l शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाने के लक्ष्य ने बहुत नुकसान किया है
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

l शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाने के लक्ष्य ने बहुत नुकसान किया है

by
Apr 1, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

किस ओर जाती शिक्षा?

दिंनाक: 01 Apr 2013 11:30:36

 

 

नानाजी स्मृति व्याख्यान में शिक्षा की दशा और दिशा पर विचार–मंथन

भैयाजी जोशी

l      शिक्षाविदों और नीतियां तय करने वालों में समन्वय की कमी है

l      योजनाकारों को इस दिशा में प्रामाणिकता से सोचना होगा

l      प्रयोगधर्मियों को इस दिशा में इकट्ठा होकर काम करने की जरूरत

l      ऐसे आयोजन परिवर्तन लाने की दिशा में आत्मविश्वास का निर्माण करते हैं

डा. सुदर्शन आयंगार

l   बाजार की शक्तियां शिक्षा क्षेत्र को चला रही हैं

l      चीन, रूस, स्पेन, जापान ने अपनी भाषा में विकास किया है

l प्राथमिक स्कूल अपनी जमीन के बिना नहीं खुलने चाहिए

 

सुषमा स्वराज

शिक्षा को मौलिकता की ओर ले जाने की जरूरत

यह सोच गलत है कि विद्वता अंग्रेजी का पर्याय है

जाति, पंथ, मजहब, रूढ़ि और विकारों से दूर करने वाली शिक्षा हो

मातृभाषा में हो प्रथामिक शिक्षा ताकि बच्चों पर अतिरिक्त भार न पड़े

 

वैसे तो संप्रग सरकार ने अपने शासन में समाज जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में गिरावट ही दर्शायी है। वह क्षेत्र चाहे जीवन यापन से जुड़े आयामों का हो, नियम-कानून का हो, प्रशासन या रोजगार का हो या फिर शिक्षा का ही क्यों न हो। भारत की चेतना से दूर करने वाली तमाम तरह की नीतियां आज इस देश में जबरन थोपी जा रही हैं। चूंकि भविष्य का आधार शिक्षा होती है इसलिए भावी पीढ़ी की दिशा को लेकर देश के बौद्धिक समाज में एक बहस छिड़ी है कि 'ऐसी शिक्षा-कैसी शिक्षा'? अगर बच्चों को किताबों में 'ग' से गणेश के बजाय 'ग' से गधा पढ़ाया जा रहा है तो वह किसी भी तरह स्वीकार नहीं है। अगर शिक्षा इंसान बनाने के बजाय संवेदनहीन मशीन बनाने का काम कर रही है तो वह कूड़े की टोकरी में फेंकने लायक है। लेकिन विडंबना यह है कि इस सरकार ने जैसे ठान ली है कि पश्चिमी तर्ज पर चलते हुए इस देश की भावी पीढ़ी को सिर्फ और सिर्फ संवदेनहीन, भावनाशूून्य मशीन बनाना है। यही वजह है कि आज स्कूली किताबों में जिस तरह की भ्रामक बातें पढ़ाई जा रही हैं वह दिखाता है कि हालात कितने बदतर हो गए हैं। किताबों के जरिए स्वतंत्रता सेनानियों को बच्चों के सामने आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। पिछड़े वर्ग के लोगों की भावनाएं आहत करने वाले पाठ पढ़ाए जा रहे हैं। गालियां देना सिखाया जा रहा है। शिक्षकों को अपमानित करना सिखाया जा रहा है। यह बहुत ही चिंता का विषय है। कुछ ऐसी ही चिंता गत 24 मार्च को नई दिल्ली के दीनदयाल शोध संस्थान में हुई 'भारतीय शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन' विषयक संगोष्ठी में झलकी।

तृतीय नानाजी स्मृति व्याख्यानमाला के अंतर्गत आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में गुजरात विद्यापीठ के उपकुलपति डा. सुदर्शन आयंगार थे, जबकि अध्यक्षता लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज ने की। रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। यहां वक्ताओं ने जिन महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया यदि वह लागू हो जाएं तो निसंदेह शिक्षा में बदलाव आएगा।

डा. सुदर्शन आयंगार ने कहा कि शिक्षा के रोजगारोन्मुख बनाने के लक्ष्य ने भारतीय शिक्षा पद्धति का बहुत नुकसान किया है। जिसके कारण आज शिक्षा की करुण एवं दारूण अवस्था हो गई है। आज राज्य अपनी भूमिका से पीछे हट रहा है और बाजार की शक्तियां शिक्षा क्षेत्र को चला रही हैं। शिक्षा में अंग्रेजी हावी है लेकिन यदि अंग्रेजी इतनी ही महत्वपूर्ण है तो चीन, रूस, स्पेन, जापान अपनी भाषा में काम करते-करते विकास की सीढ़ियां कैसे चढ़ गए? गांधीजी और नानाजी देशमुख की नजर में शिक्षा जीवन यापन का साधन न होकर मानव निर्माण का साधन थी। सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी प्राथमिक स्कूल अपनी जमीन के बिना नहीं खुलना चाहिए। गांव के व्यापार, उद्योग, व्यवसाय, जमीन, जंगल-जल के आधार पर पनपने चाहिए और गांव में स्थापित स्कूल से जुड़ने चाहिए। साथ ही हाथ के उद्योग जैसे 'खादी' पर भी जोर दिया जाना चाहिए।

श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति को विकल्प ढूंढने की नहीं, बल्कि मौलिकता की ओर जाने की जरूरत है। साक्षरता को शिक्षा का पर्याय मानना गलत है तथा विद्वता अंग्रेजी का पर्याय है यह सोच भी सही नहीं। आज की शिक्षा साक्षरता को शिक्षा का पर्याय मानने की भूल कर रही है। इस स्थिति में साक्षरता अक्षरज्ञान तक ही सीमित रहती है, जबकि शिक्षा सिर्फ पठन-पाठन तक। हमें विद्या की आवश्यकता है, जो जाति, पंथ, मजहब, रूढ़ॢ और विकारों से हमें मुक्त करे। इस दिशा में ही परिवर्तन की पहल होनी चाहिए। चरित्र निर्माण विद्या का भाव व उद्देश्य नहीं रह गया है। इस दृष्टि में सुधार के लिए मौलिकता की ओर जाना होगा। नैतिकता और मूल्यों की शिक्षा पर बल देने की आवश्यकता है। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। इससे बच्चों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।

श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में शिक्षाविदों और भविष्य की नीतियां तय करने वालों में समन्वय की कमी है। योजनाकारों को इस दिशा में प्रामाणिकता से सोचना होगा और प्रयोगधर्मियों को इकट्ठा होकर काम करना होगा। ऐसे आयोजन सामाजिक दबाव बनाने के साधन हैं इसलिए जनसामान्य के बीच ऐसे प्रयास चलते रहने चाहिए। यह परिवर्तन लाने की दिशा में आत्मविश्वास का निर्माण करते हैं।

संगोष्ठी के मंच पर रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संरक्षक श्री मदनदास और दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक भी मंचासीन थे। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले, विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेता आचार्य गिरिराज किशोर, वरिष्ठ चिंतक श्री के.एन. गोविंदाचार्य एवं दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन सहित दिल्ली के गणमान्य नागरिक उपस्थित lÉä*

 

यह पढ़ाया जाता है बच्चों को

कक्षा 11 की पुस्तक आरोह के 'शैव-साधिका अक्क महादेवी' अध्याय में स्त्री का नग्न चित्रण 'अक्क ने सिर्फ राजमहल नहीं छोड़ा, वहां से निकलते समय अपने वस्त्रों को भी उतार फेंका' पढ़ाया जा रहा है। शिक्षकों का मजाक बनाने वाले अध्याय पढ़ाए जा रहे हैं। 11वीं कक्षा की पुस्तक आरोह भाग-1 में 'परीक्षा में नंबर तो कम होंगे ही। ट्यूशन नहीं लेने से मिलते हैं कहां अच्छे नंबर? सर तो बार-बार कहते ही थे ट्यूशन कर लो, टयूशन कर लो वरना फिर बाद में मत कहना'। 11वीं कक्षा की हिन्दी की पुस्तक अंतराल में लुच्चे-लफंगे, बदमाश, साले भट्टे की आग में झोंक दूंगा आदि गालियां पढ़ाई जा रही हैं। 11वीं कक्षा की ही हिन्दी की पुस्तक अंतरा में 'अपने काम से काम रखो क्यों इन चमारों के चक्कर में पड़ते हो' पढ़ाया जाता है। इतिहास की पुस्तकों में स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह को आतंकवादी और लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल और बाल गंगाधर तिलक को उग्रवादी कहा गया है। यह शिक्षा चरित्र निर्माण करेगी या संस्कारहीन?

 

उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की स्थिति चिंताजनक

27-28 जुलाई, 2012 को मुंबई में एक सम्मेलन हुआ था। इसमें सामाजिक विज्ञान-मानविकी विषय के शिक्षकों-शोधकर्ताओं, पुस्तकालय और डिजीटल प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों ने उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की स्थिति पर गहन विचार मंथन किया। उस चर्चा में सामने आया कि ग्रामीण भारत के 40 प्रतिशत छात्र हर साल उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिला लेते हैं, लेकिन वे अपना शैक्षिक उद्देश्य पूरा नहीं कर पाते। क्योंकि उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं होती। सम्मेलन में यह बात भी सामने आई थी कि 15 प्रतिशत से कम छात्र ही संबंधित आयु वर्ग के होते हैं, जिनमें से 17 प्रतिशत ही स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर पाते हैं। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (एनकेसी) ने अपनी 2009 की रपट में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मातृभाषा में हो, इसकी तो बात कही, लेकिन उच्च शिक्षा में नहीं। यहां उच्च शिक्षा के पाठयक्रम को भारतीय भाषाओं में तैयार करने की बात भी उठी।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies