|
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी दिनचर्या का सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता है और किसी ने कहा है कि संसार की सबसे प्रिय चीज नींद है। स्वस्थ शरीर की स्वस्थ दिनचर्या में निद्रा का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। जब आपको नींद नहीं आती है तो आपको चिन्ता होती है। अगर आप एकाध रात न सोएं तो अगले दिन आप थका हुआ महसूस करते हैं लेकिन इससे आपके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचता लेकिन कई रातों तक व्यक्ति न सो पाये तो हर समय थकान महसूस होगी, दिन भर झपकी आयेगी, एकाग्रता भंग होगी, निर्णय लेने में परेशानी होगी, उदासी महसूस होगी। यदि वाहन चलाते हैं या मशीनों पर काम करते हैं तो यह खतरनाक हो सकता है। एक व्यक्ति दिन भर में कितने घंटे सोये, स्वास्थ्य की दृष्टि से कितना आवश्यक है-इस बारे में विभिन्न वैज्ञानिकों में मतभेद हो सकता है लेकिन नींद जीवन का आवश्यक अंग है, इसके बगैर जीवन यात्रा आगे नहीं बढ़ सकती है-यह सभी निर्विवाद सत्य के रूप में मानते हैं। इंसान लंबे समय तक बिना भोजन के उपवास रखते हुए जीवित रह सकता है लेकिन बिना नींद (सोये) के कुछ दिनों से ज्यादा शायद जीवित नहीं रह सकता है। जानवरों पर किये गये अनुसंधानों ने भी यह सिद्ध किया है कि भोजन की अपेक्षा नींद अधिक आवश्यक है। अंग्रेजी इतिहास के प्रारंभिक दिनों में मृत्यु दंड पाने वाले कैदियों को न सोने देकर मारा जाता था। चीन में भी इसी प्रकार की निद्राहीनता की यातनाएं देखकर प्राण त्यागने के लिए बाध्य किया जाता था। इन सभी तथ्यों ने नींद की अनिवार्यता के तथ्य को पुष्ट कर दिया है लेकिन केवल पूर्ण निद्राविहीनता ही शरीर के लिए दुष्प्रभावी सिद्ध नहीं होती है बल्कि आवश्यकता से कम सोना भी स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालता है।
अलग-अलग व्यक्ति की नींद की आवश्यकता अलग-अलग होती है। कुछ स्वस्थ लोग चार-पांच घंटे सो कर भी अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर लेते हैं, जबकि दुर्बल व्यक्तियों को अधिक समय की आवश्यकता पड़ती है। साधारणत: 7-8 घंटे की औसत नींद एक मनुष्य के लिए पर्याप्त होती है। स्त्री व बच्चों को कुछ ज्यादा नींद की आवश्यकता होती है। हम कितनी देर सोते हैं, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना यह कि हम कितनी गहरी नींद में सोये। गहरी नींद के लिए शारीरिक अथवा पेशीगत थकान आवश्यक है। इस शारीरिक थकान को स्नायविक थकान से अलग समझना चाहिए। स्नायुमंडल के असंतुलित होने पर नींद नही आती परंतु यदि दिन भर किये गये शारीरिक श्रम से शरीर थक गया हो तो नींद अच्छी आती है। अत: बहुत से लोग जो नींद न आने की शिकायत करते हैं, वे काफी देर तक घूम कर शरीर में आवश्यक थकान उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे उन्हें नींद आ सके। अत्यंत गहरी नींद का अर्थ है-दिमाग का पूर्ण विश्राम, चेतना का सम्पूर्ण अभाव और न्युनाधिक रूप में इंद्रियजन्य संवेदन का तिरोभाव। हल्की नींद में हमारे दिमाग के कुछ भागों को ही विश्राम मिलता है। कुछ भाग थोड़े बहुत रूप में कार्यशील रह जाते हैं। सोते समय सपना देखना आंशिक चेतनता प्रकट करता है क्योंकि सपने देखते समय हमारे मस्तिष्क के कुछ भागों को कुछ न कुछ काम करना पड़ता है। कई बार हमारा मस्तिष्क नींद में भी सक्रिय रहता है परंतु हमको इसका बोध नहीं होता। अत्यंत गहरी निद्रा में सारी मानसिक शक्तियां प्रसुप्त रहती है और शारीरिक गतिविधियां प्राय: विश्राम अवस्था में रहती हैं। ऐसी गहरी नींद के द्वारा अपनी खोई हुई शक्ति का अर्जन करने के लिए शरीर को विश्राम देना बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस प्रकार का विश्राम यदि वह शरीर के संपूर्ण शिथलीकरण के फलस्वरूप आये तो यह संभवत: बताता है कि बिना किसी हानि के ही कम नींद से हमारा काम चल जाएगा। जो लोग अनिद्रा रोग से पीड़ित हैं वे बिना सोये हुए ही शारीरिक शिथलीकरण के द्वारा नींद का लाभ उठा सकते हैं और ताजगी महसूस कर सकते हैं।
क्या करना चाहिए?
हर दिन सोने की एक नियमित दिनचर्या बना लें। निश्चित समय पर उठें चाहे थका हुआ महसूस कर रहे हों या नहीं।
बिस्तर एवं शयन कक्ष आरामदायक हो, बहुत ठंडा या गरम न हो।
गद्दा सोने के लिए उपयुक्त हो। अगर बहुत सख्त होगा तो कन्धों व कमर पर ज्यादा दबाव पड़ेगा। अगर बहुत ज्यादा मुलायम होगा तो शरीर नीचे चला जाता है जो पीठ के लिये नुकसानदायक है। इस स्थिति में गद्दा बदल देना चाहिये ताकि आराम मिल सके।
नियमित व्यायाम करना चाहिए, लेकिन आवश्यकता से अधिक न करें। टहलना सबसे उत्तम है।
यदि कोई समस्या परेशान कर रही है और उसके बारे में सही तरीके से नहीं सोच पा रहे हों तो अपनी समस्या को सोने से पहले कागज पर लिख लें और स्वंय से कहें कि कल इस समस्या का निराकरण करेंगे।
अगर सो नहीं पाते हैं तो उठ जाएं और कुछ ऐसा करें जिससे हल्का महसूस हो जैसे पढ़ना, टीवी देखना या हल्का संगीत सुनना और जब थकान महसूस करें तो फिर सोने के लिए जायें।
ऐसे में इससे बचें?
बेवजह बहुत लम्बे समय तक न जागें। तभी सोने जायें, जब आप थके हों।
सोने से पूर्व चाय या काफी पीने से परहेज करें।
शराब का सेवन न करें। ये आपको जल्दी सोने में मदद तो कर सकती है लेकिन रात में निद्रा भंग अवश्य होगी।
रात में बहुत देर से और अधिक खानपान न करें। शाम को अपना भोजन लेने की कोशिश करें।
अगर एक रात नहीं सोये हों तो दूसरे दिन दिन में न सोयें अन्यथा अगली रात भी सोने में बाधा हो सकती है।
मोटापा घटाने वाली दवाओ का प्रयोग न करें क्योंकि ये नींद में बाधा पहुंचाती हैं।
नशे की गोलियां एवं मादक पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि ये कैफीन की तरह ही नींद में बाधा पहुंचाती हैं।
टिप्पणियाँ