पाठकीय
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पाठकीय
अंक-सन्दर्भ *11 दिसम्बर,2011
पुरस्कृत पत्र
केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम पर जब भी कोई आरोप लगता है तो वे कहते हैं, “उन्हें कुछ नहीं पता”, “जो हुआ मेरी जानकारी में नहीं हुआ”, “अब आगे ऐसा नहीं होगा”…। फिर भी उनके साथ एक मामला और जुड़ गया है। पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने एक पत्र कानून मंत्रालय को भेजकर होटल व्यवसायी एस.पी. गुप्ता के विरुद्ध जालसाजी से संबंधित एक आपराधिक प्रकरण को न्यायालय से वापस लेने को कहा। चिदम्बरम पेशे से वकील हैं, और एस.पी. गुप्ता पूर्व में उनके पक्षधर रह चुके हैं। अब इसकी सफाई में पहले तो यह कहा गया कि यह चिट्ठी गृह मंत्रालय की ओर से लिखी गई थी, गृह मंत्री की ओर से नहीं। ठीक वैसे ही जैसे 2 जी स्पेक्ट्रम प्रकरण में 25 मार्च की वित्त मंत्रालय की चिट्ठी कि चिदम्बरम यदि चाहते तो घोटाला रोक सकते थे, के बारे में कह दिया गया कि यह चिट्ठी वित्त मंत्री की ओर से नहीं लिखी गई थी। अब लोगों को संप्रग शासन के दूसरे दौर में कई मौलिक चीजें देखने को मिल रही हैं- एक तो यह कि मंत्री अलग, मंत्रालय अलग। यद्यपि असलियत यह थी कि 25 मार्च की चिट्ठी भी वित्त मंत्री की जानकारी में गई थी और यह चिट्ठी तो गृह मंत्री की जानकारी में ही नहीं, बल्कि उन्हीं के कहने पर भेजी गई थी। क्योंकि स्वत: चिट्ठी में ऐसा लिखा हुआ है कि यह गृह मंत्री महोदय के निर्देश पर भेजी जा रही है। खैर, रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद चिदम्बरम कर रहे हैं कि उन्होंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया। अब बड़ा सवाल यह कि क्या ऐसे कार्य अनजाने में हो सकते हैं? चिदम्बरम ने जब वह पत्र लिखवाया और भिजवाया तब क्या वह होशो-हवास में नहीं थे? इस तरह से तो कोई डकैत, बलात्कारी, हत्यारा, घोटालेबाज कह सकता है कि उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया, तो क्या ऐसा कहने मात्र से ऐसे गंभीर अपराधियोंं पर किसी किस्म का दोषारोपण नहीं होना चाहिए? क्या चिदम्बरम बतौर गृहमंत्री देश में इसी तरह का कानून चलाना चाहते हैं?
स्वाभाविक है ऐसी स्थिति में न तो न्यायालयों की जरूरत होगी और न पुलिस की ही। इस तरह से देश में पुलिस और अदालतों में प्रतिवर्ष खर्च होने वाले अरबो-खरबों रु. की भी बचत हो जाएगी। फिर भले मत्स्य-न्याय का दौर शुरू हो जाए और बड़ी मछलियां छोटी मछलियों को खुल्लम-खुल्ला खाने लगें। पर यहां यह स्पष्ट है कि चिदम्बरम का यह कृत्य पूरी तरह से सुविचारित है और यह पद के दुरुपयोग का गंभीर मामला है।
फिर भी कांग्रेस कहती है चिदम्बरम इस्तीफा क्यों दें? उन्हें किसी न्यायालय ने अभी तक दोषी तो ठहराया नहीं है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी कांग्रेस का यही तर्क है। अब यदि ऐसा माना जाए कि चिदम्बरम ने यह सब अनजाने में किया तो क्या ऐसा व्यक्ति गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लायक है?
-वीरेन्द्र सिंह परिहार
अर्जुन नगर, सीधी (म.प्र.)
हर सप्ताह एक चुटीले, हृदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।-सं.
आवरण कथा के अन्तर्गत श्री अरुण कुमार सिंह की रपट “स्वदेशी बाजार में नहीं चलेगी विदेशी दुकान” से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दुष्परिणामों की जानकारी मिली। क्या जो लोग सरकार चला रहे हैं, उनमें इतनी भी समझ नहीं रह गई है कि देश के हित में क्या है, और क्या नहीं? खुदरा बाजार में विदेशी कम्पनियों को किसी भी हालत में आने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। पूरे भारत के लोग एकजुट होकर सरकार पर दबाव डालेंगे तभी खुदरा बाजार विदेशियों के हाथों में जाने से बचेगा।
-सरिता राठौर
हैदरपुर, अम्बेडकर नगर कालोनी, दिल्ली-88
द राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर पाञ्चजन्य हमेशा पाठकों को सजग करता रहता है। खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के खिलाफ माहौल बनाने में भी पाञ्चजन्य की मुख्य भूमिका रही। तीन-चार माह पूर्व भी पाञ्चजन्य ने देश के लोगों को खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के प्रति सावधान किया था।
-उमेदुलाल
ग्राम-पटूडी पट्टी धारमण्डल
जिला-टिहरी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
द सरकार कहती है कि खुदरा बाजार में विदेशी निवेश से महंगाई खत्म होगी और भारत मंदी की मार से बचेगा। मैं जानना चाहता हूं कि फिर वे देश महंगाई और मंदी से क्यों परेशान हैं, जहां वर्षों से विदेशी निवेश हो रहा है? खुद उस अमरीका में महंगाई क्यों बढ़ रही है, जिसकी एक दर्जन से अधिक कम्पनियां विदेशों में खुदरा बाजार क्षेत्र में काम कर रही हैं?
-गोपाल प्रसाद
गांधीग्राम, जिला-गोड्डा (झारखण्ड)
हिन्दू-विरोधी सेकुलर
स्वामी असीमानन्द के उत्पीड़न के बारे में श्री आलोक गोस्वामी की रपट “मुझे निर्वस्त्र करके उल्टा टांगा और…” विचलित करती है। तथाकथित “हिन्दू आतंकवाद” के नाम पर जिनको भी पकड़ा गया है, उनके खिलाफ आज तक कोई सबूत नहीं मिला है। फिर भी उन्हें वर्षों से जेल के अन्दर मनगढ़न्त आरोपों के आधार पर रखा जा रहा है और प्रताड़ित किया जा रहा है। ये सब बातें पढ़कर बड़ा दु:ख होता है।
-दयाशंकर मिश्र
मण्डोली (दिल्ली)
द स्वामी असीमानन्द देश की गन्दी राजनीति के शिकार हुए हैं। वे हिन्दुओं को लालच देकर मतान्तरित करने वाले तत्वों के खिलाफ आवाज उठाते थे और मतान्तरित हिन्दुओं को घर-वापसी कराने में लगे थे। इस कारण देश-विरोधी तत्व उनके खिलाफ थे। लगता है उन्हीं तत्वों की वजह से उन्हें झूठे आरोप पर पकड़ा गया है।
-देशबन्धु
आर.जेड- 127, सन्तोष पार्क
उत्तम नगर, नई दिल्ली-110027
द जिहाद के नाम पर मुस्लिम युवकों को किस तरह भड़काया जा रहा है, इसकी जानकारी पिछले दिनों एक बार फिर से मिली। पुलिस के हत्थे चढ़े इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने बताया कि अबू फैजल और दानिश रियाज ने “जिहाद में शिरकत के 44 तरीके” और “आम तबाही” शीर्षक से पुस्तकें लिखी हैं। इनकी इन करतूतों पर सेकुलरों की नजर क्यों नहीं पड़ती है? वे केवल निराधार आरोपों को लेकर “हिन्दू आतंकवाद” का राग क्यों अलापते हैं? यह हिन्दू समाज को समझना चाहिए।
-विनोद कुमार सर्वोदय
नयागंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)
द जो जिहादी निर्दोष लोगों को मार रहे हैं, उनके लिए सेकुलर नेता एक शब्द नहीं बोलते हैं। हां, हिन्दुओं को जलील करने और जिहादी आतंकवाद को दबाने में ये लोग पीछे नहीं रहते हैं। यह सब दिल्ली में बैठे हिन्दू विरोधी नेताओं के षड्यंत्रों का परिणाम है।
-डा. शशिकान्त गर्ग
म.सं. 152/2, अहीरवाड़ा, कुन्दन कालोनी, बल्लभगढ़, फरीदाबाद (हरियाणा)
चलो, किसी ने तो सुध ली
पाञ्चजन्य में यह समाचार पढ़कर सुखद अनुभूति हुई कि विश्वविख्यात धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर ने दिल्ली में उन पाकिस्तानी हिन्दुओं से भेंट की, जो वहां से प्रताड़ित होकर भारत आए हैं। चलो, उन बेचारों की सुध किसी ने ली तो सही। अन्यथा, हिन्दुओं को कौन पूछ रहा है। हिन्दू मारे जाएं, पुरखों की सम्पत्ति से उजाड़े जाएं, विस्थापन की जिन्दगी जिएं… किसी को क्या मतलब?
-बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023
गान्धारी की असाधारण प्रतिज्ञा
पिछले दिनों पाञ्चजन्य में महारानी गांधारी के बारे में पढ़ने को मिला। गांधारी दृढ़ निश्चयी महिला थीं। उन्हें जब पता चला कि उनके पति धृतराष्ट्र नेत्रहीन हैं, तो उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बंधवा ली। जब तक वह जीवित रहीं तब तक उन्होंने अपनी आंखों से इस दुनिया को नहीं देखा। यह कोई साधारण प्रतिज्ञा नहीं थी।
-कुन्ती रानी
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
देश के साथ धोखा
भारत-बंगलादेश समझौते पर डा. कृष्णगोपाल ने अपने लेखों में जो सूक्ष्मतम जानकारी दी है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसे प्रत्येक भारतीय को जानने की आवश्यकता है। इस समझौते के कारण भारत की 11 हजार एकड़ भूमि पर बंगलादेश का कब्जा हो जाएगा। इस मामले में भारत सरकार देश को धोखा दे रही है। इस समझौते को रद्द कराने के लिए देशव्यापी आन्दोलन चलाने की जरूरत है। इस मामले में भारत सरकार और असम की कांग्रेस सरकार की काली करतूतों का पर्दाफाश करना होगा।
-सज्जन सिंह राजपूत
डी.के.रोड, सेहियारगांव,
उत्तर लखीमपुर-787001 (असम)
सरकार में ही खोट है
अण्णा हजारे के जनलोकपाल विधेयक के मुद्दे पर केन्द्र सरकार द्वारा हुई वादाखिलाफी के लिए सोनिया गांधी व राहुल गांधी ही पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। पूर्व में स्थायी समिति ग्रुप सी और डी के लगभग 58 लाख कर्मचारियों को लोकपाल विधेयक के दायरे में रखने के लिए तैयार हो गई थी। लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दबाव डालकर पुराने पारित प्रस्तावों में कुछ परिवर्तन कर नये प्रस्ताव डलवाए। केन्द्र सरकार के मन में कुछ न कुछ खोट है। इसीलिए वह मजबूत लोकपाल नहीं चाहती है।
-निमित जायसवाल “अन्नू वैश्य”
गली-39, ई.डब्लू.एस., रामगंगा विहार फेस प्रथम, मुरादाबाद (उ.प्र.)
बलिदान की मांग
पिछले दिनों पाञ्चजन्य के कुछ पुराने विशेषांक पढ़ने को मिले। इनमें दीपावली विशेषांक (2011) भी शामिल था। कुछ लेखों को तो दो-दो बार पढ़ा। संवाद “अंधकार से लड़ना होगा” अतिप्रिय लगा। सचमुच में हमें एक बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी है। देश को अभी तक वास्तविक स्वतंत्रता नहीं मिली है। हिन्दू अस्मिता खतरे में है। अधिकांश राजनीतिक दल मुस्लिम तुष्टीकरण में लगे हैं। वास्तविक आजादी एक बार फिर से बलिदान मांग रही है। देखें कौन रास्ता दिखाता है?
-सार्थ
धरमंगदपुर, कानपुर-209307 (उ.प्र.)
पञ्चांग
वि.सं.2068 तिथि वार ई. सन् 2012
पौष शुक्ल 14 रवि 8 जनवरी, 2012
पौष पूर्णिमा सोम 9 “” “”
(माघ स्नान प्रारंभ)
माघ कृष्ण 1 मंगल 10 “” “”
“” “” 2 बुध 11 “” “”
“” “” 3 गुरु 12 “” “”
“” “” 4 शुक्र 13 “” “”
“” “” 5 शनि 14 “” “”
(मकर संक्रांति)
वोटों की फसल
नौकरियां तो हैं नहीं, पर आरक्षण खूब
लगता है उग आएगी, हाथों में ही दूब।
हाथों में ही दूब, बात की खाद डलेगी
झोली में मुस्लिम वोटों की फसल उगेगी।
कह “प्रशांत” हर ओर बंट रहे वादे झूठे
उनको क्या, यदि देश टूटता हो तो टूटे।।
-प्रशांत
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