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आवरण कथा में डा. रहीस सिंह ने पाकिस्तानी क्रूरता को तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया है। पाकिस्तान हमारी कमजोरी का पूरा लाभ उठा रहा है। अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए हम अहिंसक होने का तर्क देते हैं। सीमा पर हमारे सपूत जिहादियों के हाथों शहीद हो रहे हैं और सरकार कहती है कि किसी भी हालत में आपसी संबंधों को खराब नहीं करना है। क्या हमारे जवानों की जान की कोई कीमत नहीं है?
–विकास कुमार
शिवाजी नगर, वडा, जिला–थाणे (महाराष्ट्र)
द जब कोई कायरता का लबादा ओढ़कर उसे अहिंसा का नाम दे तो उससे बड़ा मूर्ख और कोई नहीं हो सकता। हमारे नेता और कथित बुद्धिजीवी कहते हैं कि हम अहिंसक हैं, डरपोक नहीं। पर जब कोई आपके घर में घुसकर आपके बच्चों को बेदर्दी से मौत के घाट उतार दे, फिर भी आप अहिंसक होने का ढोंग करेंगे तो एक दिन आपका अस्तित्व ही मिट जाएगा। इस कटु सत्य को न भूलें।
–अजीत शर्मा
राजा कोठी, मायलाबेरा, गुलाबबाड़ी
अजमेर-305001 (राजस्थान)
द सम्पादकीय 'पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दो' में उन देशभक्तों की आवाज बुलन्द हुई है, जो पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं। पाकिस्तान के खून में ही भारत-विरोध का कीटाणु है। जब तक उसका इलाज अच्छी तरह नहीं होगा वह भारत के सामने चुनौती खड़ करता रहेगा। पर इलाज कौन करे? भारत सरकार तो पाकिस्तान के खिलाफ इसलिए कुछ नहीं करना चाहती है कि कहीं उसका मुस्लिम वोट बैंक न नाराज हो जाए। क्या इस हालत में कोई देश चलेगा?
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)
द हमारे विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद केवल इतना ही कहकर रह गए कि हम मुंहतोड़ उत्तर देंगे। फिर कहा कि पाकिस्तान इस घटना की जांच करे और दोषियों को सजा दे। उनका यह बयान काफी बचकाना है। पाकिस्तान को उसी की भाषा में कूटनीतिक, राजनीतिक, सैनिक और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जवाब देना चाहिए। अगर हमने अभी भी कड़े तेवर नहीं अपनाए तो भारत की छवि एक बेहद कमजोर राष्ट्र जैसी हो जायेगी।
–मृत्युंजय दीक्षित
123, फतेहगंज, गल्ला मंडी, लखनऊ (उ.प्र.)
द जिस प्रकार सर्प को दूध पिलाने से बिष बढ़ता है उसी प्रकार पाकिस्तान से शांति की अपेक्षा करना उसका विष और विरोध बढ़ाता है। पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों के साथ जिस क्रूरता और उन्मादी मानसिकता का परिचय दिया है उसकी मिसाल नहीं मिलेगी। इस प्रकार के नीच और जघन्य कर्म राक्षसों ने भी नहीं किए होंगे। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान से संबंधों की समीक्षा हो।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या–बजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)
द पाकिस्तान दोस्ती के नाम पर भारत को ठग रहा है, किन्तु हमारे नेतृत्व की आंखों पर ऐसी मोटी परत चढ़ी है कि उसे 'दोस्ती' के अलावा कुछ दिखता ही नहीं है। पाकिस्तानी क्रूरता को सहना उसे और क्रूर बनाना है। दुर्जन को प्रवचन से नहीं रोका जा सकता है। दुर्जन को दुर्जनता से ही खत्म करना होगा।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
द सीमा पार से जब भी उकसाने वाली कार्रवाई होती है तो भारत सरकार कहती है कि 'हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।' जबकि भारत सरकार सब कुछ बर्दाश्त भी करती है और पाकिस्तान की ओर से कुछ भी बंद नहीं होता। पाकिस्तान ने जिस तरह से भारतीय आरोपों का खण्डन किया है उससे तो यही लगता है कि पाकिस्तानी फौज में सैनिक नहीं हैं, बल्कि सेना की वर्दी में आतंकवादियों का जमावड़ा है।
–जीवन सिंह
संघ कार्यालय, पूर्वीया गली, कांकरोली
जिला–राजसमन्द-313324 (राजस्थान)
द पाकिस्तानी हमारे एक सपूत का सिर काटकर ले गए और हमारी सरकार बड़ी सधी और सभ्य भाषा में सिर्फ इतना कहती है कि इसके लिए पाकिस्तान सरकार को खेद प्रकट करना चाहिए। ऐसी कायरता को धिक्कार है। हमारी कायर नीतियों ने ही पाकिस्तान को क्रूर बनाया है। एक अपराधी को सजा न देना उसके मनोबल को बढ़ाना ही है। पाकिस्तान जब भी कोई गलती करे उसे तुरन्त मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए।
–रतन प्रकाश
एस.बी-802, गुलमोहर टावर
चिरंजीव विहार, गाजियाबाद (उ.प्र.)
द पाकिस्तान से हर तरह के संबंध खत्म होने चाहिए। वह हमारे यहां बम फोड़ता रहता है, हमारे जवानों को क्रूरता से मारता है, जाली नोट भेजता है, बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन करता है, उन्मादियों को भड़काता है। पर हम उसे क्रिकेट खेलने के लिए बुलाते हैं, उसके मंत्रियों का बकवास सुनकर भी चुप रहते हैं, उसके कलाकारों को भारत में कमाने की इजाजत देते हैं। यह एकतरफा प्रेम घातक है।
–आर.के. कपूर
ई-60, जी.के. एन्कलेव
नई दिल्ली-110048
जहरीले ओवैसी
श्री नागराज राव की रपट 'देशद्रोही ओवैसी की जहरीली मानसिकता' पढ़ी। ओवैसी नाम के इस शख्स ने अपने भाषण में जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया है, वैसी भाषा का इस्तेमाल उसकी कौम के अनेक लोग कर रहे हैं। ऐसे ही लोगों ने कश्मीर को हिन्दू-विहीन कराया है। मुस्लिम समाज एक है, वहां कट्टरवादियों की ही चलती है। इसलिए ओवैसी का विरोध उस समाज ने नहीं किया। सेकुलर हिन्दू तो ओवैसी की ही पैरवी कर रहे हैं। हिन्दू भी संगठित होकर वोट करें तो यह समस्या सुलझ सकती है।
–वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर
दिल्ली-51
द अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे लोग समाज में जहर घोल रहे हैं। देश-विरोधी और समाज-विरोधी अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए ये लोग मजहबी भावनाओं को भड़काते हैं। ओवैसी ने भगवान राम के बारे में जैसी बातें कही हैं, वे बड़ी आपत्तिजनक हैं। चूंकि हिन्दू समाज उदार और सहिष्णु है इसलिए ओवैसी के खिलाफ कोई 'फतवा' जारी नहीं हुआ।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट,नई दिल्ली-110023
द जद (यू) के राज्यसभा सांसद शिवानन्द तिवारी ने ओवैसी के भाषण की आलोचना करने के बजाय हिन्दुत्वनिष्ठ राष्ट्रभक्त नेताओं और ओवैसी को एक ही सिक्के के दो पहलू बता दिया। शिवानन्द तिवारी इतने अपरिपक्व हैं, फिर ये राज्यसभा कैसे पहुंच गए? ये पहले लालू यादव के साथ थे और उनकी सत्ता बदलते ही नीतिश कुमार के साथ हो गए। अवसरवादी राजनीति के वे माहिर खिलाड़ी हैं। ओवैसी मामले में भी उन्होंने देशहित से ज्यादा अवसरवादी राजनीति को महत्व दिया।
–अविनाश कुमार मिश्रा
ग्रा.-तुरकौलिया, पो. गोला
गोरखपुर-273408 (उ.प्र.)
द ओवैसी के जहरीले भाषण पर सेकुलर मीडिया की चुप्पी हैरान करती है। जो टीवी चैनल वरुण गांधी के कथित भड़काऊ भाषण को मिर्च-मसाला लगाकर परोस रहे थे वे ओवैसी के भाषण पर मुंह बंद करके बैठे रहे। ओवैसी की पार्टी 'मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन' की स्थापना हैदराबाद रियासत में निजामत (मुस्लिम शासन) को बनाए रखने के लिए की गई थी। देशद्रोही गतिविधियों के लिए 1948 में इस पर प्रतिबंध भी लगा था। किन्तु कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हित के लिए उसे बढ़ाया।
–डा. सुशील गुप्ता
शालीमार गार्डन कालोनी, बेहट बस स्टैण्ड सहारनपुर (उ.प्र.)
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