|
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गत दिनों गया में फल्गू नदी पर 6 लेन के सड़क पुल के निर्माण की आधारशिला रखी। 64 करोड़ 51 लाख रुपये से निर्मित होने वाला यह सड़क पुल गया- मानपुर के बीच फल्गु नदी के ऊपर बनाया जाएगा। 557.6 मीटर लंबे और 26 मीटर चौड़े इस पुल के बन जाने से देशी-विदेशी पर्यटकों व श्रद्धालुओं को भी लाभ मिलेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दुनिया भर से लोग अपने पितरों को मोक्ष दिलाने व पिण्ड दान के लिए गया आते हैं, इसलिए इस सड़क व पुल का महत्व और भी बढ़ जाता है।
जद (यू)- भाजपा गठबंधन (राजग) सरकार ने बिहार में पुलों के निर्माण में एक क्रांति ला दी है। गत 100 वर्षों में बिहार में मात्र 21 बड़े पुल बने थे जबकि राजग शासन के मात्र 10 साल के कार्यकाल में 45 बड़े पुलों का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। इसमें से 16 पुलों पर यातायात शुरू भी हो चुका है जबकि 17 पुलों का निर्माण कार्य जारी है। 12 पुलों के निर्माण की केन्द्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है। ये 12 पुल भी वर्तमान सरकार के कार्यकाल समाप्त होते-होते बन जाने की उम्मीद है। इस प्रकार 10 वर्षों में राज्य में 45 नये पुल बन जायेंगे। इसके अलावा 3000 से अधिक छोटे पुलों-पुलियों का निर्माण बिहार राज्य निर्माण निगम द्वारा कराया गया है। बिहार में इन पुलों के निर्माण से थकाऊ, उबाऊ तथा लंबी दूरी की यात्रा करना अब गुजरे जमाने की बात हो गयी है।
बिहार आधारभूत संरचना, विशेषकर भूतल परिवहन के मामले में अत्यन्त पिछड़ा माना जाता था। इस कारण एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में काफी परेशानी होती थी। बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री व राजग के प्रदेश संयोजक श्री नंद किशोर यादव ने बताया कि लालू प्रसाद के जंगल राज को समाप्त करने के लिये जब हम लोग बिहार का दौरा करते थे तो लोगांे को खतरनाक नदी-नालों को चचरी (बांस के पुल) से पार करते देख हमारे रोंगटे खड़े हो जाते थे। उसी समय हम लोगों ने संकल्प लिया था कि राजग सरकार बनी तो पहली प्राथमिकता पुलों के निर्माण की होगी। आज मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना के माध्यम से लगभग 4500 छोटे पुल एवं पुलियों का निर्माण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि बिहार के विकास की कल्पना सड़कों के विकास के बिना पूरी नहीं हो सकती।
बिहार में नौ मुख्य नदियां हैं – गंगा, कोसी, बागमती, कमला, गंडक, बूढी गंडक, सोन, फल्गु एवं महानंदा। 2005 से पूर्व कमला नदी पर 5, गंगा पर 4, कोसी व गंडक पर 3-3 तथा बूढी गंडक, सोन व फल्गु- प्रत्येक पर दो पुल बने थे। 2005 तक बागमती एवं महानंदा नदी पर कोई पुल नहीं बना था। पुलों के अभाव के कारण लोगों को काफी दूरी तय करनी पड़ती थी। परन्तु राजग सरकार के पुल निर्माण निगम ने इस कमी को काफी हद तक दूर किया है। राजग सरकार के कार्यकाल में गंगा नदी पर वर्तमान चार पुलों के अतिरिक्त चार नए पुल निर्माणाधीन हैं, जबकि 3 पुलों के निर्माण की योजना बन चुकी है। इसी प्रकार कोसी नदी पर कोसी महासेतु का निर्माण पूरा हो चुका है एवं दो पुलों पर काम चल रहा है। रतनपुरा पुल की भी स्वीकृति मिल चुकी है। बाढ़ प्रभावित शिवहर और सीतामढ़ी में बागमती पर 4 पुलों का निर्माण कर बाढ़ के अभिशाप को कम करने की कोशिश की गई है। बागमती नदी के दो पुलों पर काम चल रहा है तथा एक और की स्वीकृति मिली है। आजादी के बाद से 2005 तक बागमती नदी पर कोई पुल नहीं बना था, परन्तु राज्य सरकार ने 7 पुलों पर काम शुरू करवाया। इसी प्रकार महानंदा पर भी 2005 के पूर्व कोई पुल नहीं बना था, लेकिन वर्तमान सरकार ने झंउआ घाट तथा प्राणपुर में दो पुलों का निर्माण करवाया।
कमला नदी पर दो पुल बनवाये जा चुके हैं तथा दो पुलों पर काम चल रहा है। गंडक नदी पर दो पुल बनवाये जा चुके हैं। बूढ़ी गंडक पर 10 पुलों के निर्माण की व्यापक योजना बनाई गई थी। इसमें 4 पुल बन चुके हैं, 4 पुल निर्माणाधीन हैं और दो पुलों का कार्य भी शीघ्र प्रारंभ होगा। इसी प्रकार सोन और फल्गू पर 3-3 पुलों की योजना बनाई गई हैै। बिहार में हो रहे इन बदलावों के कारण ही अब बड़ी-बड़ी परिवहन कंपनियां बिहार में आ रही हैं। आधुनिकतम 'वोल्वो बस' से बिहार के भीतर का सफर करना अब सपना नहीं, हकीकत है।
टिप्पणियाँ