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0शरद यादव (जद, यू के अध्यक्ष)
जो लोग एफडीआई लाने पर अड़े हैं, वे देश को तबाही की ओर ले जा रहे हैं। ऐसे लोग केवल अमीरों की खुशियों को ध्यान में रख रहे हैं और गरीब भारत की अनदेखी कर रहे हैं।
मुलायम को भी चेताया-
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध।
जो तटस्थ है, समय लिखेगा उनका भी इतिहास।।
0अनंत गंगाराम गीते (शिवसेना)
सरकार एक बार फिर ईस्ट इंडिया कंपनी को न्योता देने जा रही है। सरकार के इस निर्णय का बुरा प्रभाव केवल खुदरा बाजार पर ही नहीं, कृषि और बागवानी के क्षेत्र पर भी पड़ेगा। मुम्बई में लगभग 35 लाख उत्तर भारतीय हैं। इनमें से अधिकांश दूध, फल, सब्जी आदि बेचकर गुजारा करते हैं। सरकार इनका धंधा छीनकर विदेशियों को दे रही है।
0गुरुदास दास गुप्ता (भाकपा)
सरकार वालमार्ट के लिए देश को बेच डालने के लिए तैयार है। इस मुद्दे पर मतदान के समय जीत हासिल करने के लिए सरकार ने कुछ दलों की राजनीतिक मजबूरी और सरकारी संसाधन (सीबीआई) का उपयोग किया है। भले सरकार ने संख्या बल जुटा लिया हो पर हम खुदरा बाजार में एफडीआई का विरोध करते रहेंगे, क्योंकि यह देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने वाला है।
0ममता बनर्जी (मुख्यमंत्री, प. बंगाल– फेसबुक पर)
यह शर्मनाक है। आज का मतदान साबित करता है कि संप्रग दो सरकार अल्पमत सरकार है। सदन की कुल संख्या के आधार पर बहुमत के 272 के आंकड़े की बजाय स्वार्थी लोगों की सभी कोशिशों के बावजूद केवल 253 सदस्यों का ही समर्थन मिला। सरकार विश्वनीयता खो चुकी है। उसे जनता से नए सिरे से जनादेश हासिल करना चाहिए।
0वासुदेव आचार्य (माकपा)
हम वालमार्ट को अपने देश में आसानी से घुसने नहीं देंगे। सदन में विरोध किया, अब सड़क पर भी विरोध करेंगे। अन्तरराष्ट्रीय अनुभव बताते हैं कि वालमार्ट से न किसानों को फायदा हुआ और न उपभोक्ताओं को। खुदरा बाजार में जहां भी विदेशी निवेश की अनुमति दी गई, वहां लघु उद्योग साफ हो गए।
0 वी.मैत्रेयन (अन्नाद्रमुक)
जब विपक्ष में थे तब वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वयं एफडीआई का विरोध किया था। अब सरकार इस मामले में देश की जनता से झूठ बोल रही है, उसे गुमराह कर रही है। सरकार सदन के भीतर संख्या बल जुटाकर खुद को बचा सकती है, पर मैं सभी दलों व देशवासियों से देश को बचाने की अपील करता हूं।
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