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इस बात को कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है कि संजय दत्त के पास जो हथियार थे, वो मुंबई धमाकों में इस्तेमाल किए गए विस्फोटकों को लाने वाले कंसाइनमेंट का ही हिस्सा थे। अगर संजय दत्त ने हथियारों के बारे में गहराई से पता लगाया होता और पुलिस को बताया होता तो शायद वह घटना नहीं हुई होती। लिहाजा, यह सिर्फ अवैध हथियारों को रखने का मामला नहीं, बल्कि पुलिस को सही वक्त पर जानकारी न देने का भी मामला है। जस्टिस काटजू इस बात को बखूबी जानते हैं कि सिर्फ अच्छे विचारों का आपराधिक मुकदमों में कोई मतलब नहीं होता। अगर संजय दत्त को माफी मिलती है तो दाऊद और दूसरे लोगों को भी माफ कर देना चाहिए। दाऊद का भी दावा है कि उसने 1993 से भारत के खिलाफ कोई अपराध नहीं किया है। कम से कम ऐसा कोई सबूत तो नहीं है। -जोगिन्दर सिंह, पूर्व सीबीआई प्रमुख
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