गरीब 4 प्रतिशत, सहायता 40 प्रतिशत
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गरीब 4 प्रतिशत, सहायता 40 प्रतिशत

by
Dec 29, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 29 Dec 2012 15:32:30

गरीब 4 प्रतिशत, सहायता 40 प्रतिशत

जम्मू–कश्मीर/ विशेष प्रतिनिधि

जम्मू–कश्मीर की राज्य सरकार को एक बार फिर से इसलिए प्रथम पुरस्कार दिया गया है कि इस राज्य ने देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी हद तक गरीबी पर नियंत्रण पा लिया है। इससे पूर्व सन् 2005 में इण्डिया टुडे समूह के एक सर्वेक्षण में बताया गया था कि जम्मू-कश्मीर में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन व्यतीत करने वालों का अनुपात मात्र 4 प्रतिशत रह गया है, जबकि देश के अन्य भागों में यह अनुपात 25 प्रतिशत के लगभग है। इस हेतु प्रथम पुरस्कार तत्कालीन उप मुख्यमंत्री ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत के हाथों स्वीकार किया था। इस बार यह सर्वेक्षण 'आईबीएन-7' न्यूज चैनल के 'डायमण्ड स्टेट्स अवार्ड्स' के रूप में वितरण किया गया है। इस बार लोकसभा की अध्यक्षा श्रीमती मीरा कुमार ने यह पुरस्कार वितरित किया और राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे प्राप्त किया है। पर विरोधाभास देखिए, मात्र 4 प्रतिशत गरीब होने का पुरस्कार प्राप्त करने वाली जम्मू-कश्मीर सरकार केन्द्र से सहायता पाने के लिए राज्य में गरीबों की संख्या 25-26 प्रतिशत दिखाती है। इसी आधार पर केन्द्र सरकार की कई परियोजनाओं के अंतर्गत सैकड़ों करोड़ रुपए की सहायता राशि प्राप्त करती है। एक और विरोधाभास देखिए, गरीबी की रेखा से नीचे जीवन व्यतीत करने वाले 42 लाख से अधिक लोगों के लिए भारतीय खाद्य निगम द्वारा सस्ते दामों पर चावल तथा गेहूं भी प्राप्त किया जा रहा है, जो राज्य की जनसंख्या के अनुपात की दृष्टि से 40 प्रतिशत के लगभग है, जो देश के अन्य भागों की तुलना कई गुना अधिक है। विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह भी बताया गया है कि सीमावर्ती जिले कुपवाड़ा में कुल जनसंख्या के 74 प्रतिशत लोगों को यह राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है, जबकि वहां गरीबी की रेखा से नीचे वालों की संख्या 5 प्रतिशत ही बतायी गई है।

पंचायत चुनावों की घोषणा के बाद

आपसी लड़ाई में खुला कांग्रेसियों का काला चिठ्ठा

असम में पंचायत चुनावों की घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी कमर कसने में लगे हैं। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा असम गण परिषद (अगप) सहित सभी विपक्षी दल कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार व कुशासन को मुद्दा बना रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर मचे घमासान से कांग्रेसी खेमे में खलबली है, इससे मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की मुसीबतें भी बढ़ने लगी हैं। स्थिति यह है कि मंत्री और कांग्रेसी विधायक ही आपस में भिड़ रहे हैं। राज्य विद्युत परिषद् के सचिव व कांग्रेस विधायक भूपेन कुमार बोरा ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना में घोटाले का आरोप लगाया। इसे लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को घेरा था। तब प्रदेश के बिजली मंत्री प्रद्युत बरदलै ने गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर भूपेन बोरा के आरोपों को राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि मैंने ही बोरा को उक्त कार्य देखने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद मैंने ही असम राज्य विद्युत परिषद के अध्यक्ष को एक रपट दी थी कि कार्बी आंग्लांग जिले में इस योजना के अन्तर्गत कार्य सही ढंग से नहीं हुआ, इसकी जांच कराएं। इसके बावजूद भूपेन बोरा का इस प्रकार मुझ पर ही आरोप लगाना ठीक नहीं है। दूसरी तरफ पूर्व मंत्री तथा डिगबोई के कांग्रेस विधायक रामेश्वर घनवार ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावती तेवर दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि ऊपरी असम के चाय बागानों में काम करने वालों की उपेक्षा के कारण राज्य में माओवादी गतिविधियां तेज हुई है। ऐसा कहकर कांग्रेसी नेता ने ही तरुण गोगोई सरकार की आम आदमी के प्रति बेरुखी को उजागर कर दिया है।

कांग्रेस व तरुण गोगोई सरकार ने जिस विकसित असम की तस्वीर जनता को दिखाई थी, उसके विपरीत राज्य में सिर्फ कांग्रेसी नेताओं और उनके समर्थकों का ही विकास हुआ। इस कारण राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों ने पंचायत चुनावों के बहिष्कार करने की भी घोषणा की है। राज्य के खुमटाई विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गढ़मरा आदर्श गांव और उसके आस-पास के कई गांवों के लोगों ने पंचायत चुनावों के बहिष्कार की स्पष्ट रूप से घोषणा की है। सचाई यह कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के विकास कार्य नहीं हुए। रास्तों व पुलों की दशा अत्यंत दयनीय है। सरकार द्वारा पीने के शुद्ध पानी के लिए कई योजनाएं तो घोषित की गयीं, पर स्थानीय निवासी आज भी तालाब आदि का पानी पीने को विवश हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के लिए सरकार ने विभिन्न प्रकार के कदम उठाये हैं। 108 एंबुलेंस सेवा घोषित की है, पर रास्तों की दयनीय अवस्था के चलते मरीजों को ठेले या साइकिल रिक्शा  पर ही ले जाना पड़ता है। इन सब कारणों से गढ़मरा न्याय पंचायत के लोगों ने घोषणा की है कि पंचायत चुनावों के लिए कोई भी दल हमारे गांव में न आए, न सभा करे। हम चुनावों का बहिष्कार करते हैं। गोलाघाट के निकटवर्ती गांव बेगनाखोवा के निवासियों ने भी पंचायत चुनावों के बहिष्कार की घोषणा की है, क्योंकि स्वतंत्रता के 65 वर्ष बाद भी उक्त गांव में जाने के लिए रास्ता तक नहीं है, सरकारी सुविधाएं व योजनाएं तो दूर की बात है।

लोक–लुभावने वादे

असम में पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ ही भ्रष्टाचार के उजागर हो रहे मामलों व गांववासियों द्वारा चुनाव के बहिष्कार की धमकी के बाद मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए एक 'गुगली' (इधर–उधर जाती, घुमावदार गेंद) फेंकी है। उन्होंने दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की है कि राज्य की सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत स्थान गांव वालों के लिए आरक्षित रहेंगे। इसके लिए एक नए प्रशासनिक सेवा आयोग का गठन किया जाएगा। देश में पदोन्नति में आरक्षण पर चल रही चर्चा के बीच असम के मुख्यमंत्री गोगोई ने भी एक नए प्रकार के आरक्षण की नींव रख दी है।

गांधी का नाम भुनाने वाले बताएं

गांधी जिले के किसान आत्महत्या को मजबूर क्यों?

महाराष्ट्र/ द.वा. आंबुलकर

गांधी जी के निवास से चर्चित हुए महाराष्ट्र के वर्धा जिले को राज्य सरकार ने 'गांधी जिला' घोषित कर रखा है। इस दृष्टि से कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में विशेष दर्जा देने के बावजूद स्थिति में कुछ सुधार होना तो दूर, इसी वर्घा जिले में गत 12 वर्षों में 866 किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा। ग्रामीणों एवं किसानों की यह स्थिति तब है जब उनकी मदद तथा सहायता के लिए शासन-प्रशासन से लेकर स्वयंसेवी संगठनों तक ने विभिन्न सहायता योजनाओं की घोषणा कर रखी है। उल्लेखनीय है कि सन् 2001 से विदर्भ के किसानों की कमजोर आर्थिक स्थिति तथा सूखे की चपेट में आने के कारण वर्धा, यवतमाल, अमरावती, अकोला, वाशिम तथा बुलडाणा जिलों के किसानों द्वारा आत्महत्या के समाचारों ने प्रदेश और देश को झकझोर दिया था। अपेक्षा थी कि विदर्भ के इन 6 जिलों के किसानों के लिए प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 'विशेष पैकेज' तथा स्वयंसेवी संगठनों द्वारा सहायता के कारण यहां के किसानों को कम से कम आत्महत्या करने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा। बावजूद इसके, विदर्भ के किसानों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। यह हाल तब है जब सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित कर्ज मुक्ति के अलावा विभिन्न समाजिक संगठनों, समाजसेवी संस्थाओं से लेकर फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, क्रिकेट खिलाड़ी संजय मांजरेकर भी इस क्षेत्र में आर्थिक योगदान दे चुके हैं।

किसानों एवं ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के अपने सपने को सरकार करने के लिए गांधीजी ने जिस वर्धा जिले का खास तौर पर चयन कर, वहां रहकर इसके लिए प्रयास किया था तथा भूदान आंदोलन के प्रणेता आचार्य विनोवा भावे ने भी जिस वर्धा जिले में निवास किया था, उस जिले में प्रतिवर्ष आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या तालिका में देखें।

उक्त आंकड़े सभी को चौंका देने तथा चिंतित करने वाले हैं। सन् 2001 से 2012 (अगस्त) तक आत्महत्या करने वाले कुल 866 किसानों के परिजनों में से विभिन्न पैकेजों, सहायता योजनाओं तथा आर्थिक हालात के आधार पर मात्र 283 परिजनों को ही सहायता राशि के लिए निर्धारित कर उन्हें यह राशि दी गई है। इस सहायता राशि आवंटन की योजना में भी कई तरह की खामियां पायी गयी हैं। मिसाल के तौर पर विभिन्न सहायता योजनाओं के तहत जो राशि किसानों को दी जाती है उस राशि का वितरण तथा नसह फसल की बुआई में तालमेल न होने के कारण भी स्थिति खराब होती जा रही है। सरकारी योजनाओं द्वारा किसानों को देय राशि उनके बैंक खातों में मार्च महीने में जमा होती है, जबकि जुताई-बुआई और खेती की शुरुआत जून महीने में होती है। नतीजा यह होता है कि मार्च से जून तक के तीन माह के दौरान किसानों को दी गयी सहायता राशि किसी और काम में खर्च हो जाती है। और तब किसानों को खेती के बीज के लिए एक बार फिर साहूकारों का ही सहारा लेना पड़ता है।

अपनी जमीन गिरवी रखकर उस पर खेती करने हेतु बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों को भी बैंक गुमराह कर रहे हैं। खेती के लिए ऋण की जरूरत होने पर किसान जब राष्ट्रीय या ग्रामीण बैंकों से सम्पर्क करते हैं तो सहायता करने की बजाय बैंक ऐसे जरूरतमंद किसान से उसकी सारी की सारी खेती गिरवी रखवा लेते हैं। ऐसे हालात में जरूरत पड़ने पर फिर किसानों को खेती हेतु ऋण लेने का कोई भी विकल्प नहीं बचता है और वे आत्महत्या की राह पर चल पड़ते हैं। इस प्रकार सरकार, बैंक और साहूकार के चक्रव्यूह में फंसे वर्धा यानी गांधी जिले में किसानों द्वारा आत्महत्या का दौर निरंतर जारी है तथा बढ़ता ही जा रहा है।

वर्धा जिले में किसानों द्वारा आत्महत्या

वर्ष      कुल संख्या

2001    3

2002    24

2003    14

2004   29

2005    26

2006    154

2007    128

2008    87

2009    100

2010    126

2011    113

2012 (जनवरी-अगस्त)        62

सामाजिक परिवर्तन के

वाहक बनें युवा

–प्रो. वेदप्रकाश नंदा, डेनवर यूनिवर्सिटी, अमरीका

'आज सारा विश्व बहुत बड़े सामाजिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। इजिप्ट, लीबिया, टयूनीशिया जैसे देशों में हुई क्रांति में युवाओं और 'सोशल मीडिया' ने बड़ी भूमिका निभायी है। आने वाला समय युवाओं का होगा इसलिए भारत के युवाओं से आग्रह है कि वे सामाजिक परितर्वन के वाहक बनें।' उक्त विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित एक व्याख्यानमाला में अमरीका के डेनवर यूनिवर्सिटी के व्याख्याता प्रो. वेदप्रकाश नंदा ने व्यक्त किए। वे विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'वैश्विक परिवेश में भारतीय युवा की भूमिका' विषयक व्याख्यान में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अमरीका एवं यूरोपियन यूनियन की रपट में यह कहा जा चुका है कि 21वीं सदी एशियाई देशों के प्रभुत्व की सदी होगी। जिसमें एशिया की दो बड़ी शक्ति-चीन और भारत बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगे। भारत की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सांस्कृतिक विरासत है जो 'वसुधैव कुटुम्बकम' एवं 'सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया' के भाव पर आधारित है। ऐसी सांस्कृतिक विरासत से पोषित युवा वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति (प्रो.) बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति है और आने वाले चार-पांच दशकों तक यह स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे पूरे विश्व को अपना कार्यक्षेत्र बनाएं और भारतीय संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान का पूरी दुनिया में प्रसार करें।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies