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मतांतरण के खिलाफ खड़ा हुआ वाल्मीकि व मजहबी सिख समाज
देश के सीमावर्ती राज्य पंजाब से शुभ समाचार है। यहां मतांतरित हो चुके या इस अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का शिकार हो रहे वंचित समाज में स्वधर्म के प्रति जागरूकता बढ़ी है और इस समाज के लोग मतांतरण के खतरों को पहचानने लगे हैं। इस माह राज्य में दो ऐसी घटनाएं देखने को मिलीं जहां मतांतरण करने वालों को समाज के हाथों मुंह की खानी पड़ी।
अमृतसर में भगवान वाल्मीकि के अनुयाइयों ने अपने समाज में हो रहे मतांतरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समाज के जागरूक लोगों ने भगवान वाल्मीकि धर्म रक्षा समिति का गठन किया है। जो समाज सेवा के साथ-साथ समाज की कुरीतियां दूर करने और समुदाय में तेजी से हो रहे मतांतरण को रोकने का काम कर रही है। विगत 8 अप्रैल को समिति के सदस्यों ने रघुनाथ मंदिर रेलवे फाटक के पास मतांतरण के एक प्रयास को विफल किया। यहां क्रिस्टोफर नामक एक पादरी किसी परिवार का मतांतरण कराने के लिए आया था, लेकिन वाल्मीकि समाज की जागरूकता के चलते वह किसी का मतांतरण कराने में सफल नहीं हो पाया।
दूसरी घटना में पंथ अकाली दल तरना ने मतांतरण के खिलाफ मोर्चा खोला है। 21 अप्रैल को दल की ओर से अमृतसर में कराए गए घर वापसी के कार्यक्रम के दौरान मतांतरित हो चुके 10 मजहबी सिख परिवारों के लोगों ने घर वापसी की। 108 परिवार स्वधर्म में लौटे
आंध्र प्रदेश के सूर्यापेट जिला अंतर्गत घुपाड़ में गत दिनों 8 गांव के 108 परिवारों से कुल 475 सदस्य स्वधर्म में लौटे। यह लोग कुछ समय पूर्व ईसाइयत में मतांतरित हो गए थे। विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सभी सदस्यों ने यज्ञ में आहुति देकर स्वधर्म में वापसी EòÒ* ®úÉEäò¶É सैन
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