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देश चाहता है अब राजनीतिक क्षितिज पर गरज उठेहिन्दुत्व का सिंहनाद-नरेन्द्र सहगल

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Feb 9, 2013, 12:00 am IST
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दिंनाक: 09 Feb 2013 16:22:36

 

राष्ट्रीय संस्कृति के विरोधियों के

खिलाफ डटी भाजपा

भारत की सनातन संस्कृति व इतिहास के साथ गहराई से जुड़ा हुआ और जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा हिन्दू समाज अब अपने धर्म, परंपरा, तीर्थ/धार्मिक स्थलों और राष्ट्रीय महापुरुषों के अपमान को सहते रहने की स्थिति में नहीं है। अपने राजनीतिक नफा नुकसान के मद्देनजर आए दिन इस देश की राष्ट्रीय पहचान हिन्दुत्व को गालियां देने वाले राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को हिन्दुओं की संगठित शक्ति न केवल मुंहतोड़ जवाब ही देगी अपितु ऐसे तत्वों के राजनीतिक रवैये पर भी प्रहार करेगी। पिछले दिनों 'हिन्दू आतंकवाद' का हौवा खड़ा करके देश की राष्ट्रवादी शक्तियों को जिसने भी चुनौती दी है उसे पश्चाताप स्वरूप समस्त देशवासियों से क्षमा याचना करनी ही होगी। भारत की अस्मिता पर हुए घातक प्रहार के विरोध में उमड़े जनाक्रोश को नेतृत्व प्रदान करके भारतीय जनता पार्टी ने अपने राष्ट्रीय कर्तव्य की पूर्ति की है। हिन्दुत्व को हिंसक आतंकवाद जैसी जिहादी विचारधारा के खेमे में डालने वाले कांग्रेसी नेताओं का सड़क से संसद तक विरोध करने में हिन्दुओं सहित समस्त देशवासी भाजपा के साथ खड़े होंगे ही, यह ध्रुव सत्य है।

भारतीय जनता पार्टी अपनी इस समयोचित और निर्भीक घोषणा के लिए बधाई की पात्र है, 'भाजपा-संघ के शिविरों में आतंकवाद का प्रशिक्षण' दिए जाने का वक्तव्य देने वाले गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का प्रत्येक स्तर और हर जगह बहिष्कार होगा। देश के किसी भी कोने में जाने पर उन्हें काले झंडे दिखाए जाएंगे। भाजपा के सभी नेता उनके साथ कोई भी बैठक नहीं करेंगे और संसद में भी पार्टी उनका पुरजोर विरोध करेगी। भारत के राष्ट्रीय और देशभक्त हिन्दू समाज पर निशाना कसने वाले राजनीतिक दलों को जनता के कटघरे में खड़ा करने के लिए एक देशव्यापी जनांदोलन प्रारंभ करना अब वक्त की जरूरत है। भाजपा अपने जन्मकाल अथवा जनसंघ के समय से ही भारत के राष्ट्रजीवन अर्थात हिन्दुत्व से संबंधित सभी विषयों पर मुखरता से बोलती रही है और इस राष्ट्रीय विचार तत्व पर आघात करने वालों के विरुद्ध पूरी तरह से जूझती रही है। कश्मीर की रक्षा, गोमाता की सुरक्षा, श्रीरामजन्मभूमि, अमरनाथ आंदोलन और अलगाववादी आतंकवाद/नक्सलवाद, राष्ट्रीय भाषा, राष्ट्रीय शिक्षा, सामाजिक एकता के साथ-साथ भ्रष्टाचार एवं महंगाई के मोर्चों पर लड़ने की भाजपा की श्रेष्ठ और जुझारू परंपरा अब पहले से भी ज्यादा गतिशील होगी। यही देशवासियों की अपेक्षा है।

सभी पंथों/ मजहबों/ जातियों के साथ लिए चलता है

हिन्दुत्व का राष्ट्रीय प्रवाह

मैकाले और मार्क्स के मानसपुत्रों को समय रहते यह समझ लेना चाहिए कि हिन्दुत्व किसी पंथ, जाति, क्षेत्र और वर्ग का मोहताज न होकर एक ऐसा सर्वसमन्वयकारी विचार तत्व है जो भारतीय राष्ट्रवाद का आधार है। हिन्दुत्व किसी एक प्रवर्तक, एक पुस्तक, एक पूजा-पद्धति और एक ही शिष्य परंपरा की चार-दीवारी में कैद नहीं है। भारत की धरती पर उपजे जैन, बौद्ध, सिख इत्यादि अनेक मजहब भारत के राष्ट्रजीवन की ही विभिन्न व्याख्याएं हैं। भारत में रहने वाले मुसलमान और ईसाई भी हिन्दू पूर्वजों की संतानें होने के कारण हिन्दुत्व के विशाल प्रवाह के ही अंग हैं। भारत की धरती पर हिन्दू शब्द राष्ट्रवाचक है और हिन्दुत्व राष्ट्रीय विचार प्रवाह का सम्बोधन है। अत: सनातन हिन्दू संस्कृति हमारी राष्ट्रीय मान-मर्यादा और जीवन प्रणाली है। हिन्दुत्व भारत और प्रत्येक भारतीय की आत्मा है। आत्मा के बिना जिस तरह शरीर निष्प्राण हो जाता है, संस्कृति के बिना देश भी निष्प्राण हो जाते हैं। हमारी अजर अमर हिन्दू संस्कृति के कारण ही भारत और भारतीयता जिंदा है। अन्यथा यूनान, मिस्र, रोम की तरह हमारा अस्तित्व भी समाप्त हो गया होता।

हिन्दुत्व के अथाह और विशाल सागर में असंख्य जीवन दर्शन, जीवन शैलियां, अनेक पंथ, बेहिसाब पूजा-पद्धतियां इत्यादि छोटी-बड़ी नदियां समा रही हैं। इन नदियों को सागर की गहराई से अलग नहीं किया जा सकता। इसका आदि और अंत सागर ही है। सागर के अस्तित्व की समाप्ति की तो कल्पना भी अति भयावह है। इसलिए हिन्दुत्व पर चोट करने वाले हिन्दुत्व से निकले और इसी में समा जाने की प्राकृतिक प्रक्रिया से जुड़े सभी पंथों और जातियों का गला घोंटने का अपराध कर रहे हैं। अत: हिन्दुत्व की रक्षा का दायित्व अकेले हिन्दू समाज अथवा संघ और भाजपा का नहीं है। यह सभी भारतीयों का संयुक्त अनुष्ठान साबित होना चाहिए। हिन्दुत्व बचेगा तो देश बचेगा। संघ और भाजपा पर आतंकवादी होने का आरोप हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि उन सभी धार्मिक विचारधाराओं में जहर घोलने का प्रयास है जो भारत में हिन्दुत्व के असीमित और अपरिभाषित अनंत धारा का हिस्सा हैं। भारत में पुष्पित-पल्लवित हो रही सभी पांथिक सभ्यताएं हमारे देश के सांस्कृतिक व्यक्तित्व हिन्दुत्व की शोभा हैं। अत: इन सभी को संघ, भाजपा द्वारा किए जा रहे हिन्दुत्व के शंखनाद में शामिल हो जाना चाहिए।

विदेशी/विधर्मी ताकतों को मजबूत कर रहे हैं

भारतीयता से भटके लोग

दरअसल 'हिन्दू आतंकवाद', 'भगवा दहशतगर्दी' और 'भगवा ब्रिगेड' जैसे शब्दों का आविष्कार वही लोग कर रहे हैं जो अपनी मूल संस्कृति से भटक गए हैं। जिनकी रगों में खून तो हिन्दुत्व का ही है परंतु संस्कारों पर भारतीय जीवन अर्थात हिन्दुत्व पर आक्रमण करने वाले तुकर्ों, मुगलों, पठानों, अंग्रेजों की हिन्दू विरोधी मानसिकता का पूरा असर है। इनके यहां राम, कृष्ण, महावीर स्वामी, महात्मा बुद्ध, गुरुनानक देव और मलिक मुहम्मद जायसी जैसे सूफी संतों के संस्कारों का कोई स्थान नहीं। इसीलिए ये लोग संघ और भाजपा के शिविरों में अपने ही विकृत संस्कारों की खोज करते हैं। कहावत है कि दुष्ट व्यक्ति को चारों ओर व्याप्त सज्जनता में भी दुष्टता दिखाई देती है। आखिर साफ-सुथरे आईने में अपनी ही शक्ल तो दिखाई देगी। यही वजह है कि अधिकांश कांग्रेसी नेता संघ/भाजपा को फासिस्ट और साम्प्रदायिक कहते हैं, हिन्दू राष्ट्रभक्तों को 'आतंकवादी' मानते हैं और लालकृष्ण आडवाणी जैसे कद्दावर राष्ट्रीय नेताओं को पाकिस्तान से आया भगोड़ा हिन्दू करार देते हैं। राष्ट्रवादी संस्थाओं के कार्यकर्त्ताओं को 'भगवा ब्रिगेड' कहकर ये  लोग भारत सहित पूरे संसार में हिन्दुत्व का जागरण कर रहे लाखों भगवा वस्त्रधारी संत महात्माओं का निरादर कर रहे हैं। आखिर 'भगवा ब्रिगेड' कहकर हमारे बुद्धिजीवी और सेकुलर मीडिया संसार को क्या संदेश देना चाहते हैं?

कांग्रेस के कर्णधारों को यह कहते हुए रत्ती भर भी संकोच नहीं होता कि भारत में एक आतंकवादी ब्रिगेड तैयार हो रही है जिसका रंग भगवा है। प्राचीन काल से भारत की मूल संस्कृति की केसरिया ध्वजा थामने वाले हमारे करोड़ों साधुओं और इनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों हिन्दुओं का इससे बड़ा अपमान और क्या होगा? अगर ध्यान से देखा जाए तो इस समय पूरे विश्व में भारत के प्राण तत्व हिन्दुत्व को समाप्त करने के लिए तीन विधर्मी शक्तियां कार्यरत हैं। सर्वश्रेष्ठ होने के अहंकार में डूबे ईसाई मिशनरी, रूढ़िवादियों के गर्त्त में पड़े इस्लामिक जिहादी तत्व और लाल खूनी क्रांति के जरिए विभिन्न समाजों में समानता लाने का ख्वाब देखने वाले वामपंथी तत्व (साम्यावादी) भारत के राष्ट्रीय सांस्कृतिक प्रवाह हिन्दुत्व को समाप्त करने का बीड़ा उठाए हुए हैं। और हमारे कांग्रेसी नेता हिन्दू समाज को आतंक से जोड़कर इन तीनों ताकतों का काम आसान कर रहे हैं। समय आ गया है कि हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन सभी भारतीयों को साथ लेकर एक ऐसे आंदोलन को जन्म दें जिसके सामने हिन्दू विरोधी ताकतें धराशायी हो जाएं।

राष्ट्रवादी शक्तियों की बने ध्येयनिष्ठ रणनीति

'अब मत चूको चौहान'

वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों की गहराई से समीक्षा करने पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि संघ, भाजपा और इन संगठनों से जुड़े कुछ ऊंचे कद के हिन्दुत्वनिष्ठ नेताओं की लोकप्रियता से कांग्रेसी नेता घबरा गए हैं। संघ के शिक्षा वर्ग में बढ़ रही हिन्दू युवकों की तादाद, भाजपा नेताओं द्वारा हिन्दुत्व से संबंधित राष्ट्रीय मुद्दों को जोर-शोर से उठाना, देश के 85 प्रतिशत हिन्दुओं के हितों का समर्थन करना और मुसलमान/ईसाई समाज के लोगों को भी इन राष्ट्रवादी मुद्दों पर अपने साथ खड़ा करने जैसी सफलताओं से कांग्रेसी सत्ताधारियों से रूठे हुए अल्पसंख्यक मतदाताओं विशेषतया मुस्लिम समाज को रिझाने के लिए हिन्दुओं को भी आतंकवादियों की श्रेणी में लाना कांग्रेस की मजबूरी बन गयी है। कांग्रेस की इस हिन्दू विरोधी और देशघातक राजनीति का पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के सरगना हाफिज सईद इत्यादि ने भी स्वागत किया है। गृहमंत्री शिंदे, दिग्विजय सिंह और शकील अहमद जिस तरह के अनैतिक और खतरनाक बयान दे रहे हैं उनसे तो यही लगता है कि सन् 2014 के संसदीय चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस राष्ट्रवादी हिन्दू नेताओं को बदनाम करने की मुहिम तेज करेगी ताकि राहुल गांधी का बौना राजनीतिक कद खींचकर लंबा किया जा सके।

सोनिया निर्देशित कांग्रेस ने हिन्दुत्वनिष्ठ राष्ट्रवादी दल भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए इस देश के बहुसंख्यक विशाल हिन्दू समाज से टकराने का जब फैसला कर ही लिया है तो भाजपा को भी डंका बजा देना चाहिए। डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख, जगन्नाथ राव जोशी, कुशाभाऊ ठाकरे, आचार्य रघुवीर, सुंदर सिंह भंडारी, अटल बिहारी वाजपेयी, जैसे राष्ट्रवादी छवि वाले नेताओं द्वारा गढ़े गए राजनीतिक दल को अब निसंकोच सीना तानकर हिन्दुत्व का सिंहनाद करना चाहिए। यह न केवल भाजपा अपितु विशाल हिन्दू समाज सहित सारे देश की जरूरत और मांग है। 'मत चूको चौहान' की नीति पर चलते हुए यदि भारतीय जनता पार्टी ने भारत और भारतीयों की इस समयोचित जरूरत को पूरा करने की ठान ली तो कोटि-कोटि हिन्दुओं के साथ अल्पसंख्यक भी भारत माता की जय और वंदेमातरम के उद्घोष के साथ भाजपा के पीछे खड़े हो जाएंगे। अन्यथा यदि आतंकवाद के 'शोधकर्त्ता' पुन: सत्ता पर काबिज हो गए तो इस देश को आतंकवादियों, माओवादियों और भ्रष्टाचारियों से कोई नहीं बचा पाएगा।

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