राज्यों से
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महाराष्ट्र/द.बा.आंबुलकर
किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र नं.1
कोरे आश्वासन, न सहायता न राशन
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख विभाग (नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो) द्वारा हाल ही में प्रकाशित रपट में महाराष्ट्र में विगत 16 सालों में 50 हजार से अधिक किसानों द्वारा आत्महत्या करने के कारण इस राज्य को इस दृष्टि से देश में सबसे अग्रणी बताया गया है। इस प्रकार का अधिकृत विवरण प्रकाशित किए जाने के कारण महाराष्ट्र के कथित विकास, विशेषकर राज्य के किसानों के हालात स्पष्ट रूप से सबके सामने आ गए हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान शाखा द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर तथ्य एवं जानकारी जुटाकर प्रकाशित की गई इस रपट में किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले में विगत 16 सालों का जो विवरण दिया है वह इस प्रकार है-(देखें तालिका)
वर्ष महाराष्ट्र में किसानों द्वारा
आत्महत्या की संख्या
1995 1083
1996 1981
1997 1917
1998 2409
1999 2423
2000 3022
2001 3536
2002 3695
2003 3836
2004 4147
2005 3926
2006 4453
2007 4238
2008 3802
2009 2872
2010 3141
उपरोक्त आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा कई प्रकार की सहायता योजनाओं की घोषणा किये जाने के बावजूद किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में कमी आना तो दूर, विगत 16 सालों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में किसानों द्वारा कर्ज के बोझ तथा नुकसानदेह खेती से तंग आकर आत्महत्या करने के कारण तत्कालीन वित्तमंत्री पी.चिदम्बरम ने सन् 2008 में आम ऋण माफी योजना घोषित की थी। राज्य सरकार द्वारा भी विदर्भ क्षेत्र के किसानों के लिए “विशेष आर्थिक पैकेज” की घोषणा की गई थी। राहत मिलने के परिणामस्वरूप सन् 2009 में किसानों द्वारा आत्महत्या की संख्या में कुछ कमी भी आयी थी, पर अब स्थिति जस की तस है। इस रपट के कारण अब आधिकारिक रूप से यह भी स्पष्ट हुआ है कि महाराष्ट्र के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़-इन पांच राज्यों में भी किसानों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं होती हैं। विगत 16 वर्षों में आंध्र प्रदेश में 31120, कर्नाटक में 35053, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ को मिलाकर 41062 किसानों ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या की। जबकि महाराष्ट्र द्वारा विगत 16 वर्षों में किसानों द्वारा की गई आत्महत्या की संख्या 50 हजार से भी अधिक रही।
महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र गरीबी, सूखा और कर्ज जैसे संकटों को झेलकर असहाय बने किसानों द्वारा आत्महत्या के कारण हर समय चर्चा में रहा है। यह दौर अभी भी जारी है। हर सप्ताह विदर्भ के दर्जनों किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या का रास्ता अपनाते हैं। आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इस वर्ष सितम्बर तक विदर्भ के 654 किसानों ने आत्महत्या की है। जबकि सच्चाई यह है कि अब बदनामी से बचने के लिए सरकार के निर्देश के बाद पुलिस किसानों द्वारा आत्महत्या का मामला आसानी से दर्ज नहीं करती, बल्कि उसे प्राकृतिक मृत्यु, पारिवारिक कलह के कारण आत्महत्या आदि बताने की कोशिश करती है। इस कारण आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को मिलने वाला एक लाख रुपये का सरकारी मुआवजा भी उसे नहीं मिलता। सरकारी सूत्रों के अनुसार विगत एक दशक यानी सन् 2001 से अब तक विदर्भ संभाग के 11 जिलों में से अमरावती, अकोला, यवतमाल, बुलढाणा एवं वाशिम ही आर्थिक तबाही, बढ़ते कर्ज और उसके ब्याज से तंग आकर मरने वालों के केन्द्र रहे हैं। सरकारी अधिकारियों के अनुसार इन 5 जिलों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 8000 से भी अधिक है। बावजूद इसके आधे से भी कम, मात्र 2497 मृतक किसानों के परिवार ही मुआबजे के लिए आगे आए।
इस बीच अमिताभ बच्चन द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम “कौन बनेगा करोड़पति” में हिस्सा लेने के कारण देश-विदेश में चर्चा का विषय बनी विदर्भ के आत्महत्या करने वाले किसान संजय मालीकर की पत्नी अपर्णा मालीकर ने संप्रग की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर यह स्पष्ट किया है कि पति द्वारा आत्महत्या करने के बाद उनके साथ जो राजनीतिक तथा प्रशासनिक ज्यादती एवं खिलवाड़ हो रहा है, उस पर यदि तुरंत रोक न लगाई गई तो वह भी अपने पूरे परिवार सहित आत्महत्या करने का ही रास्ता अपनाएगी। स्मरण रहे कि “कौन बनेगा करोड़पति” में अपर्णा मालीकर ने 6 लाख 40 हजार रुपये जीते थे, जबकि उनकी पीड़ा एवं हालात के कारण अमिताभ बच्चन ने उन्हें अपनी ओर से 1 लाख रुपये अतिरिक्त दिये थे। इससे पूर्व सोनिया गांधी को लिखे अपने विस्तृत पत्र में पीड़ित किसान की इस विधवा ने लिखा कि आशा है कि आप भी विधवा होने के कारण मेरे जैसी विधवा की पीड़ा एवं दर्द को समझकर मेरी समस्या का हल निकालने का प्रयास करेंगी। पत्र के अंत में अपर्णा मालीकर ने सोनिया गांधी को यह चेतावनी भी दी कि राजनेताओं एवं पुलिस की मिलीभगत के चलते उनकी समस्या पर गौर न करने की स्थिति में वे अपनी बेटियों, पिता एवं भाई के साथ सार्वजनिक तौर पर आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर देंगी।
इस चेतावनी के बावजूद स्थिति में कोई बदलाव की संभावना कम ही है। स्मरणीय है कि कुछ साल पहले राहुल गांधी ने विदर्भ के आत्महत्या करने वाले किसानों का हाल जानने के लिए यवतमाल जिले के एक किसान की विधवा कलावती बाई से मुलाकात की और उसकी चर्चा लोकसभा के अपने भाषण में भी की। पर कलावती बाई के जीवन में अब तक कोई बदलाव नहीं आया है। सरकार सिर्फ कोरे आश्वासन दे रही है, सहायता का सिर्फ दिखावा भर कर रही है, और किसान आत्महत्या को मजबूर है। द
जम्मू-कश्मीर/विशेष प्रतिनिधि
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की बदलती तस्वीर
“जनमत संग्रह” से पहले
47 से पूर्व के हालात तो लाओ
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की जनसंख्या में गत 65 वर्षों के दौरान भारी परिवर्तन हुआ है। अक्तूबर 1947 में पाकिस्तानी आक्रमण से पूर्व इस क्षेत्र की जनसंख्या 10 लाख थी जो अब बढ़कर 40 लाख के लगभग पहुंच गई है। किंतु इसमें 1947 से पूर्व के अधिकांश नागरिक या तो विस्थापित हो चुके हैं या विभिन्न देशों में चले गए हैं। 50,000 के लगभग लोगों को कबाइलियों तथा पाकिस्तानी सैनिकों ने मौत के घाट उतार दिया है। मीरपुर और कई ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश केशधारी और सहजधारी हिन्दुओं को कबाइली आक्रमणकारियों ने 1947 में ही मौत के घाट उतार दिया था। किंतु मुसलमानों को 1960 में उस समय बर्बादी का सामना करना पड़ा जब पाकिस्तान ने भारत के साथ सिंध नदी जल संधि के पश्चात झेलम नदी पर नंगल डैम का निर्माण शुरू किया। इस बांध के निर्माण के कारण 30,000 से अधिक मुस्लिम परिवारों को बर्बादी का सामना करना पड़ा। जबकि इस बांध से बनने वाली बिजली का लाभ उस क्षेत्र को नहीं, पाकिस्तान को मिला।
1947 से पूर्व तक कश्मीर के इस भाग में कई नगर ऐसे थे जिनमें हिन्दुओं का बहुमत था। इन नगरों में मीरपुर, बिम्बर, कोटली, मनावर तथा मुजफ्फराबाद उल्लेखनीय थे। इन नगरों में हिन्दुओं की जनसंख्या 60 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक थी। पर अब हिन्दू सिखों के अतिरिक्त मीरपुर, बिम्बर, कोटली, मनावर में तो वहां के पुराने मुसलमान परिवार भी दिखाई नहीं देते। इन क्षेत्रों में अब पाकिस्तान के अन्य क्षेत्रों के ही नहीं अपितु अफगानी भी लोग बस गए हैं। कई स्थान ऐसे भी हैं जिन पर पाकिस्तान की सेना ने बड़ी-बड़ी छावनियां बना ली हैं। पाकिस्तान में वैसे भी गैरमुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए रहने का वातावरण बहुत ही कम है, किंतु पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जो कुछ हुआ है या हो रहा है उसके पीछे बड़ा कारण संयुक्त राष्ट्र संघ का 1947 का वह प्रस्ताव है जिसमें जम्मू-कश्मीर में भविष्य का निर्णय करने के लिए जनमत संग्रह कराने की बात कही गई थी। पर इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि इससे पूर्व पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर को खाली कर देना चाहिए। किंतु खाली करना तो दूर, इन 64 वर्षों में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की जनसांख्यिकी और मानचित्र तक बदल दिया गया है। विचित्र बात यह है कि इसके बाद भी पाकिस्तान तथा कश्मीर के अलगाववादी इस राज्य के भविष्य का निर्णय करने के लिए जनमत संग्रह कराने का राग बार-बार अलापते हैं किंतु भारत तथा इस राज्य के सत्ताधारी रहस्यमय चुप्पी साधे रहते हैं। जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ के उस प्रस्ताव के आधार पर यदि जनमत संग्रह कराना है तो 1947 से पूर्व की स्थिति बहाल होनी चाहिए, पाकिस्तान को अपने कब्जे वाला कश्मीर खाली कर वहां से विस्थापित हुए लोगों को वापस बुलाना चाहिए और कश्मीर घाटी से भी 1990 के बाद से पलायन कर गए हिन्दुओं की पुन: वापसी होनी चाहिए।
गत 64 वर्षों में होने वाले इन परिवर्तनों के कारण स्वयं सुरक्षा परिषद के महासचिव तथा अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह करवाया जाना असंभव-सा हो गया है। इसके पश्चात भी जनमत संग्रह का राग अलापने वालों के नारों में कोई कमी दिखाई नहीं देती है। उनका आक्रामक रवैया इसलिए बना हुआ है क्योंकि नई दिल्ली तथा इस राज्य के सत्ताधारियों ने कभी कोई स्पष्ट नीति नहीं घोषित की है। यही कारण है कि हजारों बलिदानों तथा लाखों करोड़ रुपए के खर्च के बाद भी यहां समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं तथा नित नई-नई जटिलताएं उभरकर सामने आ रही हैं। द
बेहट/मनोज गहतोड़ी
उ.प्र. में चुनावी शंखनाद
“प्रदेश बचाओ, भाजपा लाओ” का नारा देकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की बेहट (विधानसभा क्षेत्र संख्या 1) से चुनावी शंखनाद किया। नितिन गडकरी ने मां शाकुम्भरी देवी के मन्दिर में जीत की अर्जी लगायी। इसी के साथ उत्तर प्रदेश में चलने वाले चुनाव अभियान का श्री गणेश हुआ। मां शाकुम्भरी का आशीर्वाद लेकर लौटे गडकरी ने सपा, बसपा तथा केन्द्र सरकार की नीतियों को गरीबी, भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद के लिए जिम्मेदार बताया। बेहट के शाकुम्भरी धाम मैदान में आयोजित विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए श्री नितिन गडकरी ने सबसे पहले किसानों की समस्याओं की ओर जनता का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान कर्ज में डूबा हुआ है। किसानों के साथ उ.प्र. में धोखा हो रहा है जबकि महाराष्ट्र में यही गन्ना किसान खुशहाल हैं। “गन्ना बेल्ट” होने के बावजूद यह इलाका पिछड़ेपन और बदहाली से जूझ रहा है। सड़कों की हालत इतनी खराब है कि विकास की किरण यहां पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है। हर तरफ अपराध और भ्रष्टाचार का बोलबाला है, केन्द्र सरकार की भ्रष्ट नीतियों और प्रदेश सरकार के कुशासन के कारण यह हालात बने हैं। प्रदेश की मुख्यमंत्री विकास कार्यों को छोड़ आम जनता का पैसा पानी की तरह बहाकर अपनी मूर्तियां लगा रही हैं।
श्री गडकरी ने कहा कि केन्द्र सरकार का सच जनता के सामने है। श्री गडकरी ने केन्द्र सरकार के मंत्रियों तथा प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को विकास के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली वाले दिल्ली लूट रहे हैं, लखनऊ वाले लखनऊ लूट रहे हैं। चुनावों में इसका सच जनता के सामने आ जायेगा। देश में साम्प्रदायिकता की राजनीति सपा, बसपा सहित अनेक राजनीतिक दल करते हैं, भाजपा जातिवाद एवं साम्प्रदायिकता के बल पर चुनाव नहीं लड़ती। भाजपा सबके साथ न्याय चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्ता में आने पर भाजपा एक लाख से अधिक युवाओं को रोजगार देगी। श्री गडकरी ने राजग सरकार की उपलब्धियां भी गिनायीं। उन्होंने जनता से मायावती के कुशासन तथा सपा की गुण्डागर्दी से मुक्ति दिलाने के लिए भाजपा के सहयोग की अपील की।
इससे पूर्व भाजपा चुनाव अभियान की कमान संभाल रहीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि उत्तर प्रदेश बीमार राज्यों में शामिल हो चुका है। बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत समस्याएं यहां मुंह बाए खड़ी हैं। आम आदमी को ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। राज्य में चोरी, बलात्कार, हत्याओं का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है। बसपा के मंत्री व विधायक खुलेआम गुण्डागर्दी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बसपा का मतलब -बर्बाद, सर्वनाश, पाखंड है। उन्होंने कहा कि माता शाकुम्भरी धन-धान्य की देवी हैं। यहां से चुनावी शंखनाद का अभिप्राय यही है कि लूट-खसोट करने वाले सपा, बसपा, कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंकें ताकि राज्य फिर से फले-फूले।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने भी सभा को सम्बोधित करते हुए बसपा, सपा और कांग्रेस को एक-दूसरे का हिमायती बताया और कहा कि इनके राज में प्रदेश के लोगों का सुख-चैन छिन गया है। राज्य के समग्र विकास की सोच और सपना भाजपा ही देखती है, जिसे जनता अवश्य पूरा करेगी। सभा में जुटी भारी भीड़ देखकर भाजपा नेताओं की बांछें खिली हुई थीं। सभा में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं की उपस्थित उल्लेखनीय रही।
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