आवरण कथा
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“साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” के विरुद्ध संतों की ललकार
तरुण सिसोदिया
देश के शीर्ष संतों ने “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” को वापस लेने तथा इसे तैयार करने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को भंग करने की पुरजोर मांग की है। ऐसा न करने पर संतों ने सरकार को देशव्यापी प्रचण्ड जन आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
गत 11-12 दिसम्बर को नई दिल्ली में भारतीय संस्कृति सभा के तत्वावधान में अखिल भारतीय शीर्ष संत समागम सम्पन्न हुआ। इसमें “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” पर देश के शीर्ष संतों ने गहन चर्चा की तथा अंतिम दिन विधेयक को वापस लेने तथा राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को भंग करने एवं ऐसा न करने पर देशव्यापी जन आंदोलन करने से संबंधित प्रस्ताव पारित किया।
समागम में कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती, पेजावर मठ के प्रमुख स्वामी विश्वेशतीर्थ, भारतमाता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी, दक्षिण भारत के प्रख्यात संत जीयर स्वामी, साध्वी ऋतम्भरा आदि सहित सैकड़ों संतों ने विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत, टूजी घोटाले में अनेक मंत्रियों को बेनकाब करने वाले डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी, पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख श्री पी.सी. डोगरा, सेवानिवृत पुलिस अधिकारी श्री आर.पी. सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे।
समागम का शुभारम्भ 11 दिसम्बर की दोपहर स्वामी विश्वेशतीर्थ एवं अन्य संतों द्वारा सामूहिक रूप से भगवान राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल, महामंत्री डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, संगठन महामंत्री श्री दिनेश चंद्र, संयुक्त महामंत्री श्री चंपत राय सहित विश्व हिन्दू परिषद के अनेक केन्द्रीय पदाधिकारी उपस्थित थे। समागम के समापन पर रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी एवं सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले भी उपस्थित रहे।
स्वामी विश्वेशतीर्थ ने अपने संबोधन में कहा कि यह विधेयक समग्र हिन्दू समाज के लिए खतरा है। इसके लिए पूरे हिन्दू समाज को जागरूक करने की जरूरत है। यह हिन्दू समाज के जीवन-मरण का प्रश्न है, इसके लिए हमें बलिदान देने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
जीयर स्वामी महाराज ने कहा कि उन्हें भी कुछ दिन पहले तक इस विधेयक के बारे में नहीं पता था। परन्तु यह विधेयक सम्पूर्ण समाज के लिए घातक है। इसके लिए संतों को अपने शिष्यों, अनुयायियों तथा समाज को जागरूक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हिन्दू, मुसलमान या ईसाई बन जाएंगे तो सेकुलरों को कोई चिंता नहीं, परन्तु यदि वे नहीं बने तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा। इस अवसर पर उन्होंने विधेयक के विरोध हेतु चलाए जाने वाले आंदोलनों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कोष निर्माण की आवश्यकता जताई तथा इसके लिए 15 लाख रुपए देने की घोषणा की।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि मात्र चिंतन करने या प्रस्ताव पारित करने से कुछ नहीं होगा। इसके लिए हमें देशभर में अनशन तथा चक्का जाम करने होंगे, तभी सरकार झुकेगी। उन्होंने भी जीयर स्वामी की तरह राष्ट्रीय कोष के लिए 5 लाख रुपए देने की घोषणा की।
स्वामी गोविन्ददेव गिरि ने विधेयक को हिन्दू समाज का विनाश कर देने वाला करार देते हुए कहा कि इस विधेयक की एक भी धारा उचित नहीं है। विधेयक का एक ही संदेश है कि जहां भी खटपट होगी, अपराधी हिन्दू ही होगा। यह हिन्दू समाज का घोर अपमान है, इसलिए हमें इसका पुरजोर विरोध करना होगा।
सेवानिवृत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्री आर.पी. सिंह ने कहा कि यह विधेयक मात्र हिन्दुओं को प्रताड़ित करने के लिए ही है। यदि यह विधेयक कानून बन जाता है तो केवल हिन्दू ही दोषी होंगे, उन्हीं पर मुकदमा चलेगा। हिन्दुओं को यह जानने का अधिकार भी नहीं होगा कि आखिर उनका अपराध क्या है। यह विधेयक यह मानकर चलता है कि मुसलमान तथा ईसाई दंगा नहीं कर सकते। मुसलमान तथा ईसाई हिन्दुओं के देवी-देवताओं के बारे में कुछ भी बोल सकते हैं, पर यदि किसी हिन्दू ने उनके पैगम्बरों के बारे में कुछ बोला तो एक शिकायत पर हिन्दुओं को जेल में डाल दिया जाएगा। यह विधेयक किसी भी कीमत पर कानून नहीं बनना चाहिए, यदि ऐसा हुआ तो हिन्दू समाज संकट में पड़ जाएगा।
पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख श्री पी.सी. डोगरा ने कहा कि 2005 में भी ऐसा विधेयक आया था, उस समय ईसाई और मुसलमानों ने इसका विरोध किया था। लेकिन अब इसे हिन्दुओं के विरुद्ध कड़े प्रावधान करके बनाया गया है। यह विधेयक केवल हिन्दू समाज को ही संकट में नहीं डालेगा, अपितु पुलिस और प्रशासन को भी पंगु बना देगा। अगर यह कानून बन जाता है तो देश के साथ इससे बड़ा कुकर्म और कुछ नहीं होगा। इसलिए इसका हर स्तर पर विरोध होना चाहिए। इसकी शुरुआत जन जागृति से हो।
डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने विधेयक को शरारतपूर्ण कहते हुए कहा कि इसका निर्माण कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुआ है। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य देश विरोधी हैं, विधेयक से यह सिद्ध हो जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि कोई भी कानून मजहब के आधार पर नहीं बन सकता, फिर भी ऐसा विधेयक लाकर कानून बनाने की तैयारी हो रही है। विधेयक की धाराएं ऐसी हैं, जिसमें बहुसंख्यक हिन्दू समाज के व्यक्ति को फंसाया जा सकता है। जो मंशा ऐसे विधेयक लाने का काम कर रही है, हमें उस मंशा पर ही प्रहार करना चाहिए। जिन लोगों ने यह विधेयक लाने का दुस्साहस किया है, उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। संत सड़कों पर उतरेंगे तो सरकार डरेगी और यह विधेयक वापस होगा।
आचार्य प्रपन्नाचार्य ने कहा कि हर स्तर पर एक प्रतिनिधिमंडल वहां के जनप्रतिनिधि को इस संबंध में ज्ञापन सौंपे। उन्हें बताया जाए कि यह विधेयक किस तरह समाज को छिन्न-भिन्न कर देने वाला है। हमें अपने स्वरूप को न बिगाड़ते हुए इसका विरोध करना होगा।
अधिवेशन के दूसरे दिन श्री कृष्णमुनि महाराज ने कहा कि यह विधेयक साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने वाला नहीं, बल्कि बढ़ाने वाला होगा। इससे हमारी संस्कृति और परम्परा ध्वस्त होगी। यह विकृत मानसिकता का परिणाम तथा हिन्दू समाज के विरुद्ध घातक षड्यंत्र है। हमें वह हर काम करना होगा, जिससे यह विधेयक संसद में न आने पाए।
महंत नवल किशोर दास ने कहा कि यह विधेयक यदि कानून बन गया तो हमारा जीवन निंदनीय बन जाएगा। इसके लिए हर स्तर पर बड़े विरोध प्रदर्शन करके सरकार को ललकारा जाए। स्वामी जितेन्द्रनाथ ने कहा कि यह विधेयक राष्ट्रवाद के विचार, संविधान तथा सभ्यता की हत्या है। इसके विरुद्ध व्यापक जन जागरण करने की जरूरत है।
साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर विषय है, इसके लिए जब तक हम सरकार पर दबाव नहीं बनाएंगे तब तक बात नहीं बनेगी। समाज के दिल में विषय की गंभीरता को बिठाना होगा। संतों के जरिए इस विषय को सम्पूर्ण देश में मुखरता से रखने की जरूरत है। इस अवसर पर उन्होंने जन जागरण के लिए अपना 15 दिन का समय देने की घोषणा भी की। समागम में जैन, बौद्ध एवं सिख पंथ के धर्मगुरुओं ने भी भाग लिया।
कुल मिलाकर इस दो दिवसीय समागम में संतों ने इसी बात पर चर्चा की कि किसी भी तरह यह विधेयक कानून का रूप ग्रहण न कर सके। समापन पर पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि यह कानून देश को तोड़ने वाला, असंवैधानिक, हिंदू एवं मुस्लिमों को बांटने वाला, देश के हिंदुओं को गुनहगार मानकर विश्व में सहिष्णु हिंदू संस्कृति को बदनाम करने वाला होगा। दंगाई-जिहादी व्यवहार को प्रोत्साहन एवं हिंसा करने के बाद संरक्षण देने, देश के प्रशासन के ऊपर इस कानून के द्वारा नई असंवैधानिक व्यवस्था खड़ी करने वाला यह प्रस्तावित विधेयक तत्काल वापस लिया जाए। ऐसा कानून प्रस्तावित करने के लिए सरकार देश एवं हिंदू जनता से माफी मांगे। साथ ही राष्ट्रीय सलाहकार परिषद तत्काल बर्खास्त की जाए।
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि इस कानून से देश के मंदिर, संत, रामलीला, गणेशोत्सव तथा हिंदुओं के अन्य धार्मिक कार्यक्रम, हिंदुओं की सामाजिक-धार्मिक संस्थाएं, हिंदुओं के व्यापार जिहादियों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। प्रस्ताव के जरिए देश के सभी संत, सामाजिक-धार्मिक बिरादरी की संस्थाओं का आह्वान किया गया है कि विधेयक के खिलाफ देशव्यापी जनजागरण और जन आंदोलन प्रारम्भ करें। प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी भी कीमत पर इस विधेयक को कानून नहीं बनने दिया जाएगा। इसके लिए देश की जनता सर्वोच्च बलिदान के लिए भी तैयार रहे। द
हर स्तर पर विरोध हो
– जयेन्द्र सरस्वती
जगद्गुरु शंकराचार्य, कांची कामकोटि पीठ
कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती ने कहा कि यह कानून बनने से आपस में झगड़ा होगा। इसलिए हमें इस कानून को बनने से रोकना चाहिए। इसके लिए जागृति फैलाएं, लोगों को बताएं कि कानून बन जाने के बाद क्या-क्या दिक्कतें हमारे सामने आएंगी। अहिंसात्मक तरीके से इसका हर स्तर पर विरोध करें।
राष्ट्रीय एकात्मता को खतरा
-मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” राष्ट्रीय एकात्मता को खत्म करने वाला, प्रजातंत्र विरोधी तथा प्रशासन को पंगु बनाकर रखने वाला है। इसका हर स्तर पर विरोध होना चाहिए, विरोध हो भी रहा है। विधेयक तैयार करने वालों का मन व नीयत ठीक नहीं है। सरकारी मंच पर जब इसकी चर्चा हुई तो अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के लिए यह बनाया गया है, उनका भी इससे भला होने वाला नहीं है। यह विधेयक सतत् झगड़े कराने वाला है।
श्री भागवत ने कहा कि यह विधेयक संसद में न आ पाए इसलिए रा.स्व.संघ ने पिछले दिनों देशभर में जन जागरण अभियान चलाया। अनुभव कहता है कि जिस भी विचारधारा, वर्ग आदि के व्यक्ति को इस विधेयक के बारे में पता चलता है तो वह इसे भयंकर ही कहता है। इस विधेयक को बनाने वाले देशविरोधी क्रियाकलापों में लिप्त हैं, यह सिद्ध भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि विधेयक की जानकारी जाति-बिरादरी, प्रशासनिक अधिकारी, राजनीतिक दल, मीडिया सहित सभी वर्ग के लोगों के पास पहुंचे। क्योंकि यह किसी का भी भला करने वाला नहीं है। इसके लिए व्यापक जन जागरण होना चाहिए। परन्तु हमें विरोध के स्वरूप को भी ध्यान में रखना होगा, क्योंकि इसे बनाने वाले विरोध का लाभ भी उठाना चाहते हैं।
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