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May 4, 2013, 12:00 am IST
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निकाय चुनाव में भाजपा जीती, कांग्रेस का सूपड़ा साफ

दिंनाक: 04 May 2013 14:18:46

फेल हुआ बहुगुणा का गुणा–भाग 

उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव का आगाज बड़े जोर-शोर से हुआ पर अंजाम चौंकाने वाला आया। निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ सरकार के हाथ कुछ नही लगा, कांग्रेस की बड़ी हार हुई। राज्य के 6 नगर निगमों में से 4 पर भाजपा ने और दो पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है। कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य को इस हार से बड़ा झटका लगा है। माना जा रहा है जोड़-तोड़ से मुख्यमंत्री बने बहुगुणा का सारा गणित धरा रह गया है। और अब उन्हें चलता करने की तैयारी हो रही है। कांग्रेस में भीतर ही भीतर हरीश रावत को कमान सौंपने की तैयारी चल रही है।

राज्य में निकाय चुनावों की घोषणा होते ही उत्तराखण्ड की दोनों बड़ी पार्टियों में सियासी घमासान शुरू हो गया था। पार्टी  के दिग्गज नेताओ ने एक-दूसरे  पर खूब जमकर शब्दबाण भी छोड़े। लेकिन एक साल तक बड़े-बड़े विकास के दावे करने वाली सरकार 30 अप्रैल को कोमा में चली गयी। कांग्रेस की झोली में एक भी महापौर की सीट नहीं आयी। यही नहीं कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं को अपने घर में ही हार का सामना करना पड़ा। राज्य के 6 नगर निगमों में देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और रुद्रपुर में भाजपा ने बाजी मारी, वहीं रुड़की और काशीपुर में जनता ने निर्दलीय को अपना अध्यक्ष चुना। इन सबके बीच महापौर की बड़ी सीटों पर कांग्रेस हर जगह तीसरे या चौथे नम्बर पर रही। देहरादून में महापौर पद पर भाजपा के विनोद चमोली ने जीत दर्ज की वहीं हरिद्वार में मनोज गर्ग और हल्द्वानी में जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला महापौर बने, रुद्रपुर में भाजपा की सोनी कोहली ने बाजी मारी। रुड़की में निर्दलीय यसपाल राणा जीते और काशीपुर में ऊषा चौधरी को जनता ने अपना महापौर बनाया। प्रदेश के 69 निकायों के लिए हुए चुनावों में ज्यादातर नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में भाजपा ने जीत दर्ज की। पार्षद की सीटें भी ज्यादातर भाजपा के खाते में गयीं। स्थानीय मुद्दों को लेकर हुए इन निकाय चुनावों में कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की इस हार ने जहां मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की कुर्सी खतरे में डाल दी है वहीं कुछ लोग इसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत की अनदेखी का परिणाम भी बता रहे हैं। कांग्रेस पार्टी और संगठन में कोई इस हार की जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है। राज्य में हुए स्थानीय निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का 'सेमी फाइनल' भी माना जा रहा था। जनता के जनादेश ने बहुगुणा सरकार के एक साल के कार्यकाल को नापसन्द करते हुए भाजपा और निर्दलियों को चुना। टिहरी लोकसभा उपचुनाव की हार और अब निकाय चुनाव में हुई करारी हार से कांग्रेस ने सबक नहीं लिया तो आने वाले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ सकती है।

 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने स्थानीय निकाय चुनाव में जनता के जनादेश का सम्मान करते हुए अपनी पार्टी की जीत पर खुशी जाहिर की। साथ ही कहा कि पिछले एक साल के बहुगुणा सरकार के जनविरोधी कार्यों का जनता ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को नैतिकता के आधार पर अब त्यागपत्र दे देना चाहिए। दिनेश मानसेरा

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