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देशभक्ति, अनुशासन, चरित्र व संगठन ही राष्ट्रों को महान बनाते हैं

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Feb 18, 2012, 12:00 am IST
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विविध

दिंनाक: 18 Feb 2012 17:10:59

मेरठ में “नव चैतन्य शिविर” सम्पन्न

-इन्द्रेश कुमार, सदस्य, अ.भा. कार्यकारी मंडल, रा.स्व.संघ

“उच्च शिक्षा और कॅरियर के साथ लक्ष्य को जोड़ा जाना बेहद महत्वपूर्ण है। लक्ष्य के अभाव में पतन की संभावना बढ़ जाती है और व्यक्ति भ्रष्टाचार, घूसखोरी व कालेधन की ओर उन्मुख होता है। रा.स्व.संघ, राष्ट्र निर्माण, समाज निर्माण का लक्ष्य प्रदान करने वाला संगठन है”। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने गत दिनों मेरठ में सम्पन्न हुए “नव चैतन्य शिविर” में आए युवाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि यदि धन में ईमान और शिक्षा में चरित्र नहीं है तो ऐसा धन और शिक्षा व्यर्थ है। देश के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने इस्लामी आतंकवाद, माओवाद, बंगलादेशी घुसपैठ, चीनी खतरा, आंतरिक भ्रष्टाचार, जातिवाद आदि की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि असंगठित हिन्दू समाज इनका मुकाबला नहीं कर सकता। देशभक्ति, अनुशासन, चरित्र व संगठन ही वे तत्व हैं, जो राष्ट्रों को महान बनाते हैं।

शिविर की खास बात पर्यावरण अनुकूलता का प्रशिक्षण थी। कहीं भी प्लास्टिक या उससे बने सामान का उपयोग नहीं किया गया। साथ ही जल संरक्षण का भाव जगाने के लिए स्नान आदि से लेकर सभी कामों में न्यूनतम जल के उपयोग पर जोर दिया गया। मेरठ प्रांत में कुल सात स्थानों पर “नव चैतन्य शिविर” लगे, जिनमें 2,910 युवाओं ने भाग लिया। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। पिछले वर्ष इन शिविरों में कुल 2,246 युवा सम्मिलित हुए थे। द अजय मित्तल

राष्ट्रीय विषय बने जम्मू-कश्मीर

-अरुण कुमार, सदस्य, अ.भा. कार्यकारी मंडल, रा.स्व.संघ 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री अरुण कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर समस्या को राजनीतिक विवाद न बनाकर राष्ट्रीय विषय बनाया जाना चाहिए, क्योंकि यह देश की अस्मिता का सवाल है। वे गत दिनों शिमला में डा. हेडगेवार स्मारक समिति एवं मातृवंदना संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में “जम्मू-कश्मीर के समक्ष चुनौतियां एवं समाधान” विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

श्री अरुण कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अलग संविधान, अलग झंडा व अनुच्छेद 370 जैसी अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देने वाली व्यवस्थाओं को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश तब तक सुरक्षित है, जब तक इसका उत्तरी क्षेत्र सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि मुख्य तौर पर समस्या का वास्तविक कारण जम्मू-कश्मीर में सूचनाओं का गलत प्रसार और भारत में जम्मू-कश्मीर के बारे में जानकारी का अभाव है।

अध्यक्षीय उदबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह श्री वीर सिंह रांगड़ा ने कहा कि पाकिस्तान, चीन और अमरीका जैसे देश भारत को खंडित करने में प्रयासरत हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के प्रति समाज को जागरूक करने का आह्वान किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिमला के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। द प्रतिनिधि

एकजुट होकर वोट दें हिन्दू

-डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जनता पार्टी

जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि हिन्दुओं को भी एकजुट होकर वोट देना चाहिए, तभी भारतीय राजनीति में उनका महत्व बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हिन्दू बंटे हुए हैं, बिखरे हुए हैं, इस कारण से देश में मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति प्रभावी है। वे गत 9 फरवरी को जयपुर स्थित महाराणा प्रताप सभागार में “अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान” तथा “अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण एवं संवद्र्धन संस्थान” की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

“भारतीय संस्कृति समन्वय, समरसता एवं चुनौतियां” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में डा. स्वामी ने कहा कि संस्कृति की रक्षा करनी है तो देश में संस्कृत का महत्व बढ़ाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि तमिल भाषा में 45 प्रतिशत, कन्नड़ में 65 प्रतिशत, मलयालम में 80 प्रतिशत तथा बंगाली में 90 प्रतिशत शब्द संस्कृत भाषा के हैं। वर्तमान समय में अमरीका में विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में संस्कृत भाषा पढ़ाने के लिए सरकार की ओर से विशेष मदद दी जाती है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रख्यात पत्रकार तथा स्तम्भ लेखक श्री मुजफ्फर हुसैन ने जड़ों की ओर लौटने का आह्वान किया। कार्यक्रम में धर्म जागरण के अखिल भारतीय प्रमुख श्री मुकुन्द राव पणशीकर विशेष रूप से उपस्थित रहे।  द विवेकानंद शर्मा

श्रद्धाञ्जलि

कृष्णचंद्र भारद्वाज दिवंगत

रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री कृष्णचंद्र भारद्वाज का गत 16 फरवरी को निधन हो गया। 92 वर्षीय श्री भारद्वाज जालंधर के संघ कार्यालय में रह रहे थे।

24 दिसंबर, 1920 को जन्मे श्री भारद्वाज 1942 में प्रचारक निकले। विभिन्न स्थानों पर कार्य करने के बाद 1963 में वे बिहार के भोजपुर व बाद में भागलपुर जिले के प्रचारक बने। 1972-73 में उन्हें वनवासी कल्याण आश्रम के प्रांतीय संगठन मंत्री का दायित्व सौंपा गया। 1990 में विहिप के प्रांत संगठन मंत्री बने।

17 फरवरी को श्री भारद्वाज का अंतिम संस्कार हुआ। इस अवसर पर विहिप के संगठन महामंत्री श्री दिनेश चंद्र, रा.स्व.संघ के अ.भा. सह बौद्धिक प्रमुख श्री महावीर, हिन्दू जागरण के सह संयोजक श्री अशोक प्रभाकर, उत्तर क्षेत्र प्रचारक प्रमुख डा. कृष्ण बवेजा, प्रांत संघचालक सरदार बृजभूषण सिंह बेदी, सह प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर (से.नि.) जगदीश गगनेजा, प्रांत प्रचारक श्री किशोर कांत, सह प्रांत प्रचारक श्री सतीश कुमार सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र तथा प्रांत स्तर के कार्यकर्ता उपस्थित थे।द

आस्ट्रेलिया में संस्कृत सीखने की ललक

विश्व हिन्दू परिषद, आस्ट्रेलिया के तत्वावधान में गत दिनों 20 घंटे का संस्कृत संभाषण शिविर सम्पन्न हुआ। शिविर का उद्देश्य संस्कृत पढ़ना, समझना तथा संस्कृत में वार्तालाप करना था। इसमें आस्ट्रेलिया के महिला-पुरुष तथा बच्चों ने बड़ी संख्या में सहभागिता की। शिविर में प्रशिक्षण संस्कृत भारती के समर्पित कार्यकर्ता श्री वसुवज ने दिया।

दस दिन तक चले शिविर को हर किसी ने खूब सराहा। युवा प्रतिभागी अपनी भाषा में संस्कृत पढ़कर अच्छा महसूस कर रहे थे। उन्हें लगा कि संस्कृत आसानी से सीखी व बोली जा सकती है। संस्कृत संभाषण शिविर के साथ-साथ 25 घंटे का शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी सम्पन्न हुआ। इसमें संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षिकों ने भाग लिया तथा संस्कृत की बारीकियों को समझा। द प्रतिनिधि

“26वां विवेकानंद सेवा सम्मान” श्री सुकुमार रायचौधरी को

सत्य, सनातन और श्रेष्ठ का मनन करने से ऊर्जा मिलती है

-वी. भागैया, अ.भा.बौद्धिक प्रमुख, रा.स्व.संघ

“जो सत्य, सनातन और  श्रेष्ठ है, उसका बार-बार मनन करने से ऊर्जा मिलती है। स्वामी विवेकानंद का स्मरण एवं उनके विचार ऐसी ही प्रेरणा प्रदान करते हैं। स्वामीजी ने शिकागो में दिए व्याख्यान से सारी दुनिया को अभिभूत किया, उसका कारण था प्रेम से पूरित वाणी की तेजस्वी शक्तिमत्ता। आज जब दुनिया स्वार्थ एवं द्वेष के कारण तीसरे महायुद्ध की ओर बढ़ रही है, ऐसे में स्वामीजी के विचार सर्वाधिक प्रासंगिक हैं।” उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के अ.भा. बौद्धिक प्रमुख श्री वी. भागैया ने व्यक्त किए। वे गत दिनों कोलकाता में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा आयोजित “26वें विवेकानंद सेवा सम्मान” समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मान बोड़ाइल उपजाति कल्याण आश्रम, बुनियादपुर के संस्थापक श्री सुकुमार रायचौधरी को दिया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें शाल, नारियल, मानपत्र तथा 51 हजार रुपए का चेक दिया गया।

श्री भागैया ने आगे कहा कि सारी समष्टि प्रभु की ही रचना है, समष्टि की सेवा में ही जीवन की सार्थकता है। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर अहंकार, छुआछूत अथवा जाति व्यवस्था अधर्म है। प्रत्येक जीव में परमात्मा है, अत: पीड़ितों, वंचितों एवं अस्पृश्यों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है। श्री भागैया ने कहा कि “मैं” भाव को छोड़कर “हम” यानी राष्ट्र के प्रति सम्मान भाव जागृत करना ही विवेकानंद की सच्ची स्मृति है।

कार्यक्रम के विशिष्टि अतिथि महाकवि श्री गुलाब खंडेलवाल ने कहा कि भारत की विशिष्ट सांस्कृतिक परम्परा तथा तप की पूंजी पर हमें गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामीजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि सर्वजनहिताय कर्म करने में ही है। एक अन्य विशिष्ट अतिथि श्री सज्जन तुलस्यान ने कहा कि स्वाधीन भारत का सपना 64 वर्ष के बाद भी पूरा नहीं हो पा रहा है। इसका कारण अंग्रेजी कानून और व्यवस्था का यथावत अनुगमन है। भारत की अपनी रीति-नीति पर आधारित व्यवस्था परिवर्तन से ही देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा।

सम्मान से समादृत श्री सुकुमार रायचौधरी ने कहा कि हमारे गांव अविकसित एवं असुरक्षित हैं। ग्रामांचल के उत्थान से ही उग्रवाद, आतंकवाद तथा मतांतरण पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आबादी का 1 प्रतिशत भी यदि समाज सेवा करे तो स्वामीजी का स्मरण सार्थक होगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महावीर प्रसाद मणक्सिया ने की। स्वागत उद्बोधन में श्री जुगलकिशोर जैथलिया ने पुस्तकालय के संस्थापक श्री राधाकृष्ण नेवटिया एवं मार्गदर्शक आचार्य विष्णुकांत शास्त्री का स्मरण करते हुए सम्मान समारोह के औचित्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालय के मंत्री श्री महावीर प्रसाद बजाज ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन किया अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने। मंच पर श्री लक्ष्मी नारायण भाला एवं श्री अद्वैत दत्त भी आसीन थे। द प्रतिनिधि

कटक में राष्ट्रदीप का “वसंत मिलन उत्सव”

विश्वसनीयता न खोए मीडिया

-डा. आर. बालाशंकर, सम्पादक, आर्गनाइजर

उड़ीसा के कटक में गत दिनों उड़ीया साप्ताहिक “राष्ट्रदीप” का “वंसत मिलन उत्सव” सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुधांशु मोहन महापात्र ने की तथा मुख्य वक्ता थे अंग्रेजी राष्ट्रीय साप्ताहिक “आर्गनाइजर” के सम्पादक डा. आर. बालाशंकर। मुख्य अतिथि पारिवारिक पत्रिका “कादम्बिनी” की सम्पादक डा. इति सामन्त थीं। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा. आर. बालाशंकर ने कहा कि विश्वसनीयता मीडिया का सबसे बड़ा परिचय है, परन्तु जब से भूमंडलीकरण के कारण समाचार को विक्रय योग्य सामग्री तथा समाचार संस्थान को रोजगार माध्यम जैसा प्रयोग किया जाने लगा है, तब से लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपनी यथार्थता और लोगों का भरोसा खो रहा है। सिर्फ राष्ट्रवादी समाचार पत्र और पत्रकार इस अवगुण से मुक्त हैं।

डा. बालाशंकर ने कहा कि भारतीय मीडिया पाश्चात्य धारा और बाजार अर्थव्यवस्था से प्रभावित होकर एक उद्योग बन गया है। सम्पादक संस्थान मालिक की मर्जी पर निर्भर बना दिए गए हैं। अखबार की नीति सम्पादक नहीं, मालिक तय करते हैं। समाचार पत्रों में समाचार की जगह अभिमत ज्यादा प्रकाशित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार डा. महेश्वर महंती सहित अनेक स्तंभ लेखकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रदीप के सम्पादक श्री जगबंधु मिश्र सहित बड़ी संख्या में पत्रकार तथा साहित्यकार उपस्थित थे। द प्रतिनिधि

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