भ्रष्टाचार ने डंस ही लियासाफ-सुथरा रक्षा प्रतिष्ठान
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भ्रष्टाचार ने डंस ही लिया
साफ–सुथरा रक्षा प्रतिष्ठान
महाराष्ट्र/ द.वा.आंबुलकर
पुणे के निकट खडकवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में कर्मचारियों के चयन को लेकर जो भ्रष्टाचार हुआ उसके कारण सर्वाधिक विश्वसनीय व सम्मान पाने वाली भारतीय सेना को भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में कर्मचारियों की भर्ती से संबंधित भ्रष्टाचार का यह मामला तब सार्वजनिक हुआ जब केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने संस्थान के दो वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों-कर्नल कुलबीर सिंह तथा कर्नल ए.के. सिंह के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद विवश होकर रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जतिन्दर सिंह का तबादला तक करना पड़ा।
इस मामले की प्राथमिक छानबीन के बाद जो तथ्य उजागर हुए उसके अनुसार कर्नल कुलबीर सिंह, जोकि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 'स्टाफ अफसर' थे तथा कर्मचारियों के चयन व भर्ती में मुख्य भूमिका निभाते थे, ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर कर्मचारियों के चयन में पैसा ऐंठने का गोरखधंधा चला रखा था। उनका लालच यहां तक बढ़ गया था कि वे नौकरी तथा उसके साक्षात्कार हेतु आने वाले आवेदनकर्ताओं से पैसों के लेन-देन की बात सरेआम करते थे। टेलीफोन के द्वारा की जा रही ऐसी ही बातचीत के 'टेप' हो जाने के कारण ही यह सैन्य अधिकारी सीबीआई के चंगुल में आ फंसे। सूत्रों के अनुसार पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में ड्राइवर, क्लर्क, माली, चौकीदार आदि कुल मिलाकर 97 पदों के लिए जो विज्ञापन दिया गया, उसके लिए लगभग 8000 से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। इन्हीं आवेदनकर्ताओं में से कुछ के चयन परीक्षा के पर्चों की जांच में कर्नल ए.के. सिंह ने हेराफेरी की। अब यह भी सामने आ गया है कि रिश्वत देने वाले आवेदनकर्ताओं का ही चयन हो, इसके लिए कर्नल ए.के. सिंह ने परीक्षा के पर्चों से छेड़छाड़ की वहीं कर्नल कुलबीर सिंह ने चुनिंदा आवेदनकर्ताओं की सूची बनाने में मनमानी की। इसके लिए इन कर्नलों ने मई तथा जून के महीनों में पुणे के कुछ दलालों से साठगांठ भी कर ली थी।
सीबीआई द्वारा छानबीन और पूछताछ के दौरान कर्नल कुलबीर सिंह ने कर्नल ए.के. सिंह को आवेदनकर्ताओं के चयन में हेराफेरी कर फर्जी सूची बनवाने हेतु 52 लाख रुपए देने की बात स्वीकार कर ली है। सीबीआई को इस बात का भी सुराग मिला है कि कर्मचारियों के चयन में हुए भ्रष्टाचार में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जतिन्दर सिंह के भाई की भी मिलीभगत थी। यही कारण है कि रक्षा मंत्रालाय तथा सीबीआई ने इस मामले में लेफ्टिनेंट जनरल जतिन्दर सिंह के तबादले तक ही सीमित नहीं रखते हुए मामले में आगे जांच जारी रखी है। पुणे की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पिछले दिनों चर्चा तथा सुर्खियों में इस कारण रही थी कि वहां किसी छात्र ने फर्जी कागजातों के साथ प्रवेश पाने में सफलता पा ली थी। अब इस रक्षा प्रतिष्ठान में भ्रष्टाचारियों का पर्दाफाश होने से अकादमी के कामकाज पर सवालिया निशान लग गये हैं।
राजस्थान/ विशेष प्रतिनिधि
सैनिकों को निर्देश
पाकिस्तान के नंबर से कोई फोन आए तो…
तुरंत तोड़ दो 'सिम'
भारतीय सेना ने राजस्थान सीमा पर तैनात अपने जवानों व अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि +92 (कंट्री कोड या कहें देश का क्रमांक, 0092 पाकिस्तान का 'कंट्री कोड' है, भारत का 0091 है।) के नंबर यानी पाकिस्तान से उनके मोबाइल फोन पर कोई 'काल' आए और गलती से भी 'रिसीव' हो जाए तो 'सिम' को तुरंत तोड़ दें। इन झूठी फोन काल्स के जरिए जाने-अनजाने में सामरिक महत्व की सूचनाएं लीक होने के खतरे को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। देश की दो शीर्ष खुफिया एजेंसियों-रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) व इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) की सूचना के बाद सेना मुख्यालय ने हाल में यह निर्देश दिया हैं। निर्देश में कहा गया है कि +Ã92 यानी पाकिस्तान के किसी नंबर या इंटरनेट से काल आने पर तुरंत इसकी सूचना अपनी यूनिट को दें। दरअसल पाकिस्तान या अन्य देश से 'मिस काल' आने पर जवान जैसे ही उस पर दोबारा 'काल' करता है तो उसकी पूरी 'डिटेल कॉपी' हो जाती है। उस आधार पर उस नंबर के 'सिम' का 'क्लोन' तैयार हो जाता है। जवान के उसी नंबर से रिश्तेदारों या उसके साथियों को 'काल' कर सूचनाएं ली जाती रही हैं। इसी के चलते सेना ने सख्त कदम उठाया है।
उल्लेखनीय है कि पहले पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश या किसी खाड़ी देश से 'काल' आने पर जवान को किसी की मौजूदगी में ही बात करने की हिदायत थी। लेकिन पाकिस्तान से लगातार आ रही 'काल्स' और 'हाईटेक मोबाइल फोन' का प्रचलन बढ़ने से सेना ने अपने 'बेस' और 'ऑपरेशन' व 'वार रूम' में इसके उपयोग पर ही पाबंदी लगा दी है। कंप्यूटर पर वीडियो कैमरा के उपयोग, पेन ड्राइव लाने, पर्सनल ई-मेल ऑफिस में खोलने आदि पर भी रोक लगा दी गई है। साथ ही छुट्टी से 'ड्यूटी' पर आते ही अपने मोबाइल फोन की पूरी जानकारी 'यूनिट' को देने के आदेश दिए गए हैं। सेना के महत्वपूर्ण केन्द्रों पर सामान व इलेक्ट्रानिक उपकरणों की 'स्क्रीनिंग' के लिए भी मशीनें लगाई जा रही हैं।
सूत्रों के अनुसार कराची व लाहौर में आईएसआई के 'आईटी सेल' बने हुए हैं। इनमें विशेष रूप में प्रशिक्षित लोग भारतीय सैन्य अधिकारियों या जवानों के परिजन या परिचित बनकर 'काल्स' करते हैं। वे उसी लहजे में बात करते हैं जिससे उन्हें कोई न कोई सूचना मिल जाती है। इसके लिए वे विशेष 'स्फूफिंग साफ्टवेयर' का सहारा लेते हैं। वे भारत में एजेंटों के जरिए स्थानीय मोबाइल नंबर भी लेते हैं। फिर 'साफ्टवेयर' के माध्यम से लोकल नंबर से काल कर जवानों को परेशान हैं। इसके पीछे आईएसआई का मकसद सामरिक महत्व की सूचनाएं जुटाने के अलावा जवानों में तनाव बढ़ाना भी है। यूनिट में इस बारे में बताते ही उन्हें कई तरह की पूछताछ के दौर से गुजरना पड़ता है। ऐसे में इस तरह की 'काल्स' से जवानों में तनाव की घटनाएं बढ़ रही हैं। हालांकि उनकी 'काउंसलिंग' कर कहा गया है कि वे ऐसी काल्स से तनाव में न आएं।
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