यम की बहन को किसने पहुंचाया यमलोक?
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दिल्ली: हजारों करोड़ पानी में गुजरात: यहां काम बोलता है
यमुना
19 वर्ष में 4439 करोड़ रु. खर्च, अभी भी सबसे प्रदूषित नदी के रूप में जानी जाती है।
दिल्ली में यमुना नदी के किनारे लाखों झुग्गी-झोपड़ियां, जिनमें अधिकतर बंगलादेशी घुसपैठिए रहते हैं।
देश की राजधानी की खराब छवि न बने इसलिए दिल्ली में विदेशियों को यमुना किनारे जाने से रोका जाता है।
यमुना में बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड की मात्रा 36 से 39 मिलीग्राम प्रति लीटर है।
साबरमती
9 साल में 1150 करोड़ रु. खर्च। पूरी तरह सूख चुकी साबरमती अब पानी से लबालब रहती है।
अमदाबाद में साबरमती के तट पूरी तरह स्वच्छ हैं। यहां मनोरंजन के अनेक साधन हैं।
अमदाबाद में साबरमती के दोनों किनारों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। वहां देशी-विदेशी पर्यटक खूब जाते हैं।
अमदाबाद में साबरमती का जल इतना साफ है कि उसके अन्दर जलचर हैं।
दिल्ली में यमुना की स्थिति
l ªÉ¨ÉÖxÉÉ के हिस्से में दिल्ली से आती है सबसे ज्यादा गंदगी l सात राज्यों में बहती है यमुना नदी, दिल्ली में यमुना का सबसे कम है हिस्सा
l 70 फीसदी गंदगी यमुना को दिल्ली के 22 किलोमीटर के हिस्से से ही मिलती है l 1376 किलोमीटर है यमुना की कुल लंबाई
यम द्वितीया और यमुना
यम द्वितीया, जो भैया दूज के नाम से प्रसिद्ध है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार एक बार यमुना के आग्रह पर उनके बड़े भाई यम उनके घर पहुंचे। वह तिथि थी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया। यमुना ने अपने बड़े भाई यम का स्वागत तिलक लगाकर और गिरी भेंटकर किया और स्वादिष्ट भोजन कराया। बहन की सेवा से यम बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने उनसे वरदान मांगने को कहा। यमुना ने अपने लिए कुछ नहीं मांगा और भाई से कहा यदि आप वरदान देना ही चाहते हैं तो यह दें कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा उनमें आपसी प्रेम बहुत बढ़ेगा। साथ ही यमुना ने यह भी मांगा कि इस तिथि को जो भाई-बहन मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर के पास यमुना के विश्राम घाट पर स्नान करेंगे, वे जन्म-जन्मांतर तक भाई-बहन के रूप में ही इस धरती पर मिलेंगे।
यूं ही नहीं उमड़ा आक्रोश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मांगा जवाब
गत 1 मार्च को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने यमुना में बढ़ते प्रदूषण और घटते जल स्तर को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। इसके बाद न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अरुण टण्डन की खंडपीठ ने केन्द्र एवं राज्य सरकार से इस संबंध में चार हफ्ते में जवाब मांगा है। यह याचिका आद्या प्रसाद श्रीवास्तव ने दाखिल की है।
साबरमती का कायाकल्प
l अमदाबाद में 275 मीटर चौड़ी साबरमती नदी के दोनों किनारों को जोड़ने के लिए एक रोपवे ब्रिज और एक लाख वर्गफुट में व्यापार मेला मैदान बनाने का निर्णय लिया गया है।
l साबरमती को सजीव बनाने के लिए पैसे का इन्तजाम सरदार पटेल स्टेडियम, महानगर पालिका के पश्चिमी क्षेत्र का दफ्तर और साबरमती तट की 90 हजार वर्गमीटर जमीन को गिरवी रखकर किया गया।
l अब लोग साबरमती की तुलना इंग्लैण्ड की टेम्स नदी से करने लगे हैं। मालूम हो कि कभी टेम्स नदी भी पूरी तरह सूख गई थी। वहां की सरकार ने टेम्स को फिर से बारहमासी बनाने का निर्णय लिया और अब टेम्स की चर्चा पूरी दुनिया में होती है।
सूर्य की पुत्री और यमराज की बहन यमुना नदी आज नाले से भी बदतर हो चुकी है। दिल्ली में जिस यमुना में सालों भर पानी का बहाव रहता था उस यमुना में आज पानी ही नहीं है। हां, कहीं- कहीं कुछ गड्ढों में गंधलाया पानी जरूर दिखता है। किसी गड्ढे के पास से गुजरने पर यह अहसास होता है कि किसी नाले के नजदीक से गुजर रहे हैं। यानी यमुना बदबू मार रही है। यमुना का यही हाल दिल्ली से आगे पलवल, वृन्दावन, मथुरा आदि जगहों पर भी है।
दरअसल, यमुना नदी की समस्या हरियाणा के हथिनी कुण्ड बैराज के बाद शुरू होती है। इस बैराज से पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहर में पानी भेजा जाता है। दिल्ली में प्रवेश करते ही यमुना में नजफगढ़ नाला का गन्दा पानी गिरता है। यहीं से यह नदी नाले में तब्दील होने लगती है। वजीराबाद बैराज और ओखला बैराज के बाद तो यमुना में मूलधारा का पानी रहता ही नहीं है। थोड़ा बहुत जो पानी रहता है वह बरसाती पानी होता है।
यमुना की सफाई की योजना उन्नीस साल से चल रही है और उसके नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये की रकम खर्च हो रही है। इसके बावजूद यमुना और मैली होती जा रही है। दिल्ली में यमुना की सफाई पर अब तक 4439 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। पहला यमुना एक्शन प्लान 1993 में शुरू हुआ और यह दस वर्ष तक चला। इसके तहत दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के चौदह नगरों में नई सीवर लाइनें बनाई गयीं, शवदाह गृह और स्नान घाट बनाये गए। दिल्ली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बने। पर इन सबका कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद 2004 में दूसरा यमुना एक्शन प्लान शुरू हुआ, जो 2001 तक चला। इसके अंतर्गत दिल्ली में नालों के पानी के शुद्धिकरण के लिए 28 ट्रीटमेंट प्लांट बने, पर इन प्लांटों में सिर्फ 63 फीसदी नालों का ही पानी पहंुच पाता है । शेष नालों का गन्दा पानी सीधे यमुना में जाता है । इस कारण दूसरा यमुना एक्शन प्लान भी सफल नहीं हुआ । इस साल तीसरे एक्शन प्लान को मंजूरी दी गयी है, जिसमें 1656 करोड़ रु रखे गए हैं।
उन्नीस साल में करोड़ों रुपए बहाने के बावजूद यमुना में पानी नहीं बहा। किन्तु वहीं दूसरी ओर गुजरात में साबरमती नदी, जो पूरी तरह सूख चुकी थी, केवल नौ साल में पानी से लबालब भर गई है। सिर्फ बरसात के समय साबरमती में कुछ दिनों के लिए पानी रहता था। बाकी समय इस नदी से धूल उड़ती थी। साठ के दशक में अमदाबाद नगरपालिका ने एक योजना बनाई पर वह सफल नहीं रही। 1997 में एक बार फिर से साबरमती को सजीव बनाने के प्रयास शुरू हुए। इसके लिए रिवर फ्रंट कारपोरेशन बनाया गया। जब नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने रिवर फ्रंट पर विशेष रूप से जोर दिया। इसका फायदा यह हुआ कि 2004 से रिवर फ्रंट का निर्माण तेजी से शुरू हुआ। सबसे बड़ी समस्या थी इस सूखी नदी में पानी कहां से आएगा? गुजरात सरकार की इच्छाशक्ति काम आई और नदी जोड़ो परियोजना पर काम शुरू किया गया। इस परियोजना से नर्मदा नदी का जल साबरमती तक पहुंचा। नर्मदा से साबरमती तक पानी पहुंचाने में सिर्फ 9 साल लगे और खर्च हुए 1150 करोड़ रुपए। अमदाबाद शहर के बीचोंबीच बहने वाली साबरमती नदी में गिरने वाले गन्दे नालों को सख्ती से बन्द किया गया है। शहर का गन्दा पानी नदी में नहीं जाता है। इस कारण अमदाबाद में भी साबरमती का पानी बिल्कुल स्वच्छ है। पहले जो लोग नदी के किनारे जाने से भी बचते थे वे लोग अब साबरमती को नजदीक से देखना चाहते हैं, उसके पानी को स्पर्श करना चाहते हैं।
नदी के किनारे लोगों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए वहां की नगर पालिका ने साबरमती के दोनों तटों पर मनोरंजन के साधन जुटाने का फैसला लिया है। 275 मीटर चौड़ी नदी के दोनों किनारों को जोड़ने के लिए एक रोपवे ब्रिज और एक लाख वर्गफुट में व्यापार मेला मैदान बनाने का निर्णय लिया गया है। साबरमती को सजीव बनाने के लिए पैसे का इन्तजाम सरदार पटेल स्टेडियम, महानगर पालिका के पश्चिमी क्षेत्र का दफ्तर और साबरमती तट की 90 हजार वर्गमीटर जमीन को गिरवी रखकर किया गया। n Ênù±±ÉÒ ब्यूरो
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