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केन्द्र सरकार की अस्पष्ट तथा तुष्टीकरण पर आधारित नीतियों के कारण कश्मीर घाटी में बहुत कुछ बिगड़ा है, राष्ट्रवादी लोगों को पलायन करना पड़ा है, स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए सुरक्षा बलों को कठोर परिश्रम करना पड़ा है। इस सबके बावजूद केन्द्र व राज्य सरकार की नीतियों में परिवर्तन न आने के कारण देशद्रोही और अलगाववादी तत्वों के हौसले बुलंद हैं। उनके द्वारा ऐसे प्रश्नों को उभारा जा रहा है जिससे कट्टरवादी लोगों की भावनाओं को भड़काने के साथ ही 'दुष्प्रचार माध्यमों' में अच्छी खासी प्राथमिकता मिले। इसीलिए अलगाववादी तथा पाकिस्तान समर्थक हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख सैय्यद अली शाह गिलानी ने इन दिनों एक नया ही राग छेड़ा है और श्री अमरनाथ यात्रा के संबंध में भ्रांतियां उत्पन्न करने की कोशिश शुरू कर दी है। बड़ी बात यह कही जा रही है कि सर्वोच्च न्यायालय के उन निर्देशों पर अमल नहीं होने दिया जाएगा जिनमें अमरनाथ तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए सड़क निर्माण व अन्य कार्यों को करने के लिए राज्य सरकार व केन्द्र सरकार को कहा गया है। तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे वातावरण प्रदूषित होगा तथा वृक्ष कटने से कई प्रकार की कठिनाइयां उत्पन्न होंगी तथा अधिक तीर्थयात्रियों के आने से प्रदूषण फैलेगा। दूसरी बड़ी बात यह कही गई है कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भंग करके यात्रा का प्रबंधन कश्मीरी पंडितों को सौंपा जाए तथा यात्रा की अवधि सीमित की जाए। गिलानी के साथ ही कुछ कट्टरवादी नेता यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि सेना की सहायता से घाटी में बाहरी तत्वों को बसाया जा रहा है, जिससे यहां का जनसंख्या संतुलन बिगड़ जाए। इसका मुसलमानों को विरोध करना चाहिए।
गिलानी के इन वक्तव्यों का विश्व हिन्दू परिषद तथा अन्य राष्ट्रवादी संगठनों ने कड़ा विरोध किया है और कहा है कि हिन्दू आस्थाओं तथा यात्राओं के प्रबंधन के संबंध में मुस्लिमों, विशेषकर अलगाववादियों को बात करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि 'ओकाफ' व मुस्लिमों के मजहबी मामलों में हिन्दू हस्तक्षेप नहीं करते हैं तथा वह विषय मुस्लिमों व राज्य सरकार के बीच तक ही सीमित रहता है। पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य रहे सैय्यद अली शाह गिलानी व अन्य अलगाववादी नेता जानते हैं कि भडकाऊ और हिन्दू विरोधी, भारतविरोधी बातें करने से ही उनका आका (पाकिस्तान) खुश होता है, और भारत की सरकार उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती। बल्कि भारत की सरकार तो भारतविरोधी बातें करने, भारत के विरुद्ध जहर उगलने के बावजूद उन्हें दी जा रही सुविधाओं पर रोक तक नहीं लगा सकती। भारत विरोधी गिलानी को पूर्व विधायक के नाते प्रतिमाह हजारों रुपए पेंशन मिलती है, लाखों रुपए का चिकित्सा खर्च भी मिलता है, और उच्च श्रेणी की सुरक्षा भी। सब कुछ भारत और उसकी सरकार से पाकर भी भारत के प्रति विष ही उगलने वाले गिलानी की नकेल न कसकर भारत की सरकार अन्य अलगाववादियों को प्रोत्साहित ही करती है।
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