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याद हैं केरल के प्रिय शिक्षक के.टी.जयकृष्णन, जिनकी 1 दिसंबर, 1999 को दिनदहाड़े, उनकी कक्षा में, उनके ही विद्यार्थियों के सामने, जिनकी आयु तब 11 वर्ष से भी कम थी, माकपाई गुंडों ने क्रूरतापूर्ण तरीके से हत्या कर दी थी। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष जयकृष्णन की धारदार हथियारों से की गई हत्या का तरीका इतना वहशी था कि उस कक्षा में चारों तरफ खून ही खून फैल गया, अनेक बच्चे चीखते-चिल्लाते बेहोश हो गए और अनेक बच्चों के दिमाग पर उसका इतना गहरा असर बैठा है कि अनेक मनोचिकित्सकों को दिखाने के बाद भी वे आज तक उस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। उन्हीं जयकृष्णन की हत्या के मामले में अब एक नया खुलासा यह हुआ है कि जिन आरोपियों पर उनकी हत्या का मामला चलाया गया और जिन्हें अंतत: सर्वोच्च न्यायालय ने छोड़ दिया, वे तो अपराधी थे ही नहीं। जिनके विरुद्ध मामला चलाया गया उनकी सूची तो खुद माकपाई खेमे ने ही जांच अधिकारियों को अपनी योजना से सौंपी थी। असली अपराधी न तो सामने आए न पुलिस उन तक पहुंच सकी। एक माकपाई हत्यारे द्वारा ही 13 वर्ष बाद किए गए इस खुलासे के बाद अब जयकृष्णन की हत्या के मामले में राज्य सरकार पुन: जांच कराने को तैयार है। केरल पुलिस ने भी राज्य के गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रपट में कहा है कि पुन: जांच में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
हाल ही में पूर्व मार्क्सवादी नेता टी.पी. चन्द्रशेखरन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए टी.के.राजीश ने पूछताछ में पुलिस को बताया है कि अनेक राजनीतिक लोगों की हत्या के मामले में माकपाई नेतृत्व स्वयं ही अपने दूसरे कैडर को आगे कर देता है और जांच की दिशा बदलवा देता है, ताकि पुलिस असली अपराधियों तक न पहुंच सके, और जो पकड़े गए हैं वे अपराधी न साबित हो पाएं और अंतत: न्यायालय से बरी हो जाएं। माकपाई नेतृत्व ने ऐसा ही के.टी.जयकृष्णन की हत्या के समय किया था जिसमें सिर्फ एक ही अपराधी तक पुलिस पहुंच पाई थी, उसके बाद शेष छह तो माकपाई योजना से ही मामले में शामिल हुए थे। उल्लेखनीय है कि 5 वर्ष चली जांच के बाद पुलिस ने जयकृष्णन की हत्या के मामले में कुल 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। पहले कन्नूर के जिला एवं सत्र न्यायालय ने उन सात में से पांच को मृत्युदंड की सजा सुनाई, फिर केरल उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड की सजा बहाल रखी, लेकिन सन् 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने उन पांच में से चार को बरी कर दिया तथा पांचवें अपराधी की मृत्युदंड की सजा को भी आजीवन कारावास में बदल दिया। अब कोझिकोड के जनप्रिय नेता व पूर्व मार्क्सवादी टी.पी.चन्द्रशेखरन की हत्या के मामले में गिरफ्तार राजीश ने पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में उस मार्क्सवादी षड्यंत्र का भांडा फोड़ दिया। इस खुलासे से यह स्थापित सत्य एक बार और पुष्ट हो गया है कि अपने राजनीतिक विरोधियों की हत्या के लिए माकर्सवादी कुछ खास अपराधियों का इस्तेमाल करते हैं और जांच तथा न्यायिक तंत्र को बहकाने के लिए दूसरे कैडर को आगे कर देते हैं।
इसी बीच एक वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता एम.एम.मणि द्वारा इडुक्की की जनसभा में राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने की खुलेआम की गई स्वीकारोक्ति और उसी संदर्भ में कांग्रेस शासित केरल राज्य सरकार द्वारा तीन दशक पूर्व हुई तीन राजनीतिक हत्याओं के संदर्भ में पुन: जांच के आदेश और अब राजीश के खुलासे के बाद (स्व.) जयकृष्णन की मां श्रीमती पी.के.कौशल्या ने भी अपने पुत्र की हत्या के मामले की दोबारा से जांच कराने की मांग की है। उनकी मांग के समर्थन में भारतीय जनता पार्टी भी आंदोलन की राह पर है। पहले से ही कोझिकोड के चन्द्रशेखरन, पट्टूबम के मुस्लिम लीगी नेता अब्दुल शकूर और थलाशेरी के डेमोक्रेटिक फ्रंट कार्यकर्त्ता मुहम्मद फजल की हत्या के सिलसिले में मार्क्सवादी हाथ की जांच से माकपाई नेतृत्व परेशान है, अब 13 वर्ष पुराने जयकृष्णन मामले की दोबारा जांच की आशंका से उसके माथे पर बल पड़ गए हैं।
'अप्रतिम नायक डा.श्यामा प्रसाद मुकर्जी' का लोकार्पण
पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय के सभागार, में पं.बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष श्री तथागत राय द्वारा हिन्दी तथा अंग्रेजी में लिखित पुस्तकों- 'अप्रतिम नायक डा. श्यामा प्रसाद मुकर्जी तथा 'द लाइफ एंड टाइम्स आफ डा.श्यामा प्रसाद मुकर्जी' का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ। पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी के सान्निध्य और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज की अध्यक्षता में सम्पन्न इस समारोह के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार। इन दोनों पुस्तकों का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है। लेखक श्री तथागत राय ने पुस्तक की भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि डा. मुखर्जी अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते थे। मुख्य वक्ता श्री अरुण कुमार ने कहा कि यह पुस्तक डा. मुखर्जी की जीवनी मात्र नहीं है, यह उस कालखंड की राजनीतिक परिस्थितियों, चुनौतियों, तत्कालीन राजनेताओं की भूमिका एवं सरकार के रुख की विस्तृत समीक्षा करती है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में जो परिस्थितियां डा.मुखर्जी के जीवनकाल में थीं, वे आज भी विद्यमान हैं। श्री आडवाणी ने अपने उद्बोधन में अतीत को याद करते हुए कहा कि डा.मुखर्जी ने जो काम शुरू किए थे, हमें उन सबको पूरा करने के लिए कटिबद्ध होना चाहिए। श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि डा.मुखर्जी वास्तव में अप्रतिम राजनेता ही नहीं, अप्रतिम विद्यार्थी, अप्रतिम शिक्षाविद्, अप्रतिम नायक थे। वे जीवन में किसी भी क्षेत्र में द्वितीय नहीं रहे। इस पुस्तक में उनके संपूर्ण जीवन और कृतित्व को सांगोपांग रूप में ग्रहण किया जा सकता है। समारोह में बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी, राजनेता एवं गण्यमान्य जन उपस्थित थे। प्रतिनिधि
साहित्य अमृत का बाल साहित्य विशेषांक
अगस्त, 1995 में सुप्रसिद्ध विद्वान एवं साहित्यकार (स्व.) पं. विद्यानिवास मिश्र के संपादकत्व में साहित्यिक जगत की प्रतिष्ठित पत्रिका साहित्य अमृत प्रारंभ हुई थी। यह अमृत पिछले सत्रह वर्षों से नियमित रूप से अपने पाठकों को श्रेष्ठ एवं सृजनात्मक साहित्य उपलब्ध करा रही है। इस बीच पत्रिका के अनेक विशेषांक प्रकाशित हुए जो बहुत चर्चित एवं लोकप्रिय हुए। इस दीपावली के अवसर पर साहित्य अमृत ने अपना विशेषांक 'बाल साहित्य' को समर्पित किया है। इस विशेषांक में हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों-प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, अमृतलाल नागर, इस्मत चुगताई, विष्णु प्रभाकर, देवेन्द्र सत्यार्थी, भीष्म साहनी, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, कन्हैयालाल नंदन, हरिकृष्ण देवसरे आदि की बाल मन को छू लेने वाली रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। किसी भी हिन्दी पत्रिका द्वारा प्रकाशित यह अपने आपमें अनूठा 'बाल साहित्य विशेषांक' है, कुल मिलाकर अत्यंत पठनीय एवं संग्रहणीय भी है। प्रतिनिधि
छोटी खाटू पुस्तकालय ने किया
साहित्यकारों का सम्मान
श्री छोटीखाटू हिन्दी पुस्तकालय सहित देश की कई सामाजिक साहित्यिक संस्थाओं के संस्थापक संरक्षक एवं मार्गदर्शक श्री जुगल किशोर जैथलिया के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर छोटी खाटू में 'अमृत महोत्सव' का आयोजन किया गया। छोटी खाटू हिन्दी पुस्तकालय एवं जिला नागौर (राजस्थान) की 50 से अधिक सामाजिक संस्थाओं ने गत 28 अक्तूबर को स्थानीय जैन भवन के सभागार में यह अभिनंदन समारोह आयोजित किया। साहित्यकार एवं भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डा.महेश चन्द्र शर्मा ने इस समारोह की अध्यक्षता की एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री युनूस खान। श्री खान ने इस अवसर पर कहा कि श्री जैथलिया ने अपने समाज समर्पित जीवन एवं मधुर व्यवहार से लोगों के दिलों को जीता है। इस कार्यक्रम के पूर्व गली-गली में उनका जो भावभीना स्वागत हुआ वह अभूतपूर्व है। यहां भी इतने लोग स्वागत एवं अभिनंदन हेतु खड़े हैं, जबकि जुगल जी न तो बड़े उद्योगपति हैं, न ही मंत्री या प्रशासक। ऐसे समाज समर्पित लोगों का सम्मान खुद को बहुत सुकून देता है। छोटीखाटू के ही जन्मे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री बी.एल.जोशी ने भी विशेष व्यक्तिगत संदेश द्वारा श्री जैथलिया के अमृत महोत्सव पर बधाई दी। श्री जैथलिया ने अपने अभिनंदन पर सबका आभार प्रकट करते हुए कहा कि जीवन में संतों एवं श्रेष्ठ पुरुषों का जो सान्निध्य मिला, उसने ही उनके जीवन को दिशा दी है।
इसी दिन छोटी खाटू हिन्दी पुस्तकालय की ओर से प्रसिद्ध साहित्यकार एवं वरिष्ठ राजनेता श्री हृदयनारायण दीक्षित को 23वें पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान से एवं राजस्थानी साहित्य के भीष्म पितामह माने जाने वाले डा.उदयवीर शर्मा को महाकवि कन्हैयालाल सेठिया मायड़ भाषा सम्मान प्रदान किया गया। जैन सभा भवन के सभागार में आयोजित एक दूसरे समारोह में इन साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता तिब्बत-भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने की। डा. अग्निहोत्री ने इस अवसर पर कहा कि राजस्थानी समाज की यह विशिष्टता है कि वे अर्थार्जन तो करते ही हैं, लोक कल्याण के कार्यों में भी सदा आगे रहते हैं। इस पुस्तकालय के संस्थापक जैथलिया जी ने अपनी कर्मभूमि कोलकाता में भी विभिन्न क्षेत्रों में सेवा से नाम कमाया एवं अपनी जन्मभूमि में भी साहित्यिक एवं सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं, वे शतायु हों, यही हम सबकी कामना है।
प्रतिनिधि
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