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राष्ट्र का सर्वांगीण विकास ही हमारा लक्ष्य

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Jul 28, 2012, 12:00 am IST
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राष्ट्र का सर्वांगीण विकास ही हमारा लक्ष्य

दिंनाक: 28 Jul 2012 16:22:48

जसोल में रा.स्व.संघ का सम्मेलन

–मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ

'हमारा कार्य हिन्दू समाज को संगठित करते हुए अपने राष्ट्र को परमवैभव पर पहुंचाना है। राष्ट्र की सब बातों को ठीक करते हुए राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति होनी चाहिए। राष्ट्र का विकास यानी सबका विकास'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 22 जुलाई को राजस्थान के जसोल में बालोतरा जिले के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन तेरापंथ के आचार्य श्री महाश्रमण के चातुर्मास के दौरान तेरापंथ भवन में हुआ। कार्यक्रम में 4500 स्वयंसेवकों ने गणवेश में भाग लिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में तेरापंथ समाज के बंधु-भगिनी भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में उपस्थित आचार्य श्री महाश्रमण ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संकल्प में शिथिलता नहीं होनी चाहिए। सपने देखने से कार्य पूरा नहीं होता, संकल्प लेने से कार्य पूरा होता है। संकल्प बल का साहस हो तो सब कुछ संभव है। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए समर्पण की शक्ति आवश्यक होती है और यह स्वयंसेवको में देखने को मिलती है।

श्री भागवत ने स्वयंसेवकों तथा तेरापंथ समाज के श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज से 200-250 वर्ष पहले भारतीयों को विदेशों में मजदूर बनाकर भेजा गया। उन्होंने विदेशो में नया भारत बसा लिया और भारत की जीवन पद्धति को सबको बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का सर्वांगीण विकास ही हमारा लक्ष्य है। सर्वांगीण विकास का अर्थ है, जमीन, जल, जन, जंगल, जानवर सभी का विकास।

श्री भागवत ने कहा कि भारत सबकी उन्नति का कारक तथा सबके प्रति प्रेमभाव रखने व किसी के प्रति बैर भाव नहीं रखने वाला एकमात्र देश है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का विशेष योगदान है। युवाओं से अपेक्षा है कि वे अपनी प्रतिभा को राष्ट्र निर्माण में लगाएं।

कार्यक्रम में रा.स्व.संघ के प्रांत संघचालक श्री ललित शर्मा, क्षेत्र प्रचारक श्री दुर्गादास, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्री नंदलाल जोशी, प्रांत प्रचारक श्री मुरलीधर विशेष रूप से उपस्थित थे।  इस अवसर पर गायक-कलाकार श्री प्रकाश माली द्वारा तैयार सी.डी. का लोकार्पण भी किया गया।  प्रतिनिधि

 

नई दिल्ली में कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट पर परिचर्चा

नेहरूवादी मानसिकता से ग्रसित है वार्ताकारों की रपट

–अरुण जेटली, नेता प्रतिपक्ष, राज्यसभा

इंडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में गत 21 जुलाई को नई दिल्ली में 'कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट' पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। इसमें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री अरुण जेटली, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री आरिफ मोहम्मद खान और जम्मू-कश्मीर भाजपा के प्रवक्ता डा. जितेन्द्र सिंह ने रपट के संबंध में अपने विचार रखे। परिचर्चा की खास बात यह रही कि यहां वार्ताकार श्री दिलीप पडगांवकर ने भी अपना पक्ष रखा। परिचर्चा का संचालन भाजपा की प्रवक्ता श्रीमती निर्मला सीतारमन ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री अरुण जेटली ने कहा कि सम्पूर्ण कश्मीर समस्या की जड़ नेहरूवादी मानसिकता है, जिसकी देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट इसी मानसिकता से ग्रसित है। उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद और आर्थिक विकास जम्मू-कश्मीर की दो प्रमुख समस्याएं हैं। जब तक सीमा पार से आतंकवाद समाप्त नहीं होगा, तब तक वहां शांति नहीं आ सकती। केन्द्र को राज्य के विकास के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।

धारा 370 के संबंध में बोलते हुए श्री जेटली ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के खिलाफ बड़ी साजिश है। इससे राज्य को फायदे की जगह नुकसान अधिक हुआ है। श्री जेटली ने कहा कि रपट का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसमें पाक अधिकृत कश्मीर को पाक प्रशासित कश्मीर कहा गया है। उन्होंने कहा कि वार्ताकारों की यह रपट किसी भी तरह स्वीकार करने योग्य नहीं है।

श्री आरिफ मोहम्मद खान ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के विषय पर गहरे विश्लेषण और दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

डा. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कश्मीर में कश्मीरियत तभी कायम रहेगी जब वहां कश्मीरी पंडितों की वापसी होगी।

श्री दिलीप पडगांवकर ने कहा कि हम पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं कि रपट पक्षपातपूर्ण है। हमने रपट में हर क्षेत्र को पूरी जगह दी है। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के अ.भा. सह सम्पर्क प्रमुख श्री राममाधव, श्री अरुण कुमार सहित बड़ी संख्या में दिल्ली के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।  प्रतिनिधि 

 

असम में हिंसा की वजह हैं बंगलादेशी मुसलमान

–डा. प्रवीण भाई तोगड़िया

 कार्यकारी अध्यक्ष, विहिप

'असम में पिछले कुछ दिनों से जारी हिंसा कश्मीर का पुनरावर्तन है। 1990 में जिस तरह कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार हुआ, आज उस इतिहास का पुनरावर्तन हो रहा है। कहा जा रहा है कि हिंसा की वजह बोडो जनजाति और मुस्लिमों के बीच विवाद है। जबकि हिंसा की मुख्य वजह बंगलादेशी मुसलमान हैं। असम में इन्होंने हिन्दुओं के विरुद्ध खुला युद्ध छेड़ रखा है'। यह कहना है विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रवीण तोगड़िया का। वे गत 26 जुलाई को नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।

डा. तोगड़िया ने कहा कि हिंसा की वजह से असम में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। प्रशासन कह रहा है कि 2 लाख लोग बेघर हुए हैं, जबकि 5 लाख से अधिक लोगों को अपना घर-बार छोड़ना पड़ा है। बड़ी संख्या में लोग गुमशुदा हैं। 500 के करीब गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा के पीछे बंगलादेशी घुसपैठियों का हाथ है। लेकिन प्रशासन इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि बड़े दु:ख की बात है कि प्रशासन पीड़ित पक्ष के लोगों को भी हिरासत में लेने के आदेश दे रहा है।

डा. तोगड़िया ने कहा कि हमारी राज्य तथा केन्द्र सरकार से मांग है कि बंगलादेशी घुसपैठियों को भगाओ और असम के हिन्दुओं की रक्षा करो। इस संबंध में विहिप ने देश के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर भी हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि विहिप किसी भी कीमत पर असम को कश्मीर नहीं बनने देगी। इसके लिए विहिप देशभर में जन जागरण अभियान चलाएगी। उन्होंने कहा कि आज ही गुवाहाटी में हिंसा के विरोध में विहिप ने धरना दिया है। जल्द ही असम के अन्य जिलों में भी विरोध प्रदर्शन की योजना है।

डा. तोगड़िया ने कहा कि असम के बंगलादेशी घुसपैठियों में हूजी और आई.एस.आई. का बड़ा नेटवर्क है। अनेक आतंकी घटनाओं में इनके नाम भी सामने आ चुके हैं। फिर भी प्रशासन इनके विरुद्ध कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। यह सब मुस्लिम वोट बैंक के लिए किया जा रहा है।

 प्रतिनिधि

 

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का 'गणित आंदोलन' शुरू

गणित का डर दूर करने का प्रयास

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने बच्चों में गणित के डर को समाप्त करने के लिए 'गणित आंदोलन' की शुरुआत की है। उक्त बात की जानकारी गत 25 जुलाई को नई दिल्ली में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव श्री अतुल कोठारी ने दी।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री कोठारी ने कहा कि भारत सरकार ने महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125वीं जयंती के निमित्त वर्ष 2012 को 'राष्ट्रीय गणित वर्ष' घोषित किया है। लेकिन सरकार की इस दिशा में कोई तैयारी नहीं है। उन्होंने कहा कि महान गणितज्ञ के जयंती वर्ष में बच्चों के मन से गणित के डर को दूर किया जा सके इसके लिए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने 'गणित आंदोलन' शुरू किया है। उन्होंने कहा कि आंदोलन के प्रथम चरण में 26 से 28 तक दिल्ली के सनातन धर्म पब्लिक स्कूल में कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। श्री कोठारी ने कहा कि न्यास ने देश की राज्य सरकारों को भी इस दिशा में योजना बनाने के लिए पत्र लिखा है।  प्रतिनिधि

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