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रा.स्व.संघ के तत्वावधान में गत दिनों जयपुर में चैतन्य शिविर का आयोजन किया गया। जयपुर के केशव विद्यापीठ में संपन्न हुए शिविर में राजस्थान के 11 जिलों के संघ शिक्षा वर्ग शिक्षित स्वयंसेवकांे सहित शाखा स्तर के गटनायक से लेकर प्रान्त स्तर तक के सभी दायित्वयुक्त कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। शिविर में लगभग सात हजार शिविरार्थी तथा व्यवस्थाओं के लिए आठ सौ से अधिक प्रबंधक उपस्थित थे।
शिविरार्थियों की आवास व्यवस्था हेतु छह नगर बसाए गए थे। इन नगरों का नामकरण संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के नाम पर किया गया। मुख्य सभागार का नाम संघ के निवर्तमान सरसंघचालक स्व. कुप.सी. सुदर्शन के नाम पर 'सुदर्शन सभागार' रखा गया।
शिविर स्थल पर देशभक्ति का भाव जगाने वाली प्रेरणादायी एवं आकर्षक प्रदर्शनी 'संघ सरिता' ने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। प्रदर्शनी भारतीय संस्कृति का विश्व में संचार, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप, सिख गुरुओं का बलिदान, संघ कार्य के विविध आयाम आदि सामाजिक व राष्ट्रीय विषयों पर केन्द्रित थी। प्रदर्शनी स्थल पर प्रत्येक आधे घंटे के अन्तराल पर महापुरुषों के जीवन पर आधारित लघु चलचित्र वन्देमातरम् दिखाया गया। चलचित्र में सिख गुरुओं के बलिदान के साथ-साथ राजस्थान में जन्मे अनेक वीरों की गाथाओं को भी चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया था। युवाओं के लिए यह प्रदर्शनी खासी प्रेरणादायी रही। प्रदर्शनी की खास बात यह थी कि इसमें लगे सभी चित्र स्वयंसेवकों द्वारा ही तैयार किए गए थे।
शिविर के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि देश के सामने अनेक समस्याएं हैं, उनका समाधान केवल बोलने और सपने देखने से नहीं होगा इसलिए संघ के स्वयंसेवक शाखाओं के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य कर रहे हैं। देश की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग उच्च पदों पर पहुंचकर भ्रष्टाचार करते हैं, उन्हें भी समाज ही चुनकर भेजता है। अवसर आने पर समाज चरित्र, कृतित्व एवं भ्रष्टाचार जैसे विषयों को भुला देता है, इसलिए भ्रष्ट लोग पुन: तन्त्र का हिस्सा बन जाते हैं। व्यक्ति उच्च स्थान एवं मान प्राप्त करने के बाद दायित्व भूलने लगता है, किन्तु उन्हें याद दिलाने की जिम्मेदारी समाज की है। अत: उचित अवसर आने पर बेईमान तथा भ्रष्ट लोगों को नकारकर समाज को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए सबक सिखाना चाहिए। ऐसे समय में जाति, क्षेत्र तथा भाषा के दलदल से उपर उठकर राष्ट्रहित में विचार करना चाहिए।
शिविर के जिज्ञासा सत्र में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने स्वयंसेवकों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए कहा कि खुदरा बाजार में विदेशी पूंजी निवेश देश के लिए घातक है। संघ इसका कड़ा विरोध करता है। उन्हांेने कहा कि इस क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश से देश का आम व्यापारी संकट में आ जाएगा। देश के सामान्य व्यापारी के पास आज भी इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों से मुकाबला करने का न तो प्रशिक्षण है और न ही तैयारी। स्वयंसेवकों ने जिज्ञासा सत्र में बंगलादेशी घुसपैठ, चीन द्वारा भारत की सीमा में अवैध अतिक्रमण, पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ी समस्याओं सहित अनेक ज्वलंत एवं तात्कालिक विषयों पर प्रश्न पूछे। विवेकानंद शर्मा
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