भोपाल में परिवार प्रबोधन कार्यक्रम सम्पन्न
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भोपाल में परिवार प्रबोधन कार्यक्रम सम्पन्न
–मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
बुलंद परिवार,
बुलंद राष्ट्र का आधार
-रमन्ना, अ.भा. कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख, रा.स्व.संघ
'चीन भारत को घेर रहा है, क्या हम इस घेरेबंदी के प्रति सावधान हैं? अपने घर की वस्तुएं देखने पर पता चलेगा कि हम कितने चीनी हो गए हैं। चीन हमारे घर में आकर बैठ गया है। संकट घर के अंदर आ चुका है। पीछे से सैनिक आना बाकी हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत को लूट रही हैं। इसका उपाय क्या है? 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया। उस समय अनेक समर गीतों की रचना हुई। एक मराठी गीत का आशय था- 'प्रत्येक घर किला बने'। आज हम फिर से आक्रमणग्रस्त अवस्था में हैं। हमला हमारे बिल्कुल निकट हो रहा है। लेकिन घर जब किला बन जाता है तो मंगल भवन बनता है। हमें यह मानना होगा कि देश पर कोई संकट है तो हमारे परिवार पर संकट है'। उक्त उद्गार रा.स्व. संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 16 नवंबर को भोपाल में स्वयंसेवक परिवारों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
घर और परिवार में सद्वृत्तियों के विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री भागवत ने कहा कि समाज में जो कुछ होना चाहिए वह सब घर में भी होना चाहिए। दुनिया के अन्य देशों में सुविधा, साधन और समृद्धि बहुत है, लेकिन वहां सुख नहीं है। वहां का कानून ऐसा है कि 14 साल का बच्चा भी अपने पिता पर मुकदमा दायर कर देता है। जो ऐसा करेगा उसे जागरूक मानते हैं। लेकिन अपने देश में ऐसा नहीं मानते हैं। कई देशों में ऐसा चलन है कि माता-पिता वृद्ध हो गए हैं, उन्हें वृद्धाश्रम भेज दो। वहां वृद्धाश्रम मान्य परंपरा है।
श्री भागवत ने कहा कि घर, समाज और पाठशाला ऐसे तीन स्थान हैं जहां पर त्याग और बलिदान का संस्कार मिलता है। आज पाठशाला में शिक्षा व्यापार बन गई है। वहां संस्कारक्षम शिक्षा का प्रयास चल रहा है, लेकिन फिलहाल 10-20 साल तक परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। समाज में संघ की शाखा और ऐसी अन्य व्यवस्थाओं के कारण स्थिति अभी भी ठीक है। घर-परिवार को ऐसा केन्द्र बनाने की जरूरत है जहां से बालक-बालिकाओं को त्याग और बलिदान का संस्कार प्राप्त हो सके।
श्री भागवत ने कहा कि घर और देश अलग-अलग नहीं हैं। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। घर राष्ट्र का ही छोटा रूप है और राष्ट्र घर का व्यापक रूप। देश पर हमला घर पर हमला है। हमारे आस-पास चारों ओर संकट दिख रहा है। हमारे बच्चे मजबूत बनें, संस्कारवान बनें और प्रत्येक घर एक किला बने यह आवश्यक है। उन्होंने कहा कि घर में संघ का काम होनी चाहिए। घर में सामूहिक चर्चा और बैठक भी होनी चाहिए। सामूहिक भोजन और भजन हो। त्याग का भाव परिवार के संस्कार से ही उत्पन्न होता है। आक्रमणों से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन परिवार नाम की इकाई बनी रहे यह आवश्यक है। एक भी बीज बचा रहा तो पुनर्निमाण हो जाएगा।
इस अवसर पर रा.स्व.संघ के अ.भा. कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख श्री रमन्ना ने अपने उद्बोधन में कहा कि परिवार के संस्कार से ही शिशु भी महामानव और देवमानव बन जाता है। घर मानव, महामानव और देवमानव बनाने का केन्द्र है। घर मन्दिर के समान है। प्रत्येक परिवार मंगल परिवार बने। लेकिन दुर्भाग्य से हमारी जीवन शैली शिथिल होती जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे परिवार में एकाकीवाद नहीं, अंगांगीभाव है। परिवार के सभी सदस्य अपने कर्तव्य का पालन धर्म की तरह करते हैं।
श्री रमन्ना ने एक पुस्तक की चर्चा करते हुए कहा कि मूल कन्नड़ में लिखित इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद तैयार किया गया है। इसमें कुटुंब प्रबोधन के साथ ही एक परिवार की दिनचर्या, पर्व-त्योहारों के आयोजन और पारिवारिक सदस्यों के आचार-व्यवहार के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। 'मंगल भवन अमंगलहारी' नाम से प्रकाशित इस पुस्तक में 280 पृष्ठ हैं। लगभग 800 प्रश्नों के उत्तर के साथ घर-परिवार से संबंधित विभिन्न पहलुओं को समाहित किया गया है। यह पुस्तक भारतीय जीवन पद्धति और जीवन मूल्यों के कई अनजाने पक्षों को उजागर करने वाली है। भारतीय जीवन में स्नान से लेकर भोजन-भजन और बचत-संचय का क्या महत्व है, यह भी इस पुस्तक में भलि-भांति प्रदिपादित किया गया है। श्री रमन्ना ने आर्थिक विचारक श्री गुरुमूर्ति के आलेखों को उद्धृत करते हुए कहा कि पारिवारिक बचत किस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था को सक्षम और सुदृढ़ बनाती है इसका प्रमाण विश्वव्यापी मंदी के दौर में भी अप्रभावित भारत की अर्थव्यवस्था है। श्री रमन्ना ने कुटुंब प्रबोधन की दिशा में चल रहे प्रयासों के बारे में बताते हुए इस बात का भी उल्लेख किया कि अपने गांव और कुटुंब के लिए एक व्यक्ति और परिवार की क्या जिम्मेदारियां होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश का दु:ख दूर करने में प्रत्येक परिवार को हाथ बंटाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि बुलंद परिवार से ही बुलंद भारत का निर्माण संभव है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निवर्तमान सरसंघचालक श्री कुप्. सी. सुदर्शन, मध्यक्षेत्र के संघचालक श्री श्रीकृष्ण माहेश्वरी, मध्यभारत प्रांत संघचालक श्री सतीश पिंपलिकर और विभाग संघचालक श्री कांतिलाल चतर के साथ ही मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री प्रभात झा, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक अपने परिवारों के साथ उपस्थित थे। प्रतिनिधि
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