वह दिल्ली नहीं रही
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दिल्ली अब पहले जैसी
दिल्ली नहीं रही
भूल भुलैया जैसी सड़कें
और प्रदूषण बस
बिन मंजिल की दौड़ हो रही
मानवता बेबस
हर पल पग–पग पर जोखिम है
रोना सिर्फ यही
दिल्ली अब पहले जैसी
दिल्ली नहीं रही
सुविधाएं तो बढ़ी किन्तु
जीवन फिर भी दुश्कर
झोंपड़–पट्टी की पीड़ा में
पड़ा न कुछ अन्तर
चकाचौंध में कौन सोचता
क्या है गलत–सही
दिल्ली अब पहले जैसी
दिल्ली नहीं रही
संबंधों सपनों की सब
परिभाषाएं बदलीं
तकनीकी युग में सबकी
अभिलाषाएं बदलीं
संस्कृति की मीनार यहां पर
अनगिन बार ढही
दिल्ली अब पहले जैसी
दिल्ली नहीं रही
योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
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