चीन का शिकंजा
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अपनी तैयारी पर ध्यान दे भारत
ग्वादर पर कब्जे के साथ पूरा हुआ चीन का
'स्टिंग आफ पर्ल्स' अभियान
भारत को चारों तरफ से घेरने का खतरनाक चीनी मंसूबा
अफगानिस्तान तक पहुंच सुनिश्चित करे भारत
पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर कब्जे के साथ चीन ने भारत को घेरने के अपने 'स्टिंग आफ पर्ल्स' नामक समुद्री संजाल के अभियान को पूरा कर लिया है। इसके साथ ही, जब कराकोरम राजमार्ग रेल और सड़क मार्ग से ग्वादर से जुड़ जाएगा, तब चीन के मंसूबे के तहत भारत पर यह इस्पाती शिंकजा और कस जाएगा।
वैसे भविष्य में चीन से अगर भारत की लड़ाई छिड़ी तब चीन के लिए इन सीमा-चौकियों को बनाए रखना आसान नहीं होगा। लेकिन 2014 में अफगानिस्तान से 'नाटो' सेनाओं के हटने से पहले भारत के साथ बातचीत की शुरुआत से अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने की चीन की कोशिश से भारत को अपने माल और सेवाओं को अफगानिस्तान और उससे परे पहुंचाने के लिए गारंटीशुदा रास्ता हासिल करने का मौका जरूर मिला है। भारत को इसका फायदा उठाना चाहिए।
भारत के लिए सर्वाधिक महत्व की बात यह है कि वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर अफगानिस्तान तक पहुंच सके। कहीं ऐसा न हो कि यह मार्ग पाकिस्तान और चीन का ही अपना गलियारा होकर रह जाए। अगर भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को चीन को ग्वादर से जोड़ने वाले गलियारे के रूप में ही इस्तेमाल होने देगा, तो वह चीन और पाकिस्तान की साजिश का शिकार होकर रह जाएगा।
पूर्व जम्मू-कश्मीर रियासत के शिया बहुल अशांत गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके को पाकिस्तान द्वारा चीन को पट्टे पर सौंपे जाने की खबरें मिल ही रही हैं। यह चीन द्वारा एक बार फिर शक्सगाम इलाके को हड़पने की एक कोशिश होगी।
आज के हालात ऐसे बन गए हैं कि भारत को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अपने अधिकारों पर जोर देना ही होगा। इलाके में अक्सर होने वाली मजहबी झड़पों को देखते हुए स्थानीय आबादी पहले से ही सुन्नी-शिया में बंटी हुई है। ये झड़पें बलूचिस्तान में क्वेटा से लेकर पूर्व जम्मू-कश्मीर रियासत में गिलगित-बाल्टिस्तान तक फैले विशाल क्षेत्र की आबादी का स्वरूप बदल देने की पाकिस्तान सरकार की नीति का एक हिस्सा लगती हैं।
अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर के मेंढर सेक्टर में एक भारतीय जवान का सिर काटे जाने की घटना ने जता दिया है कि पाकिस्तान पंजाब में वाघा में जमीनी प्रवेश द्वार को बंद करने के बहाने ढूंढ रहा है। वह भारत को सबसे पसंदीदा देश का दर्जा देने में टालमटोल कर रहा है, क्योंकि पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन ऐसा नहीं चाहते।
भारत को अफगानिस्तान तक सुनिश्चित मार्ग चाहिए, जिसके लिए वह पाकिस्तान के ग्वादर के पश्चिम में ईरानी बंदरगाह चाह बहार में निवेश कर रहा है। अफगानिस्तान, पूर्व सोवियत संघ के मध्य एशियाई गणराज्यों (अब राष्ट्रकुल देश) तक सड़क और रेल सम्पर्कों के जरिए भारत सीधे रूसी सीमा तक पहंुच सकता है। लेकिन ईरान और अमरीकी टकराव तथा ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के चलते इस परियोजना पर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं।
भारत को ध्यान रखना होगा कि चीन ने भारत के इर्द-गिर्द अपनी क्षमताओं को काफी मजबूत कर लिया है, जिनसे उसके किसी सैन्य इरादों की भनक तो अभी नहीं मिलती। लेकिन अगर उसके इरादे बदल जाते हैं, तब यह तैयारी काफी अहम हो सकती है। अत: भारत को हर हाल में सामरिक संतुलन बनाए रखना होगा। (+b÷xÉÒ) {ÉÒ. एन. खेड़ा
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