर के उपले, गोमूत्र हो या गोघृत, सभी के प्रचार-प्रसार में उनकी अहम भूमिका थी। राष्ट्रमंडल खेलों में गोमांस परोसने की बात हो या भारत के योजना आयोग द्वारा गोमांस निर्यात की संस्तुति की बात, दिल्ली में गायों पर हो रहे अत्याचार का मामला हो या गोहत्या की बढ़ती घटनाएं, सभी का श्री गौड़ ने मुखर विरोध किया। प्रतिनिधि
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