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अजब हालात हैं देश के। एक अपराधी को माफी दिए जाने की मांग को मुद्दा बनाया जा रहा है। ऐसा आभास कराया जा रहा है जैसे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने गांधी बाबा के जीवंत प्रतीक, अहिंसा के पुजारी संजू बाबा के साथ न्याय नहीं किया। उनकी माफी के लिए ऐसे-ऐसे कुतर्क गढ़े जा रहे हैं जिसके बाद देश में अपराध की नई परिभाषा रची जाएगी। माफी की इस मुहिम में सेकुलर कहे जाने वाले दलों की दीवार गिर गई है। संजय दत्त के बाद जैबुन्निसा काजी को भी क्षमा किए जाने की मांग ने साफ कर दिया है कि माफी-माफी की इस मुहिम के पीछे क्या खिचड़ी पक रही है। मुन्ना माफ हुए तो सबके रास्ते साफ हो जाएंगे, सन् 93 का कोई दोषी जेल में नहीं रहेगा।
जैबुन्निसा काजी को भी 5 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है सर्वोच्च न्यायालय ने। जब अपराध किया था तब वह 50 वर्ष की थी। अब कहते हैं कि आयु के आधार पर, बीमार अवस्था के चलते उसे भी माफ कर दिया जाना चाहिए। संजू के लिए तो मासूम बच्चों का हवाला दिया जा रहा है। पर उन मासूमों की चर्चा नहीं की जा रही है जो संजू की खलनायकी के चलते ही अनाथ हुए। यह क्यों भूल जा रहे हैं हम कि जिन धमाकों ने 257 लोगों की जान ली, उन धमाकों के लिए लाए गए विस्फोटों का ही भाग थे वे 25 हथगोले और एके 56 रायफल, जो संजय दत्त के पास से बरामद हुए। उस दौरान संजय ने अनेक बार मेमन बंधुओं को फोन किया जो मुम्बई हमले को अंजाम देने वाले लोग थे और उसके बाद भी फिल्म चोरी-चोरी के दौरान छोटा शकील से चुपके-चुपके बात करते धरे गए थे। तब प्रीति जिंटा और सलमान की बात करते हुए तुम शकील को और शकील तुम्हें भाई-भाई कह रहे थे।
रहम तो तुम पर पहले ही हो चुका है मुन्ना भाई। तुम जमानत पर रहे, उस दौरान फिल्में कीं, खूब पैसा बटोरा, तीसरी शादी की और अब दो जुड़वा बच्चों के पिता भी हो, और उन्हीं की आड़ लेकर सजा से बचना चाहते हो। जरा नजर घुमाकर देखो, जिन पर आरोप तय नहीं हुए, निचली अदालत से भी निर्णय नहीं आया, वे विचाराधीन कैदी भी जमानत को मोहताज हैं, बीमार हैं, पर उनके लिए किसी ने दिल में टीस नहीं, कोई माफी अभियान नहीं। और तुम…अपराधी होकर भी नायक बने हुए हो। संसद भवन पर हमले के अपराधी अफजल के लिए मजहबी आधार पर कश्मीर के मुख्यमंत्री रहते 'गुलाम नबी आजाद' और अब उमर अब्दुल्ला सहित पूरी कश्मीर विधानसभा ने माफी की मांग की थी, और अब तुम्हारे लिए भी सेकुलर दल जार-जार रो रहे हैं। पर सच साफ साफ सुन लो, तुम माफी के काबिल नहीं। क्योंकि जब तुमने अपराध किया तुम बालिग थे, हथियारों से खेलते थे, तुम अगर सचेत करते तो 257 मासूम लोगों की जानें बचतीं और मुम्बई तबाह नहीं होती। ०जितेन्द्र तिवारी
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