व्यवस्था अपराधियों को बचा रही है
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

व्यवस्था अपराधियों को बचा रही है

by
May 11, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 May 2013 16:05:19

सप्ताह का साक्षात्कार– हरविन्दर सिंह फूलका

दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील हरविन्दर सिंह फूलका शुरू से 1984 के सिख कत्लेआम के मामलों को देख रहे हैं। दशकों लंबी न्याय की इस लड़ाई पर पाञ्चजन्य ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश

29 साल बाद भी अपराधियों को सजा क्यों नहीं मिल पाई?

इस नरसंहार को लेकर अब तक 2 आयोग और 8 समितियां गठित हुई हैं। 1985 में मिश्रा आयोग और 2000 में नानावती आयोग का गठन हुआ था। फिर वेद मरवाह समिति, जैन-बनर्जी समिति, पोर्टी-रोशिया समिति, जैन-अग्रवाल समिति, कपूर-मित्तल समिति, आहूजा समिति, नरूला समिति और ढिल्लोन समिति बनी। अधिकतर समितियों ने कहा है कि इस नरसंहार में पुलिस भी शामिल थी। पुलिस लोगों को उकसा रही थी। 48 घंटे तक यह नरसंहार चला। दिल्ली की सड़कों पर हर मिनट पर एक सिख की बड़ी बर्बरता के साथ हत्या हुई। जो लोग पुलिस के पास गए उनकी न शिकायत दर्ज की गई, न 'डेली डायरी' लिखी गई और न ही प्रथम सूचना रपट लिखी गई। इस वजह से दंगाइयों के खिलाफ आसानी से सबूत नहीं मिल पाते हैं।

इतने बड़े नरसंहार की जांच किसी बड़ी जांच एजेंसी से क्यों नहीं करायी गयी?

यह तो सरकार बतायेगी। पर एक अजीब बात है कि जिस पुलिस ने दंगाइयों का साथ दिया उसे ही इस मामले की जांच सौपी गई। कुछ पुलिस वालों ने कुछ दंगाइयों के विरुध्द आरोप पत्र भी तैयार किया किन्तु उन आरोप पत्रों को अदालत तक नहीं पहुंचने दिया गया। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इन आरोपपत्रों को दबा दिया। मिसाल के तौर पर सज्जन कुमार को ले सकते हैं। नागलोई थाने के एक मामले (एफआईआर 67/87) को लेकर सज्जन कुमार के खिलाफ एक आरोप पत्र 8 अप्रैल 1992 को तैयार हुआ था। किन्तु इस आरोपपत्र को आज तक अदालत में पेश नहीं किया गया है। इस आरोपपत्र में साफ-साफ लिखा है कि सज्जन कुमार के खिलाफ सबूत तो हैं पर उनको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है क्योंकि कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।

जिन पुलिस अधिकारियों ने आरोपपत्रों को दबाया उनकी शिकायत नहीं की गयी?

लोग कहां और किनसे शिकायत करें? पूरा सरकारी तंत्र अपराधियों को बचाने में लगा है। सज्जन कुमार के आरोपपत्र को दबाने वाले दिल्ली पुलिस के तत्कालीन डीसीपी राजीव रंजन को पदोन्नति देकर प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठाया गया है। इस हालत में किसी दंगाई को सजा कैसे मिल सकती है।

पीड़ितों को न्याय नहीं मिलना क्या न्यायिक प्रक्रिया पर ही सवाल खड़ा नहीं करता है?

यह सच है कि अदालत ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। न्यायमूर्ति शिवनारायण ढींगरा ने जरूर इस मामले को गंभीरता से लिया था। किन्तु बाद में इस मामले को साधारण मामलों की तरह ही लिया गया, जबकि यह मामला बिल्कुल अलग है। इसकी सुनवाई जल्दी हो तो पीड़ितों में न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ेगा।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies