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गुजरात में शिक्षा में सुधारों की सफल गाथा

by
May 28, 2012, 12:00 am IST
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गुजरात में शिक्षा में सुधारों की सफल गाथा

दिंनाक: 28 May 2012 14:31:29

हर कोई जानता है कि गुजरात बहुत उन्नतिशील तथा उच्च औद्योगिक प्रांत है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुजरात पन्द्रह प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या रखता है। जनजातीय समाज शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। गुजरात सरकार ने उनके लिए भी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में और साथ ही साथ नारी शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा अच्छी स्थिति में है। भाग्यवश नई सरकार जो 2001 में सत्ता में आई उसने जल्दी ही इस दशक को मापा और इसमें नारी शिक्षा के संबंध में तथा प्राथमिक स्कूल की शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में कई उल्लेखनीय काम किए।

इस विषय पर दो साधन व्यवहार में लाए गए। एक योजना थी जिसे कन्या केलवणी प्रवेशोत्सव और दूसरी गुणोत्सव प्रोग्राम जो विद्यालयों तथा शिक्षकों की गुणवत्ता को परखती है।

करीब 1.8 लाख नई कक्षाएं प्राथमिक विद्यालयों में बनाई गईं। पानी पीने की व्यवस्था तथा कक्षाओं के लिए अलग शौचगृह बनाए गए तथा बिजली और कम्प्यूटर सब विद्यालयों को दिए गए। विद्या लक्ष्मी बोर्ड योजना बनाई गई ताकि लोग अपने बच्चों का विद्यालय में नाम लिखाएं और बच्चे विद्यालय आएं। पिछले 10 वर्षों में 1 लाख से ज्यादा शिक्षक प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त किए गए जिनमें पारदर्शिता थी।

इससे पहले कि हम इन नीतियों को समझ सकें, हमें उन नतीजों पर ध्यान देना चाहिए जो हमने देखे तथा जिनको महसूस किया-

कन्या केलवणी प्रवेशोत्सव

यह कार्यक्रम उन तथ्यों में से सामने आया कि सामाजिक स्थिति ही उस ग्रामीण जनसंख्या के लिए उत्तरदायी है जो अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। प्रवेशोत्सव एक विशाल वार्षिक जागरण अभियान है जिसमें जून में हर वर्ष दाखिले के समय पूरा सरकारी तंत्र प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय और गांव में जाता है। यह कार्यक्रम 2003 में आरंभ हुआ था और आज तक चल रहा है।

लोगों को कन्या शिक्षा का महत्व बताना।

पहली कक्षा में 100 प्रतिशत दाखिला पूरा करना।

स्कूल छोड़कर जाने वाले विद्यार्थियों में कमी करना, खास तौर से कन्याओं को इस बारे में बताना कि स्कूल में रहने का कितना महत्व है।

नौकरशाही को शिक्षा की समस्याओं की प्रथम जानकारी देना, जो गांवों और शहरों के क्षेत्रों में पनपती हैं।

गांव की शिक्षा की गुणवत्ता, दिन का खाना, शिक्षकों की उदासीनता, शिक्षा की संरचना की प्रथम सूचना को जानना।

शिक्षकों को चेतना देना कि जो बड़े अधिकारी हर साल स्कूल में आते हैं, और इस तरह उन्हें यह अवसर प्रदान करते हैं, जो वे दिखा सकते हैं, कोई अच्छा काम जो उन्होंने किया हो।

शिक्षा का मूल्यांकन खासतौर से कन्याओं की शिक्षा का मूल्यांकन, जबकि 40 प्रतिशत से ज्यादा पिछले दशक के ग्राफ यह दिखाते हैं कि कन्याओं ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी कार्य किया है।

गुणोत्सव कार्यक्रम

गुणोत्सव ऐसा कार्यक्रम है जिसमें हर प्राथमिक विद्यालय का वार्षिक मूल्यांकन और साथ ही शिक्षा का भी मूल्यांकन होता है। इसमें जो तरीका अपनाया जाता है वह अद्भुत है। यह स्कूल द्वारा स्वयं गुण ग्राहिता जो विद्यार्थी की परीक्षा के आधार पर जो शिक्षक लेते हैं और जो विभागीय सरकारी कार्यालयों द्वारा भी निर्धारित होती है।

गुणोत्सव के उद्देश्य

सरकारी प्राथमिक जिलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर दृष्टि डालना।

शिक्षकों, शैक्षणिक अधिकारियों और समाज को शिक्षा की आवश्यकता के लिए उद्बोधन करता है।

हर वर्ष विद्यार्थियों को सीखने के धरातल को नापना, यदि कोई उन्नति हो रही हो।

शिक्षकों का उत्तरदायित्व निर्धारण कर स्कूल जहां वे पढ़ा रहे हैं या व्यक्तिगत रूप से हैं, स्कूल का स्तर निर्धारित करना।

उन शिक्षकों को गुणोत्सव के अवसर पर अंक प्राप्त हुए हैं, उन्हें इनाम देना या दंड देना।

गुणोत्सव का परिणाम

यह कार्यक्रम 2009 में पहली बार किया गया और फिर 2010 और 2011 में इसकी पूर्णाहुति की गई। इन दो सालों में पढ़ाने का स्तर देखने लायक रहा। 2010 में जो स्कूल 10 में से 6 नंबर लाए वे 26.22 से 43.19 प्रतिशत तक बढ़ गए। प्रतिनिधि

 

आर.टी.ओ. का आधुनिकीकरण

‘½þ¨Éå आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करना है तथा उसे नागरिक सुविधाओं से जोड़ना है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने फैसला किया कि आरटीओ को पूर्ण रूप से हर जिला स्तर पर कम्प्यूटर युक्त किया VÉÉB*’ पिछले दिनों गांधीनगर में आरटीओ का उद्घाटन करते समय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ये बातें कही थीं। अब गुजरात आरटीओ में काफी बड़ा परिवर्तन देखा जा सकता है। ‘MÉÖVÉ®úÉiÉ मोटर वेह्किल Êb÷{ÉÉ]Çõ¨Éå]õ’ और आरटीओ का मुख्य काम मोटर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन करना तथा सड़क सुरक्षा के साथ ड्राइविंग लाइसेंस देने का उत्तरदायित्व निभाना भी है।

राज्य में वाहनों की तथा वाहन चालकों की संख्या में तेज बढ़ोतरी हुई है। 4.32 लाख वाहन 2001-02 में पंजीकृत हुए और 2010-11 में 11.22 लाख वाहन पूरे राज्य में पंजीकृत हुए। इनके साथ वाहन चालक लाइसेंस 7.79 लाख तथा 10.16 लाख इन वर्षों में दिए गए जो राज्य में संचालन की गति को दर्शाते हैं। उम्मीद की जाती है कि भविष्य में वाहनों की संख्या तथा वाहन चालकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी क्योंकि राज्य में वृद्धिदर राष्ट्रीय दर से अधिक है। इस वृद्धि ने विकास के समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। जाहिर है कि इस बदलाव के साथ-साथ चलना होगा।

2010-11 के स्वर्णिम वर्ष के उत्सव में एक मंत्र उन्नति तथा वृद्धि के लिए आरटीओ ने प्रस्तुत किया जिसका नाम स्वर्णिम आरटीओ है। यह धारणा आने वाले वर्ष के लिए लक्ष्य तो है ही, किंतु आने वाले दशक के लिए एक बदलाव भी है। यह पहल की गई है ताकि कार्यक्षमता में बढ़ोतरी और पारदर्शिता हो तथा ई गवर्नेन्स के तरीके को लागू किया जा सके और नई तकनीक अपनायी जा सके। सुप्रचालन और प्रशासन के द्वारा सारी परियोजनाओं को सही तरीके से लागू किया जाए और काम में तेजी लायी जाए, काम को और बेहतर बनाया जाए और जनता से मित्रता को महत्व दिया जाए। प्रतिनिधि

अन्न, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता कार्य विभाग

लक्षित जनता वितरण प्रणाली (टीपीडीएस)

यह प्रणाली गरीबों को अनाज सुरक्षा प्रदान करती है। भारत सरकार 21 लाख गरीब परिवारों को जबकि गुजरात सरकार 30 लाख गरीब परिवारों को अनाज देती है। इसके लिए हर महीने 1.2 लाख मीट्रिक टन अनाज और 52 हजार लीटर मिट्टी का तेल उन लाखों लोगों को दिया जाता है जो राज्य में राशनकार्ड धारी हैं। इस प्रणाली को कार्यान्वित करने के लिए एक बड़ा भारी संजाल है, जिसमें 194 गोदाम केन्द्र और करीब 16800 एफपीएस सारे राज्य में स्थापित हैं।

टीपीडीएस सुधार

खाद्य, नागरिक वितरण और उपभोक्ता संबंधित विभाग, गुजरात ने राज्य में एक बड़ी आईसीटी पहल अपनाई जिससे आर्थिक सहायता प्राप्त अनाज की आपूर्ति और दूसरी चीजों को गरीबों तक पहुंचाने में राज्य में मदद मिले। इस पहल को राष्ट्र की आम व्यवस्था ने सराहा तथा मान्यता दी और देश के दूसरे राज्यों को अपनाने की भी सलाह दी।

सस्ती दुकानों की व्यवहार्यता निश्चित करने के लिए, जो इस आर्थिक सहायता प्राप्त सामग्री की पूर्ति करती है, गुजरात सरकार ने पंडित दीनदयाल ग्राहक भंडार और ग्राम मॉल स्कीम का भी 2006 से आरंभ कर दिया।

आर्थिक सहायता प्राप्त खाने का तेल

गरीब आदमी की रक्षा के लिए 2011 में, राज्य सरकार ने खाने का तेल 40 रु. लीटर अगस्त से नवम्बर तक मुहैया कराया। इस समय कई त्योहार भी आते हैं जैसे कि जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, नवरात्रि, दीपावली आदि।

2009-10 से राज्य सरकार बड़ी आर्थिक सहायता के अंतर्गत आयोडीन युक्त नमक एक रुपया, एक किलोग्राम हर महीने गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को उपलब्ध कराती है।

अनाज की प्राप्ति

गुजरात स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन ने धान ओर गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरे राज्य में लेना शुरू किया। एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं और 5000 मीट्रिक टन धान इस वर्ष में प्राप्त किया गया है।

उपभोक्ता सुरक्षा

उपभोक्ताओं की सुरक्षा तथा भलाई के लिए राज्य सरकार ने डीसीजीआरएफ सारे राज्य में बनाये और एक कमीशन अहमदाबाद में स्थापित किया। इन सब फर्मों को आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराये गये। नतीजतन उपभोक्ता की शिकायतों का निपटारा जल्द होने लगा और गुजरात की कार्य प्रणाली राष्ट्र स्तर पर प्रशंसित हुई।प्रतिनिधि

 

देदीप्यमान गुजरात

गुजरात सौर ऊर्जा एवं राज्यव्यापी गैसग्रिड के संवर्धन और हरित ऊर्जा की (संभावना) क्षमता पर निरंतर जोर देता रहा है।

और इस निरंतर प्रयास में, पर्यावरणीय क्षति से संघर्ष करना एवं स्वच्छ ऊर्जा का संवर्धन करना, राज्य ने नवीकरण योग्य ऊर्जाक्षेत्र में 7761 एम डब्ल्यू विद्युत उत्पादन परियोजनाओं की स्थापना हेतु वीजीजीआईएस 2011 में हस्ताक्षरित 66 समझौता ज्ञापनों से रु.61289 करोड़ मूल्य का निवेश प्राप्त किया है।

सौर ऊर्जा परियोजनाओं के सरकारी आंकड़े बहुत उत्साहजनक हैं। सौर ऊर्जा नीति कार्यान्वयन योजना के चरण एक और दो के दौरान नई उद्घोषित सौर ऊर्जा नीति 2009 के अधीन पूर्व में घोषित 500 मेगावाट क्षमताओं के विरुद्ध 83 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय परियोजना विकास कर्त्ताओं को 968.5 एम डब्ल्यू सौर ऊर्जा क्षमताओं को आवंटित किया है।

एशिया में प्रथम 500 एम डब्ल्यू सौर पार्क

गुजरात ने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एशिया की प्रथम सौर पार्क की नींव रखे जाने से देश में नवीनीकरण योग्य ऊर्जा विकास हेतु एक कदम रखा है। जिसमें से रु.75 करोड़ के निवेश की एक परिकल्पना की गई है। सोलर पार्क सीमा से लगे हुए ग्राम चरणका, तालुका संतलपुर, पाटण जिले में 2000 हेक्टेयर अंतर भूमि पर स्थापित किया गया है। 21 प्राइवेट निवेशकों को 250 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन सृजन करने के लिए भूखण्ड आवंटित किए गए हैं। परियोजना लागत की 1287 करोड़ (लगभग) की परिकल्पना की गई है। ये कंपनियां आगामी तीन माह की अवधि में अपनी ऊर्जा सृजन की इकाइयां स्थापित करेंगी। राज्य सरकार की योजना है कि मेन पावर ट्रेनिंग संस्थान स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देगा और उनके लिए रोजगार अवसरों का सृजन करेगा।

इसने सौर ऊर्जा विकास तथा निर्माणकारी सुविधाओं के लिए एक समकेन्द्रित अंचल के रूप में कल्पना की है, जहां पर अनुकूलनक्षम लागत पर बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा। यह अपेक्षा की जाती है कि सोलर पार्क का दो चरणों में विकास किया जाएगा। चरण 1- 950 मेगावाट, और चरण 2- शोध एवं विकास तथा निर्माणकारी सुविधाओं सहित 500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन करने वाली परियोजनाएं।प्रतिनिधि

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